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गाड़ी का पेंट और स्क्रैच बचाने के लिए PPF लगवाने जा रहे? नुकसान जान लीजिए

Paint Protection Film: कार की देखभाल करने के लिए लोग तमाम काम करते हैं. इसमें पेंट प्रोटेक्शन फिल्म (PPF) भी शामिल है. कई लोग इसे अपनी गाड़ी की चमक बनाए रखने के लिए लगवाते हैं. क्योंकि ये गाड़ी को स्क्रैच और धूप दोनों से बचाती है. लेकिन क्या ये फिल्म असल में बेहतर होती है?

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PPF रिमूव करते समय कई बार गाड़ी का पेंट भी हट सकता है. (फोटो-Pexels)

कार खरीदना एक बात और उसका बाद में ध्यान रखना दूसरी बात. मतलब कि एक बार कार खरीद ली, तो आगे तक उसका ध्यान रखना जिम्मेदारी बन जाती है. लोग अपनी कार की प्रोटेक्शन के लिए तमाम चीजें फॉलो करते हैं. जैसे कि समय से सर्विस करवाना, गाड़ी को ऐसे ड्राइव करना कि उसपर स्क्रैच कम लगे आदि. अब इन तमाम जतन के बीच लोग अपनी कार को नए जैसा लुक देने के लिए PPF भी करवाते हैं. यानी पेंट प्रोटेक्शन फिल्म. ये फिल्म गाड़ी के एक्सटीरियर का ध्यान रखती है. गाड़ी का नया लुक बनाए रखने में मदद करती है. पेंट का भी बचाव करती है और छोटे-मोटे स्क्रैच भी कार पर आने नहीं देती. सब कुछ इसमें बढ़िया है. लेकिन क्या वाकई में PPF इतने कमाल की चीज है? हमने सोचा कि PPF के बारे में बात करनी चाहिए. माने कि क्या ये कार को वाकई में नया जैसा बनाए रखता है या क्या इसका कोई नुकसान नहीं? लेकिन इन सबसे पहले जान लेते हैं कि PPF है क्या.

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पेंट प्रोटेक्शन फिल्म (PPF) कार के पेंट पर लगाई जाने वाली एक सुरक्षात्मक परत है. ये थर्मोप्लास्टिक यूरेथेन (TPU) से बनी एक ट्रांसपेरेंट, बहुत पतली फिल्म है, जो कार के पेंट को मलबे, पत्थरों, धूप, मिट्टी आदि से बचाती है. इसके ट्रांसपेरेंट होने की वजह से गाड़ी का असली रंग बना रहता है. अच्छी क्वालिटी की PPF में सेल्फ-हीलिंग प्रॉपर्टीज भी होती है, जिससे छोटे स्क्रैच अपने आप गर्म होने पर गायब हो जाते हैं.

अब 'दूर के ढोल सुहावने लागे' ये वाला काम है PPF का. मतलब कि सुनने में ये जितनी अच्छी लगती है, जेब के लिए उतना ही बड़ा सिरदर्द भी है. चलिए बताते हैं कैसे

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कीमत लाखों में

PPF कार की प्रोटेक्शन करने का श्रेय लेता है. लेकिन इसके भाव भी उतने ही ज्यादा है. माने कि अगर आप अच्छी जगह से कार पर फिल्म चढ़वाते हैं, तो इसका प्राइस 90 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक जा सकता है. बाकी, डिपेंड करता है कि आपकी गाड़ी छोटी है या बड़ी है. जितनी ज्यादा फिल्म उतना ज्यादा खर्च. इसके अलावा ये कई तरह की भी होती है. जैसे कि Matte Finish PPF, Hybrid PPF, Coloured PPF आदि. यानी अगर आप चाहते हैं कि कार पर छोटे-मोटे स्क्रैच न दिखे. पत्थर से कार टकरा जाए, तो उसके निशान न लगे, फिर आप जेब से लाखों रुपये खर्च करने के लिए तैयार हो जाइए.

क्वालिटी बहुत जरूरी

चीज महंगी हो. लेकिन क्वालिटी अच्छी मिल जाए, तो वो सामान कामयाब हो जाता है. आपने अक्सर ऐसा कहते हुए लोगों को शायद सुना होगा. PPF का भी वहीं हाल है. महंगी फिल्म चढ़वाई तो बढ़िया और सस्ती PPF करवाया, तो डबल खर्चा.

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फोटो-Pexels

1. जैसे कि कई बार लोग सस्ते के चक्कर में कार पर बेकार क्वालिटी की PPF चढ़वा लेते हैं. जिससे कुछ समय बाद ही ये फिल्म पीली पड़ने लगती है. उसमें दरारें आने लगती है, जो देखने में कार का पूरा लुक बिगाड़ देता है.  

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2. वैसे तो PPF की वारंटी होती है. माने कि 7 साल या 8 साल. लेकिन आप 40 हजार में सस्ती फिल्म कार पर लगवाते हैं, तो हो सकता है कि समय से पहले ही किनारों पर से ये निकलनी शुरू हो जाए. इसके बाद ये देखने में काफी बेकार लगेगी और इसे चेंज करवाना भी काफी महंगा होगा.

3. इसके अलावा, अगर PPF को सही से नहीं लगाया गया, तो इसे दोबारा लगवाने की भी कॉस्ट ज्यादा आएगी.  वहीं, कई बार इन्हें हटाते हुए गाड़ी का पेंट भी निकल सकता है, जिसके बाद डबल खर्चा.

पूरी फिल्म का खर्चा

PPF लगाने में खर्चा आता है, ठीक बात. लेकिन अगर किसी एक जगह से ये फिल्म हटी, तो PPF को वहां से पूरा रिमूव करके लगाना पड़ता है. जैसे कि मान लीजिए एक छोटे से एक्सीडेंट में आपकी गाड़ी के बंपर पर लगी फिल्म थोड़ी हट गई. अब अगर आपने पेंट करवाया होता, तो जहां निशान आए हैं, सिर्फ वहां रंग हो जाता है. लेकिन अब आपने कराई है, PPF तो आपको आगे पूरी फिल्म दूसरी लगवानी होगी. मतलब कि एक और बड़ा खर्चा.

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थर्ड पार्टी का हाथ 

अब अच्छी जगह से PPF कराएंगे, तो वो काम भी उतनी ही सफाई से करेंगे. कहना का मतलब है कि कार पर फिल्म चढ़ाते समय इसे पैनल के अंदर फोल्ड करके रैप किया जाता है. इसके लिए कभी-कभी हेडलाइट, टेललाइट, रूफ रे, ग्रिल, डोर हैंडल या ORVM  कवर निकालना पड़ता है. कई मामलों में बंपर भी. फिल्म चढ़ाने के बाद वो कार के सारे पुर्जे-पुर्जे सेट कर देते हैं. लेकिन फैक्ट्री फिनिश और थर्ड पार्टी फिनिश में कुछ तो अंतर आएगा ही.

फिर लगाए PPF या नहीं?

अगर आप ऐसी जगह रहते हैं, जहां गर्मी बहुत ज्यादा रहती है. या फिर आप अपनी गाड़ी को दोपहर के समय धूप में ही खड़ा करते हैं, तो पेंट प्रोटेक्शन फिल्म पर विचार कर सकते हैं. क्योंकि ये कार के रंग को फीका नहीं पड़ने देती है. लेकिन आपकी गाड़ी अधिकतर समय पार्किंग में खड़ी होती है, तो PPF करवाना आपकी मर्जी है. क्योंकि इसके बिना भी आपकी कार सुरक्षित ही है. बस उन छोटे-मोटे स्क्रैच को छोड़कर.  या फिर कार पर शाइनिंग चाहिए, तो आगे आपको जैसा ठीक लगे.

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