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कार खरीद रहे हैं? चलिए आपके थोड़े पैसे बचाने का एक तरीका बताते हैं

Form 27D Car: कार खरीदते समय लोग पैसे बचाने के लिए खुद ही सारा गुणा-गणित कर लेते हैं. लेकिन एक टैक्स देकर भी आप पैसे बचा सकते हैं. उसके लिए आपको बस फॉर्म 27D भरना होगा.

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TCS 10 लाख से ऊपर की कार पर देना होता है. (फोटो-Business Today)

गाड़ी खरीदने से पहले एक व्यक्ति पूरी कैलकुलेशन करके चलता है कि कहां-कहां पैसा बच सकता है. ठीक बात. लेकिन आपने हाल-फिलहाल में एक गाड़ी खरीदी है या खरीदने का प्लान कर रहे हैं, तो हम आपके कुछ और पैसे बचवा सकते हैं. हम यहां किसी ऑफर या डिस्काउंट की बात नहीं कर रहे, बल्कि टैक्स की बात कर रहे हैं. यानी आप टैक्स देकर भी पैसे बचा सकते हैं. अब मनी सेविंग की बात है, तो बिना इधर-उधर की बात किए बिना सीधे मुद्दे पर आते हैं.

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अगर आपने 10 लाख रुपये (एक्स शोरूम) से ऊपर की एक गाड़ी खरीदी है, तो उसपर आपको कई हजारों रुपये वापस मिल सकते हैं. दरअसल, कार खरीदते समय डीलर कई फॉर्म भरने के लिए देता है. इसमें एक फॉर्म TCS का भी होता है. यानी टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स. इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत ये कर सेलर्स को बायर्स से लेना जरूरी है. इस टैक्स में डीलर आपसे 1 % TCS चार्ज करता है. माने कि अगर एक गाड़ी 30 लाख रुपये की है और उसपर 1 % TCS लगता है, तो आपको 30 हजार रुपये और देने होंगे.  

लेकिन अब आपके मन में सवाल आ सकता है कि 'अरे भइया, ये तो टैक्स की बात हुई. यहां पैसा कैसे बच रहा है?' तो बात ऐसी है कि ये 1%  टैक्स कोई एक्स्ट्रा टैक्स नहीं है, बल्कि ये तो वापस मिलने वाला टैक्स है.  दरअसल, कार की खरीदारी पर जब TCS कटता है, तो ये Pan Card से लिंक किया जाता है. ऐसे में आप इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते समय इस 1% टैक्स को वापस ले सकते हैं. इसके लिए आपको बस अपने डीलर से 27D फॉर्म लेना है और ITR के साथ सबमिट कर देना है.

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TCS यानी टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स. (फोटो-Business Today)

फॉर्म 27D सरकार की तरफ से जारी एक ऑफिशियल सर्टिफिकेट है. ये फॉर्म कंफर्म करता है कि डीलर या विक्रेता ने आपसे TCS लिया है और उसे आपके Pan नंबर के आधार पर आयकर विभाग में पास जमा कर दिया है.

ऐसे में जब आप ITR के साथ 27D फॉर्म सबमिट करेंगे, तो आपको 40 लाख रुपये की कार पर 40 हजार रुपये और 50 लाख की कार पर 50 हजार रुपये वापस मिल सकते हैं. हालांकि, आजकल ITR फाइल करते समय फॉर्म 27D को अपलोड करने की जरूरत नहीं होती है. क्योंकि डीलर ने अगर TCS ठीक से जमा किया है, तो वह अपने-आप आपके फॉर्म 26AS या AIS में दिख जाएगा. लेकिन डीलर से फॉर्म 27D लेना जरूरी है. ताकि जरूरत पड़ने पर आपके पास लिखित में सर्टिफिकेट हो. 

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फॉर्म 27D लेना क्यों जरूरी

27D फॉर्म एकमात्र ऑफिशियल सर्टिफिकेट है, जो बताता है कि विक्रेता ने जो TCS काटा है, वो आपके नाम पर जमा कर दिया गया है. इसके अलावा, ये फॉर्म डीलर की गलती से भी आपको बचा सकता है. डीलर रोजाना कई लेन-देन करते हैं. ऐसे में उनसे पैन या फाइलिंग में छोटी सी भी गलती हो जाए, तो ये बड़ी परेशानी की वजह बन सकती है. माने कि डीलर अगर आपकी जानकारी ठीक से जारी या अपलोड करना भूल जाते हैं, तो TCS क्रेडिट आपके रिकॉर्ड में दिखाई नहीं देगा. लेकिन सर्टिफिकेट होने से आप एक सेफ जोन में रहेंगे. यानी की डीलर की गलती से आपके टैक्स पर असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि आपके पास फॉर्म 27D एक सबूत होगा कि आपने टैक्स दिया है.

खैर, अब आपको TCS का पूूरा गुणा-गणित पता लग चुका है और हाल फिलहाल में कार खरीदी है. तो अगले साल ITR भरते समय ये 1 प्रतिशत चार्ज भी रिफंड करवा लीजिए. क्योंकि पैसे चाहे 50 हजारु रुपये हो या 10 हजार रुपये. अकाउंट में आते हैं, तो अच्छा लगता है.

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