गाड़ी और फ्यूल. दोनों एक ही नाव पर सवार हैं. गाड़ी चलेगी तो फ्यूल उड़ेगा. गाड़ी नहीं चलेगी तो फ्यूल भी शांत बैठा रहेगा. सबसे बड़ी बात, ये दोनों ही महंगे हैं. माने एक बार महंगी गाड़ी खरीदी तो बार-बार महंगा फ्यूल खरीदते रहो और पेट्रोल के दाम तो वैसे ही आसमान छू रहे हैं. यही वजह है कि लोग एक-एक बूंद बचाने के लिए लगे रहते हैं. शोरूम में जाकर भी ये ही पूछते हैं कि 'ये कार माइलेज क्या देगी'. क्योंकि ये तो जरूरी है ही. इसलिए मॉर्डन कारों में अब कंपनियां फ्यूल एफिशिएंसी पर लगातार काम कर रही हैं. ऐसे ही ईंधन बचाने वाले एक फीचर का नाम है Auto stop-start.
तेल बचाने के चक्कर में खरीदी ऑटो स्टॉप-स्टार्ट वाली कार, मगर खर्चा बढ़ गया बाकी पार्ट्स में
Auto stop-start: रेड लाइट या ट्रैफिक में फंसे रहने की स्थिति में जब इंजन खुद से बंद हो जाता है, तो इसे ऑटो स्टॉप-स्टार्ट कहते हैं. ये फीचर कार में फ्यूल बचाने और पॉल्यूशन कम करने के लिए लाया गया है. लेकिन इसके कुछ नुकसान भी है.

इसे idle start-stop भी कहा जाता है. ये सिस्टम कार इंजन को खुद से बंद और चालू कर देता है. इसे ऐसे समझिए, आप ट्रैफिक में फंसे हुए हैं या रेड लाइट पर आपने कार रोकी है, तो ये फीचर अपने सेंसर से खुद समझ जाएगा कि अब पेट्रोल बचाने का समय है. फिर ये खुद से इंजन को बंद कर देगा. जब आप एक्सीलेटर पर पैर रखकर कार को स्पीड देंगे, तो ये इंजन को दोबारा से चालू कर देगा. इसका सिंबल A Off करके आपको कार में दिख जाएगा. ये सिस्टम ऑटोमेटिक और मैनुअल ट्रांसमिशन (गियरबॉक्स) दोनों में होता है. लेकिन दोनों में ये अलग तरीके से काम करता है.

ट्रैफिक जाम या रेड लाइट पर आपकी कार ड्राइविंग मोड में है. मतलब कि D पर है. आप चाहें तो कार को न्यूट्रल भी कर सकते हैं. चाहें तो पार्किंग मोड में कर लीजिए. मुमकिन है कि अगर सिंगल लंबा हुआ या फिर लंबा जाम हुआ, तो आप कार को P (पार्किंग) मोड में ही ले जाएंगे. कुछ भी करेंगे लेकिन पूरे चांस हैं कि आप गाड़ी का इंजन बंद नहीं करेंगे और ब्रेक पर पैर रखा रहेगा.
अब इस सिचुएशन (गाड़ी के कुछ सेकंड रुके रहने पर) में गाड़ी के मॉडल के हिसाब से इंजन 3 से 4 सेकंड या 10 सेकंड बाद ऑटोमेटिकली बंद हो जाएगा. जब आप दोबारा से स्पीड पर पैर रखेंगे तो इंजन फिर से चालू हो जाएगा.
मैनुअल ट्रांसमिशनमैनुअल ट्रांसमिशन में जब आप ट्रैफिक या रेड लाइट पर कार को न्यूट्रल पर करके, क्लच से पैर छोड़ेंगे, तो ये फीचर अपना काम शुरू कर देगा. फिर जब आप क्लच पर पैर रखकर गाड़ी को स्पीड देंगे, तो इंजन फिर से काम करने लगेगा.
कुल मिलाकर, ये फीचर ईंधन की भी बचत करता है और पर्यावरण का भी ख्याल रखता है. क्योंकि कार के इंजन बंद करते ही पॉल्यूशन भी कम होगा. लेकिन, लेकिन, लेकिन क्या वाकई में ये स्मार्ट फीचर हमारी जेब खाली होने से बचाता है, तो जवाब है नहीं. ये फीचर सुनने में जितना अच्छा लगता है, उतना ही ये एक समय बाद जेब खाली करवाता है. पहले ये भी बता दें कि ये फीचर कार चलते ही शुरू नहीं होता है, बल्कि एक स्पीड पकड़ने या 5 या 6 किलोमीटर चलने के बाद चालू होता है. सभी कार मॉडल के हिसाब से ये फीचर अलग तरीके से काम करता है.
इंजन बंद होने पर, ऑयल का फ्लो पूरा बिगड़ जाता है. क्योंकि इंजन को रीस्टार्ट करने में तेल को वापस प्रेशर बनाने में थोड़ा समय लगता है. वहीं, टर्बो इंजन, कूलिंग के लिए निरंतर ऑयल फ्लो पर निर्भर रहता है. ऐसे में जब ये प्रोसेस बार-बार होती है, तो समय के साथ इंजन के कुछ पुर्जों का पर असर पड़ता है. यानी इंजन की परफॉर्मेंस एक समय पर अपना ‘बेस्ट ऑफ बेस्ट’ नहीं दे पाएगी. बता दें कि एक नॉर्मल कार अपने पूरी जीवन में लगभग 50 हजार बार इस प्रक्रिया से गुजर सकती है. मतलब इंजन के ऑफ और ऑन होने से. लेकिन ऑटोमेटिक स्टॉप-स्टार्ट में ये आंकड़ा तकरीबन दोगुना हो जाता है.

इंजन बार-बार स्टार्ट होने के लिए बैटरी से पावर लेता है और जब इंजन को बार-बार रीस्टार्ट होना पड़ता है, तो वो बैटरी से ताकत मांगता है. ऐसे में जब बैटरी बार-बार बंद और चालू होती है, तो उसकी लाइफ भी कम हो जाती है. बता दें कि बैटरी रिप्लेसमेंट काफी महंगा होता है. अगर किसी कार में ये फीचर मिलता है, तो उस कार में AGM या EFB जैसी महंगी बैटरी होनी चाहिए. इन बैटरी को डिजाइन ही बार-बार इंजन के बंद और शुरू होने की प्रक्रिया को झेलने के लिए किया गया है.
दोबारा चलने में नखरेकार चल रही है या नहीं. ये देखकर ऑटो स्टॉप-स्टार्ट अपना काम करता है. मतलब कि पेट्रोल का पैसा वसूल. लेकिन कई बार ये फंक्शन, स्मूथली स्टार्ट नहीं होता है. यानी जब आप एक्सीलेटर पर पैर रखेंगे, तो इंजन को चालू होने में कुछ सेकंड का समय लगा सकता है. यानी कई बार आपको तुरंत स्पीड नहीं मिल सकती है. गाड़ी का इंजन जब स्टार्ट होता है, तो एक ‘इंजन पिन’ करके प्रोडक्ट होता है, वो भी खराब होता है.

ये फीचर जब इंजन बंद करता है, तो AC भी अपने आप बंद हो जाता है. क्योंकि AC चलने के लिए इंजन से पावर लेता है. ऐसे में जब इंजन बंद होता है, तो AC भी आराम करने लगता है. अगर आप रेड लाइट पर हैं और सिर्फ कुछ सेकंड ही रुकना है, तो कोई बात नहीं. पर अगर आप ट्रैफिक में फंस गए और बाहर आग के गोले बरस रहे हैं, तो आपका गर्मी में हाल-बेहाल होने वाला है.
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यहां सबसे अच्छी बात है कि आप इस सिस्टम को जब मर्जी तब ऑफ कर सकते हैं. लेकिन एक बैड न्यूज ये है कि कई कारों में इसे टर्न ऑफ करने का ऑप्शन ही नहीं मिलता है. अगर आपको लगता है कि बाद में कभी इसे बंद करने की जरूरत पड़ सकती है, तो आप कार खरीदते समय ही चेक कर लें कि इस मोड को आप बंद कर सकते हैं या नहीं.
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