10 Jan 2025
Author: Shivangi
हर इंसान का अपने दुखों से लड़ने का तरीका अलग होता है. कुछ लोग इससे जल्दी डील कर लेते हैं. वहीं, कुछ लोगों को ज्यादा वक्त लगता है. लेकिन ज्यादा दिन तक दुखी रहने से मेंटल हेल्थ और फिजिकल हेल्थ पर भी काफी असर होता है.
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लंबे समय तक लोग कई कारणों से दुख में डूबे रहते हैं. जिसके पीछे निधन, रिश्ते का टूटना, खराब सेहत जैसे कारण हो सकते हैं.
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1969 में अमेरिका की डॉक्टर एलिजाबेथ कुबलर रॉस ने दुख को 5 हिस्सों में बांटा था, जिसमें सबसे पहला हिस्सा अस्वीकार करना, दूसरा गुस्सा, तीसरा मोल-भाव, चौथा उदासी और पांचवा स्वीकार करना है.
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शोक से बाहर निकलने के लिए अपने दर्द को लोगों से छिपाएं नहीं. दुख के बारे में खुलकर बात करें. दोस्त और परिवार के साथ समय बिताएं.
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अपने खानपान का ध्यान रखें. फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान दें. मेडिटेशन, योग या फिर जिम भी जॉइन कर सकते हैं.
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लोगों से सलाह लें, लेकिन खुद को समझें. दुखों से लड़ने का सबका अपना-अपना तरीका होता है. किसी भी व्यक्ति की थोपे हुए सलाह को न मानें.
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नशे जैसी चीजों के सहारे से बचें. नशा करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर असर पड़ता है.
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जो भी ख्याल मन में चल रहा हो, अगर उसे व्यक्त नहीं कर पाते हैं तो उसे लिखकर समझने की कोशिश कर सकते हैं.
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