बॉलीवुड फिल्मों के सबसे यादगार डायलॉग 

26 Apr 2025

Author: Ritika

हम जब भी कोई फिल्म देखते हैं, तो सिर्फ फिल्म ही नहीं देखते हैं. उसमें एक्टर्स की एक्टिंग, डायलॉग, कैमरा वर्क सब पर हमारा ध्यान जाता है. 

फिल्में

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ऐसे में चलिए कुछ उन बॉलीवुड फिल्मों के बारे में भी बात कर लेते हैं, जिनके डायलॉग आजतक यादगार बने हुए है. क्योंकि ये कहीं न कहीं हमें शायद आगे बढ़ने की हिम्मत देते हैं.

डायलॉग

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"बाबू मोशाय, जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं." कई लोग आज तक ये डायलॉग दोहराते हैं.

आनंद (1971)

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"सक्सेस के पीछे मत भागो, Excellence का पीछा करो, सक्सेस झक मारके पीछे आएगी. " ये खूबसूरत डायलॉग बताता है कि हमें खुद पर काम करना है, सक्सेस तो फिर मिल ही जानी है.

3 इडियट्स (2009)

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"कभी किसी को इतना भी मत डराओ की डर ही खत्म हो जाए." किसी की सहनशीलता का ज्यादा परिश्रम नहीं लेना चाहिए. ये डायलॉग ये ही बताने की कोशिश करता है.

मेरी कॉम (2014)

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ये जवानी है दीवानी में खूबसूरत डायलॉग की भरमार है. लेकिन इसका डायलॉग "मैं उड़ना चाहता हूं, दौड़ना चाहता हूं, गिरना भी चाहता हूं...बस रुकना नहीं चाहता." शायद हम सभी का फेवरेट है.

ये जवानी है दीवानी (2013)

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"अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है." यानी किसी चीज को पाने के लिए आप पूरी मेहनत करते हैं, तो वो आपको मिल ही जाती है.

ओम शांति ओम (2007)

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"जब लोग तुम्हारे खिलाफ बोलने लगे, समझ लो तरक्की कर रहे हो." ये डायलॉग बताता है कि जब आप कामयाब होने लगते हैं, तो लोग आपसे जलने लगते हैं और आपके खिलाफ हो जाते हैं.

गुरु (2007)

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