आज की फिल्म है ‘आर्टिकल 15’. ‘मुल्क’ के बाद अनुभव सिन्हा एक और सोशल मैसेज वाली फिल्म लेकर आए हैं. इस बार और भी संवेदनशील सब्जेक्ट है. भारतीय समाज के एक कलेक्टिव फेलियर पर बात करती है ये फिल्म. जातिवाद पर. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 देश में किसी भी तरह के भेदभाव को नकारता है. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग किसी भी आधार पर. लेकिन क्या असल में ऐसा होता है? आप भी जानते हैं, हम भी जानते हैं कि नहीं होता. नहीं ही होता. हम-आपकी इस वास्तविकता से मुंह छुपाकर निकल जाने की कायरता को चैलेंज करती है अनुभव सिन्हा की ‘आर्टिकल 15’.