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टेलीग्राम पर बैठे ये कौन लोग हैं जो 10,000 रुपए में iPhone 12 बेच रहे?

ये स्कैम है या कुछ और?

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टेलीग्राम पर कुछ चैनल सस्ते में स्मार्टफ़ोन दिलाने का बोल रहे हैं.
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अभय शर्मा
1 दिसंबर 2020 (Updated: 1 दिसंबर 2020, 12:16 PM IST) कॉमेंट्स
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अगर हम आपसे कहें कि हमारे पास एक जुगाड़ है जहां 6,000 रुपए में PS4, 10,000 रुपए में आईफोन 12 और 12,000 रुपए में एक मैकबुक प्रो के साथ आईफोन 11 प्रो मैक्स फ़्री में मिलेगा. मगर इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए आपको हमें 6,000 रुपए एडवांस में देने होंगे. अब हमारा आपसे एक सवाल:
इस स्कीम को सुनकर आपको कैसा फ़ील हो रहा है?
ऑप्शन A) ये जुगाड़ और कुछ नहीं चोरी का माल है! ऑप्शन B) ये ठग विद्या का खेल है, जिसमें 6000 रुपए की चपत लगेगी! ऑप्शन C) बढ़िया डील है, पैसे कहां और कैसे भेजूं? ऑप्शन D) थोड़ा सही-सही लगा लो!
ऑप्शन D वालों से तो हमें बात ही नहीं करनी है. ये लोग उस लेवल पर खेल रहे हैं जहां हमारे और आपके जैसे लोग कभी पहुंचने की कामना भी नहीं कर सकते. लेकिन अगर ये स्कीम सुनते ही आप पहले, दूसरे और तीसरे ऑप्शन में कन्फ्यूज़ हो गए हैं तो आप सही जगह पर तशरीफ़ लाए हैं.
मगर स्पॉइलर अलर्ट: ये स्कीम असल में एक गोरख धंधा है जो ऑप्शन B तो है ही मगर कभी कभी ऑप्शन A पर भी सही बैठती है. कैसे? बताते हैं. थोड़ा शुरू से शुरू करते हैं. क्योंकि ये ठगी सिर्फ़ आईफोन और मैकबुक की रेट लिस्ट पर लागू नहीं होती बल्कि बहुत से ऑनलाइन खरीदारी वाली चीजों पर लगती है.
टेलीग्राम पर पनपते हैं ऐसे गोरख धंधे!
टेलीग्राम बड़ी बढ़िया जगह है. हर चीज़ के लिए चैनल हैं और सब को अपने मन पसंद का कुछ न कुछ मिल ही जाता है. मगर जब तक हर बढ़िया चीज़ की नास
न मार दी जाए तब तक इंसान को सुकून कहां ही है. असल में हमें हमारे एक व्यूअर ओंकार वर्मा ने ईमेल करके बताया कि टेलीग्राम पर कुछ लोग सस्ते दामों पर फ़ोन दिलाने का बोलकर लोगों को ठग रहे हैं. हमने पड़ताल बिठाई तो पता चला कि बहुत से टेलीग्राम चैनल बने हुए हैं जहां हजारों रुपए में लाखों का आइटम बिक रहा है.
Tg 1
सस्ते में फ़ोन, गैजेट दिलाने का दावा करने वाला एक टेलीग्राम पोस्ट.

क्या होता है इन चैनल्स पर?
ये सारे चैनल अपनी एक रेट लिस्ट डालते हैं जहां लाख दो लाख का सामान बस 10 से 15 हज़ार रुपए में देने का दावा होता है. मगर कुछ भी सामान लेने से पहले आपको कुछ पैसे एडवान्स में देना होता है. कोई चैनल वाला 6000 रुपए मांगता है तो कोई 2000 रुपए. नीचे लगे हुए स्क्रीनशॉट देखिए:
Tg Rate List
टेलीग्राम चैनल वालों की रेट लिस्ट.

ये कहते हैं कि एडवांस लेने के बाद ये ऐमज़ॉन से आपका ऑर्डर प्लेस करेंगे. ऑर्डर प्लेस होने के बाद स्क्रीनशॉट भेजेंगे जिसके बाद आपको बाक़ी का पैसा देना होगा. अगर बाक़ी का पैसा नहीं दिया तो ऑर्डर कैन्सल. इसके साथ ही इनके चैनल पर झारों-झार “डिलीवरी के प्रूफ़” पड़े होते हैं. मतलब कि कस्टमर से की हुई चैट के स्क्रीनशॉट जहां सामने वाला इनको रिसीव किए हुए सामान की पिक्चर एक थैंक-यू के साथ भेजता है. नीचे लगे हुए स्क्रीनशॉट देखिए:
Proof
इनके दिखाए हुए प्रूफ़.

इसके साथ ही एक लाइन है जो ये सारे चैनल वाले इस्तेमाल करते हैं: “Guys I Don’t Claim That I’m Trusted! But My work Shows That”. हालांकि अंग्रेजी सही नहीं है पर इतना समझ आता है कि ये बता रहे हैं, “देखो भाई, हम नहीं कह रहे हैं कि हम भरोसेमंद हैं, मगर हमारा काम दिखता है.”
चूंकि हमने बहुत सारे ऐसे ही टेलीग्राम चैनल जॉइन कर डाले तो एक चीज़ और पता चली. कई टेलीग्राम चैनल एक ही जगह से चलाए जा रहे हैं. क्योंकि एक ही मैसेज, उन्हीं पिक्चर्स के साथ, एक साथ कई चैनल पर ऐडमिन की तरफ़ से आता है. ऐसा भी हो सकता है कि कुछ दोस्तों का ही एक ग्रुप ये सारा काम अलग-अलग चैनल से कर रहा हो. इसलिए सबके मैसेज का टेम्पलेट और स्टाइल एक है.
This Is Business
ये है गोरख धंधा.

कैसे दिलाते हैं ये डील?
ये सभी टेलीग्राम चैनल वाले दावा करते हैं कि ये कार्डिंग के ज़रिए ऐसी सस्ती डील दिलवाते हैं. अब भला ये क्या बला है? सीधे शब्दों में कहें तो कार्डिंग चोरी है. किसी दूसरे इंसान के क्रेडिट कार्ड या बैंकिंग डिटेल की चोरी.
I Do Carding
ये चैनल वाले कार्डिंग करके सस्ते में प्रोडक्ट दिलाने का दावा करते हैं.

हैकर लोगों के क्रेडिट कार्ड वग़ैरह की जानकारी चुराकर डार्क वेब पर बेचने के लिए डालते हैं. और यहां कोई भी शख्स इस जानकारी को खरीद सकता है. अगर आपको नहीं पता कि डार्क वेब क्या है तो शॉर्ट में ये समझ लीजिए कि ये वो जगह है जहां गूगल और बिंग जैसे सर्च इंजन नहीं पहुंचते और न ही सरकारें इनको कंट्रोल कर सकती हैं. किसी भी तरह की इल्लीगल ऐक्टिविटी के लिए साइबर क्रिमिनल डार्क वेब का ही इस्तेमाल करते हैं. डीप वेब इससे अलग होता है पर ये टॉपिक किसी और दिन के लिए छोड़ देते हैं.
हां तो हम बता रहे थे कि ये टेलीग्राम चैनल वाले कार्डिंग करने का दावा करते हैं. यानी डार्क वेब से क्रेडिट कार्ड की डीटेल खरीद कर उसी से आपके लिए ऑर्डर कर देते हैं. तो आप ये समझिए कि आपके 50,000 रुपए के फ़ोन का बिल किसी और के सिर पर फटता है.
तो ये ठगी नहीं चोरी का माल है?
कार्डिंग वाली स्टोरी तो खुद इन टेलीग्राम चैनल वालों की तरफ़ से आई है. इस बात का कोई प्रूफ़ नहीं है. और रही बात इनके डिलिवरी वाले प्रूफ़ की तो वो ऐसा ही है जैसे “गोलमाल” मूवी में भेस बदले हुए अजय देवगन और अरशद वारसी ने अपने अंधे होने का सबूत दिया था और “अंदाज अपना-अपना” में आमिर खान उर्फ़ अमर ने अपने फुटबॉल चैम्पियन होने का.
Lagta Hai Barf Padne Wali Hai 700
ये सबूत भी कैसा सबूत है. (फ़ोटो: गोलमाल)

हमारा मतलब है कि ऐसे स्क्रीनशॉट और पिक्चर्स का जुगाड़ करना कोई मुश्किल काम नहीं होता. क्या पता कोई ठग बस कार्डिंग का नाम लेकर पैसे ऐंठ रहा हो.
असल में ये क्या है इसके बारे में जानने के लिए हमने अपने एक मित्र को याद किया. इनका पाला भांति-भांति के ऑनलाइन ठगों से पड़ता रहता है. कार्डिंग वालों के दावों को चेक करने के लिए एक बार ये मैदान में भी कूदे थे. ये बताते हैं:
“कार्डिंग लोग करते हैं और वो सच में ऐसे चोरी के पैसों से सस्ते में सामान दिलाते हैं. हमको ऑनलाइन ही एक बंदा मिला था जो बोला कि पबजी मोबाइल के 6000 UC वो सिर्फ़ 2000 रुपए में दिलवा देगा. एक UC 1.4 रुपए का होता है इस हिसाब से 6000 UC 8400 रुपए के बने. हम भी सोचे इसको आज ट्राइ कर ही लिया जाए. बस धांधली है या कुछ सच्चाई भी है. फ़िर पेमेंट हो गया और तब पता चला कि ये तो I know a guy who knows a guy वाली सिचूऐशन है. मतलब कि इस बंदे ने दूसरे को कान्टैक्ट किया और फ़िर उसने किसी और को और तब कहीं आगे जाकर कार्डिंग वाले बंदे से UC मिले.”
ये आगे कहते हैं:
“कार्डिंग चोरी साइबर क्राइम तो है ही मगर इसमें ठगी का भी बहुत स्कोप है. हमें तो UC मिल गया मगर कइयों के पैसे बर्बाद भी हुए हैं. पहली बात तो कार्डिंग वाला बंदा ही अगर पैसे मिलने के बाद गाली बककर ब्लॉक मार दे तो हम क्या ही कर लेंगे. यही हाल टेलीग्राम पर मिलने वाले सस्ते फ़ोन का है. अगर ये सच में भी कार्डिंग कर रहे हैं, तब भी ज़रूरी नहीं कि आपको प्रोडक्ट दिला ही दें. पैसे तो इनको पहले ही मिल गए हैं, ब्लॉक मारने में कितनी ही देर लगेगी.”
ये कहते हैं कि ज़्यादातर कार्डिंग करने वाले क्रेडिट कार्ड की लिमिट जितना कैश पहले ही अपने पेपाल या दूसरे वॉलेट में जोड़ लेते हैं. उसके बाद ये उसे खरीदारी में इस्तेमाल करते हैं. तो इसलिए हमारी समझ में ये बात नहीं आ रही कि ये साइबर क्रिमिनल कार्डिंग से चोरी किया हुआ पैसा होल्ड करके दूसरों से छोटी-मोटी रकम लेकर उनके लिए ऐमज़ॉन से ऑर्डर क्यों करते हैं? जब इनको सामान पर पक्का बिल वग़ैरह मिल ही रहा है तो ये डायरेक्ट सारे पैसे से आईफोन वग़ैरह मंगाकर मार्केट में या OLX पर बेच सकते हैं.
हमारे मित्र फिर बताते हैं:
“इंस्टाग्राम पर कई सारी ऐसी शॉप हैं जो बस ठगी करने के लिए बैठी हुई हैं. असली वाली शॉप से प्रोडक्ट की पिक्चर्स, रेट, स्टॉक की फ़ोटो, और कस्टमर से चैट के स्क्रीनशॉट उठाते हैं, अपने पेज पर डालते हैं, और प्रूफ-प्रूफ़ चिल्लाते हैं. सामान खरीदने के लिए इनको पेमेंट करो और ये सामने से ब्लॉक मार देते हैं. इतना ही आसान है टेलीग्राम पर भी कार्डिंग का बोलकर ठगी का धंधा खोलना.”
निचोड़ क्या है?
अगर इस पूरे मामले को समेटा जाए तो तीन चीजें निकलती हैं--
1) पॉसिबल है कि ये टेलीग्राम चैनल वाले कार्डिंग करते ही न हों, बस आपके पैसे खाने के लिए सारा नाटक बिछा रखा हो. 2) ऐसा भी पॉसिबल है कि चैनल वाला कार्डिंग करता हो मगर फ़िर भी आपके पैसे लेकर आपको कोई प्रोडक्ट न भिजवाए. 3) और अगर ये कार्डर किसी तरह से आपको सामान भिजवा भी दे तो आप क्राइम में हिस्सेदार बन रहे हैं.
बहरहाल ओंकार वर्मा जी का तो यही कहना है सामान मिलता ही नहीं है. ये लोग सीधे से एडवान्स में पैसा लेकर ब्लॉक मार देते हैं. और सारा खेल वहीं खत्म.
तो हमारी तो यही राय है कि ऐसी इल्लीगल ऐक्टिविटी से जितना दूर हो सकें, उतना दूर रहें, सजग रहें. एडवान्स में पैसे सिर्फ़ जान पहचान के भरोसे के इंसान को दीजिए. और अगर सस्ते दाम पर स्मार्टफ़ोन या गैजेट चाहिए तो फ़्लिपकार्ट और ऐमज़ॉन पर लगने वाली सेल पर झपट्टा मारिए टेलीग्राम पर नहीं. वरना फ़िर लोग माचिस जलाकर यही कहेंगे, “ई तो साला होना ही था.”
Ee To Sala Hona Hi Tha

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