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स्मार्टफोन का डेटा चुराने वाली कंपनी बड़ी बेशर्म निकली, Meta, Amazon, Google को बेचती है

हमेशा से ऐसा माना जाता रहा है कि स्मार्टफोन हमारी बातचीत सुनते हैं. मगर ऐप डेवलपर्स से लेकर स्मार्टफोन मेकर्स तक इसको नकारते रहे हैं. मगर अब जाकर एक कंपनी ने इसको माना है. कंपनी का कहना है कि वो यूजर्स की बातचीत सुनती है और फिर उसके मुताबिक स्क्रीन पर विज्ञापन परोसती है.

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Active Listening software is a tech that uses phone's microphone to collect data
कोई आपकी बातें सुन रहा है
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सूर्यकांत मिश्रा
4 सितंबर 2024 (Published: 23:28 IST)
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एक अपराध है जो कई सालों से हो रहा है. अपराधी कौन है, ये भी सभी को पता है. मगर कभी किसी को सजा नहीं हुई. कारण, कभी सबूत नहीं मिले. ऐसे में अपराध साबित करने का एक ही तरीका बाकी रह जाता है. अपराधी खुद गुनाह कबूल कर ले. मगर वो ऐसा क्यों करेगा भला? एक अपराध में ऐसा हो गया है. अपराधी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. हालांकि इसके बाद भी सजा मिलेगी, इस पर संदेह है. कोई कार्रवाई होगी, ये भी कहना मुश्किल है. पर्याप्त सस्पेंस बना लिया, अब मुद्दे पर आते हैं. 

मुद्दा स्मार्टफोन में यूजर की प्राइवेसी का. हमेशा से ऐसा माना जाता रहा है कि स्मार्टफोन हमारी बातचीत सुनते हैं. मगर ऐप डेवलपर्स से लेकर स्मार्टफोन मेकर्स तक इसको नकारते रहे हैं. अब जाकर एक कंपनी ने इसको माना है. उसका कहना है कि वो यूजर्स की बातचीत सुनती है और फिर उसके मुताबिक स्क्रीन पर विज्ञापन परोसती है. कंपनी का नाम…

Cox Media Group

पता है आपको लगा होगा कि गूगल बाबा को आत्मज्ञान हो गया या मेटा के अंदर कुछ अच्छा करने की मनसा जाग गई. नहीं जनाब, दरअसल यूजर की बातचीत सुनने की स्वीकारोक्ति तो Cox Media Group ने दी है. इतना पढ़कर जो आप ‘अरे यार ये क्या बात हुई’ वाले मूड में जाने वाले हैं तो तनिक रुक जाइए. Cox Media Group के सबसे बड़े ग्राहक तो गूगल और मेटा ही हैं. मतलब कान इधर से पकड़ो या उधर से. ये कंपनी अपना डेटा इन टेक दिग्गजों को बेचती है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है.

ये कंपनी करती क्या है?

Cox Media Group अमेरिकी मार्केट में टेलीविजन और रेडियो जगत की बहुत बड़ी कंपनी है. टीवी और रेडियो के माध्यम से अमेरिका के 6 करोड़ यूजर्स को कवर करती है. आसान भाषा में कहें तो तमाम कंपनियों के प्रोडक्ट का प्रचार देखती है. जाहिर सी बात है इसके लिए सबसे जरूरी टूल है डेटा. यूजर की पसंद-नापसंद से लेकर उसकी जरूरत तक, सब पता करना है इसे. डेटा जो कोई भी यूजर मांगने से भी नहीं देता. इसलिए कंपनी घुस गई स्मार्टफोन के माइक्रोफोन में. इसमें ज्यादा हैरान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि कई सारे ऐप्स हमसे इसकी परमिशन मांगते हैं. मसलन कैमरा, कॉन्टैक्ट, लोकेशन और माइक्रोफोन एक्सेस का. एक बार जो ओके कर दिया तो आपने खुद ही डेटा देने की हामी भर दी.  

Cox Media Group: company, which cooperates with Facebook, Google, and Amazon, is listening to users to collect data
स्मार्टफोन में चाय का विज्ञापन (सांकेतिक तस्वीर)

इसके बाद जो यूजर ने कुछ बोला, मसलन मुझे चाय पीनी है, तो फट से चाय से जुड़े प्रोडक्ट का विज्ञापन स्क्रीन पर बिलबिला जाता है. Cox Media Group ने यही डेटा कलेक्ट किया और फिर संबंधित कंपनियों को बेच दिया. कंपनी के इस कारनामे की पोल खोली है 404 Media नाम के ग्रुप ने. इसके मुताबिक Cox Media Group ने अपने इन्वेस्टर्स के सामने इस बात को स्वीकारा है. कंपनी इसके लिए Active Listening Technology का उपयोग करती है और रियल टाइम में डेटा कलेक्ट करके आगे बढ़ा देती है. कंपनी अपने काम में इतनी एक्सपर्ट है कि बातचीत के डेटा से यूजर के व्यवहार का अंदाजा भी लगा लेती है. मतलब विज्ञापन देने वाले की चांदी ही चांदी. अगला सवाल, रिपोर्ट आने के बाद क्या हुआ?

मेटा का एक्शन

क्योंकि मेटा, ऐमजॉन और गूगल जैसे दिग्गज इसके ग्राहक हैं तो जवाब भी इनसे ही पूछा जा रहा. मेटा ने पूरे मामले की छानबीन करने को कहा है. मतलब कंपनी इस बात की जांच करेगी कि क्या वाकई Cox Media Group ने इसी तरीके से डेटा कलेक्ट किया है. ऐमजॉन ने इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है और कंपनी के किसी भी डेटा से अपनी संलिप्तता को नकारा है. मतलब जैसा हमने कहा, पूरी कयावद ढाक के तीन पात. अपराध और अपराधी सामने मगर होना-जाना कुछ नहीं.

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