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Smartphone के नाम पर क्या धोखा हो रहा आपके साथ!

एक जैसे प्रोसेसर वाले दो स्मार्टफोन अच्छा और बुरा कैसे परफ़ॉर्म करते हैं. डॉलर के नाम पर अनाप-शनाप कीमत क्यों वसूली जाती हैं.

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Are smartphone companies making consumers fool by their number game of megapixels and RAM and processor
स्मार्टफोन लेने से पहले ये जानना बहुत जरूरी. (image-sayingimages)
18 अगस्त 2022 (Updated: 18 अगस्त 2022, 09:21 IST)
Updated: 18 अगस्त 2022 09:21 IST
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क्या स्मार्टफोन मेकर्स शानदार जबरदस्त जिन्दाबाद जैसे लगने वाले फीचर्स और धुआंधार स्पेसिफिकेशन के नाम पर बेवकूफ बनाती हैं. अगर नहीं बनाती तो फिर 100 मेगापिक्सल के कैमरे से औसत फोटो और 12 मेगापिक्सल से कमाल फोटो क्यों आते हैं. बड़ा झोल है जिसके बारे में आपका जानना बेहद जरूरी है वरना बेवकूफ बनते रहेंगे. 

पिछले हफ्ते जब मोटोरोला ने दुनिया का पहला 200 मेगापिक्सल वाला स्मार्टफोन दुनिया के सामने पेश किया तो टेक जगत में एक नई बहस छिड़ गई. आम यूजर के नजरिए से देखें तो लगेगा कि बस अब तो झमाझम फोटो आएंगे. लेकिन टेक एक्सपर्ट इससे इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते. कई सारे टेक पंडितों ने साफ-साफ कहा. 200 मेगापिक्सल की जगह अगर 50 मेगापिक्सल बड़े सेंसर के साथ मिले तो बहुत अच्छा. वैसे भी उनकी बात में दम लगता है क्योंकि आज भी कई सारे फ्लैग्शिप स्मार्टफोन सिर्फ 12 मेगापिक्सल कैमरे से कमाल फोटो निकालते हैं. बहस एक तरफ और भेड़चाल एक तरफ. अब कुछ ही दिनों में 200 मेगापिक्सल वाले समर्टफोन की लाइन लग जाएगी. दुख थोड़ा कम होता अगर ये सारे स्मार्टफोन एक जैसी अच्छी फोटो क्लिक करते. पर नहीं होता है ऐसा. एक तरफ कोई मिडरेंज डिवाइस ठीक ठाक फोटो क्लिक करेगा तो दूसरी तरफ एक फ्लैग्शिप शायद निराश करे. कैमरे मिलते हैं पांच-पांच लेकिन फोटो कुल मिलाकर एक भी ढंग का नहीं आता.  

फोटो से बाहर निकलें तो बात आती है प्रोसेसर की. इधर प्रोसेसर बनाने वाली कंपनी ने लॉन्च किया नहीं उधर तमाम स्मार्टफोन मेकर्स में होड़ लग जाती है. पहले मैं पहले मैं करते हुए. टॉप नोच प्रोसेसर लेकिन परफॉर्मेंस में जमीन आसमान का अंतर. बुक्का फाड़ के आपको लेटेस्ट प्रोसेसर का ज्ञान दिया जाता है. लेकिन असल में ये कोई नहीं बताता कि कुलिंग सिस्टम तो दोनों में अलग-अलग है. फ्लैश मेमोरी भी अलग-अलग है. ऐप को कैसे आप्टमाइज़ किया है. सब जानते हैं कि एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म ओपन सोर्स है तो हर कंपनी अंदर के कपड़े अपने हिसाब से पहनाती है. बाहर सब ब्लैक एण्ड व्हाइट. नतीजा, हम बेवकूफ बनते हैं. लेटेस्ट प्रोसेसर और दाम कम देखकर फोन लेते हैं लेकिन सिर्फ निराशा ही हमारे हिस्से आती है.

बैटरी और चार्जिंग के मोहल्ले में तो पड़ोसियों जैसा झगड़ा दिखता है. आजकल गौर से देखें तो बैटरी की ताकत पर फोकस थोड़ा कम है. सारा फोकस है चार्जिंग पर. 60 वॉट 80 वॉट से कम की अब कोई बात नहीं करता. 120 और 150 वॉट. ऐसा लगता है जैसे सिर्फ फोन को चार्जर के पास ले जाने से काम बन जाएगा. अब यहां हमें दो तरीके से टोपी पहनाई जाती है. पहले तो तकनीक के नाम पर. ज्यादातर स्मार्टफोन की अपनी तकनीक है. ऐसे में सिर्फ उस कंपनी का चार्जर ही असली स्पीड से काम करता है. मतलब नया फोन तो पुराने चार्जर पेपरवेट के काम के. दूसरा एक तो चार्जर साथ में नहीं आता. अगर आता भी है तो कम ताकत वाला. झुनझुना पकड़ाकर कहा जाता है कि अगर पूरी चार्जिंग स्पीड चाहिए तो जेब ढीली करो. कितना नचा रहे हो भाई

फोन और उसके स्पेसिफिकेशन की बात हो गई. अब बात करते हैं मार्केटिंग की बाजीगरी की. PR एक्टिविटी कहते हैं इसको. आए दिन खबर आती है, फलां फोन लॉन्च हुआ और 1 लाख यूनिट बिक गई. फ्लैश सेल में फोन 10 सेकंड में खत्म. अब लंबी वेटिंग है.कभी आपने सोचा जब हर रोज नए फोन बाजार में आते हैं तो इतने फोन खरीदता कौन है. दरअसल इसके पीछे सोची समझी रणनीति काम करती है. हमें अपग्रेड और नई डिजाइन का एहसास कराया जाता है. हकीकत ये है कि अमूमन ऐसा होता नहीं. बहुत माइनर अपग्रेड होता है. और डिजाइन की बात तो करिए मत. कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा. इधर का कैमरा उधर किया, बेजल कुछ पतली की और बना दिया नया फोन. कड़वा सच ये है कि डिजाइन एलीमेंट के नाम पर सालों से कुछ नहीं हुआ. इस मामले में दो टॉप कंपनियां तो सबसे आगे हैं. और एक बात फ्लैश सेल के कुछ महीनों के बाद वही फोन कोई भटे के भाव नहीं लेता.

कीमत के खेल में भी हमें बेवकूफ बनाने में कोई कसर नहीं रखी जाती. डॉलर के नाम पर अनाप-शनाप कीमत वसूली जाती हैं. आमतौर पर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के दाम समय के साथ घटते हैं लेकिन आजकल कई कंपनियों को अपने स्मार्टफोन के दाम बढ़ाते हुए देखा गया है. अरे भाई अपना मुनाफा कम करो और हमारे जेब पर डाका डालना बंद करो.
कुल जमा लब्बोलुआब ये है की बेवकूफ बनाने का जुगाड़ पूरा है. हां बनना है या नहीं वो हमें देखना है. अगली बार नया स्मार्टफोन लेने से पहले एक कप चाय की चुस्की लीजिए और सोचिए.क्योंकि पैसा और जरूरत दोनों आपके हैं.

वीडियो: फोन चार्ज करने का ये तरीका आपको बुरा फंसा देगा!

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