Water Purifier खरीद कर समझदारी की या नादानी, ये पढ़ कर जान जाएंगे
पीने का पानी जब तक Water Purifier से नहीं गुजरता तब तक वो गले से भी नहीं उतरता. मतलब एक समय लग्जरी रहा वॉटर प्यूरीफायर हमारी जरूरत है. लेकिन खरीदने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है. मसलन पानी का सोर्स और उसकी क्वालिटी. और भी कई चीजें हैं.
आज एक ऐसे प्रोडक्ट की बात करेंगे जो कुछ साल पहले तक लग्जरी माना जाता था. इस प्रोडक्ट को फालतू की रईसी और दिखावे से जोड़ा जाता था. मगर समय बदला और आज ये हर घर और ऑफिस की सबसे जरूरी चीज बन गया है. कमाल बात ये है कि जब लग्जरी माना जाता था तब इसकी उपलब्धता कम थी. महंगा भी था और हर जगह मिलता भी नहीं था. आज ऐसा नहीं है. भतेरे ऑप्शन उपलब्ध हैं. हर डिजाइन और हर कलर में मिल जाता है. इतना सब होने के बाद भी इसके बारे में बात करना जरूरी है.
क्योंकि घर के लिए बेहद जरूरी इस प्रोडक्ट को लेते समय आज भी कई गलतियां होती हैं. बात हो रही है Water Purifiers की. पीने का पानी जब तक इससे नहीं गुजरता तब तक वो गले से भी नहीं उतरता. Water Purifiers हमारी जरूरत हैं. लेकिन खरीदने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है.
पानी के सोर्स को जानिएवॉटर प्यूरीफायर किस कंपनी का लेना, कितने लीटर का लेना, कहां से लेना, वो सब बाद की बात. सबसे पहले पानी को जान लीजिए. माने कि आप जहां रहते हैं, वहां पानी कहां से आता है. पानी का सोर्स क्या है. मसलन, बोरवेल या नगर निगम का पानी. वॉटर टैंक आता है कुएं का पानी है. पानी के सोर्स के आधार पर ही तय होगा कि आपको नॉर्मल RO लेना है या फिर RO+UV वाला.
RO मतलब Reverse Osmosis और UV मतलब Ultra Violet. इस तकनीक से पानी के भीतर की सभी अशुद्धियां, मेटल पार्टिकल, बालू के कण, साफ हो जाते हैं. ये एकदम वैसा ही है जैसे इंसानों और जानवरों के गुर्दे में खून से पानी को अवशोषित किया जाता है. ये भी रिवर्स ऑस्मोसिस प्रक्रिया ही होती है. RO का इस्तेमाल उन क्षेत्रों में करना चाहिए जहां पर पानी खारा हो या पानी में टीडीएस की मात्रा ज्यादा हो. तटीय क्षेत्रों और बोरवेल के लिए RO बिल्कुल सही होता. जिन स्थानों पर पानी मीठा होता है वहां पर UV purifier (Ultra Violet) का इस्तेमाल करना चाहिए.
पानी की क्वालिटी को जानिएपानी कहां से आता है वो पता चल गया. अब पानी की क्वालिटी का पता होना जरूरी है. इसका पता चलता है TDS (Total Dissolved Solids) से. आसान भाषा में कहें तो पानी में ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक पदार्थों की मात्रा कितनी है. मेटल कितना है, मिनिरल्स से लेकर नमक की मात्रा कितनी है. ये जानने के लिए आप किसी एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं या फिर खुद से एक TDS मीटर पर चेक कर सकते हैं. अगर मीटर 50-100 PPM (parts per million) है तो आप स्टोरी यहीं छोड़ सकते हैं. आपको पानी साफ करने वाले किसी यंत्र की जरूरत ही नहीं. ये पानी की सबसे साफ क्वालिटी है.
150-200 भी अच्छा है. मगर 200 के ऊपर है तो फिर दिक्कत है. जो मीटर 400-500 बता रहा तो आप खतरनाक वाला पानी पी रहे. इसी मीटर के आधार पर तय होगा कि कौन सा वॉटर प्यूरीफायर ठीक रहेगा.
कितना पानी पीने वाले हैं?ये गणित आपको खुद करना है. घर में कितने लोग हैं. बड़ा घर है या छोटा. परिवार में छोटे बच्चे हैं, पालतू जानवर हैं या फिर सिंगल वाला कार्यक्रम है. छोटा फ्लैट है या बड़ा बंगला है. पानी की खपत का अंदाजा लगा लीजिए और उसमें 20 फीसदी और जोड़ लीजिए. अरे भाई ज्यादा प्यास लगी या मेहमान आ गए तो. उस आधार पर भी तय होगा.
फ़िल्टर कैसे करेगा?बेसिक ज्ञान के बाद वॉटर प्यूरीफायर के असल काम की. पानी साफ कैसे होगा. इसका पता करने के लिए हमने एक्सपर्ट से बात करना जरूरी समझा. इसलिए हम बतियाए Havells वॉटर प्यूरीफायर के बिजनेस हेड Anupam Mathur से. उनके मुताबिक,
मेंटनेंस का खर्च“प्यूरीफायर के फ़िल्टर या लैंप को साफ रखना जरूरी है. नियमित तौर पर ऐसा नहीं किया गया तो उसमें गंदगी मतलब मिट्टी जमा होगी. इसकी वजह से पानी का फ़्लो भी रुकेगा और उसकी गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा. फ़िल्टर कब बदलना है ये कई फैक्टर पर निर्भर करता है. मसलन पानी की खपत कितनी है या पानी में हार्डनेस का क्या लेवल है. आजकल के प्रोडक्ट तो बाकायदा अलार्म के साथ आते हैं. अगर ऐसा नहीं है तो भी 6-12 महीने के बीच फ़िल्टर बदल लेना चाहिए.”
इसकी बात सबसे आखिर इसलिए, क्योंकि ये बड़ा दर्द है. वॉटर प्यूरीफायर खरीदना भले एक बार का खर्च, मगर इससे पानी पीने में लगातार पैसे लगते हैं. इसलिए जिस भी कंपनी का प्रोडक्ट खरीद रहे, उससे रखरखाव का खर्च पहले पता कर लीजिए. AMC मतलब सालभर का कितना पैसा लगेगा. इस कीमत में क्या-क्या मिलेगा. पता चला जितने के ढोल नहीं उतने के नगाड़े बज रहे. 20 हजार रुपये का डिवाइस और 5 हजार रुपये साल के लग रहे तो कोई फायदा नहीं. 10 फीसदी से ऊपर का खर्च नहीं मांगता. इसके साथ ये भी देख लीजिए कि बाहर की एजेंसी से भी रखरखाव हो सकता है या नहीं. कई बार बाहर की एजेंसी अच्छा पैकेज ऑफर करती हैं.
इन सब बातों का ध्यान रखिए. लेकिन सबसे जरूरी बात, साफ पानी पीते रहिए. भले उबाल कर या छानकर.
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