तुम्हारे साथ रहकर अक्सर मुझे ऐसा महसूस हुआ है कि दिशाएं पास आ गयी हैं, हर रास्ताछोटा हो गया है, दुनिया सिमटकर एक आंगन-सी बन गई है जो खचाखच भरा है, कहीं भीएकान्त नहीं न बाहर, न भीतर। हर चीज़ का आकार घट गया है, पेड़ इतने छोटे हो गये हैंकि मैं उनके शीश पर हाथ रख आशीष दे सकता हूं, आकाश छाती से टकराता है, मैं जब चाहूंबादलों में मुंह छिपा सकता हूं। तुम्हारे साथ रहकर अक्सर मुझे महसूस हुआ है कि हरबात का एक मतलब होता है, यहां तक कि घास के हिलने का भी, हवा का खिड़की से आने का,और धूप का दीवार पर चढ़कर चले जाने का। तुम्हारे साथ रहकर अक्सर मुझे लगा है कि हमअसमर्थताओं से नहीं सम्भावनाओं से घिरे हैं, हर दीवार में द्वार बन सकता है और हरद्वार से पूरा का पूरा पहाड़ गुज़र सकता है। शक्ति अगर सीमित है तो हर चीज़ अशक्त भीहै, भुजाएं अगर छोटी हैं, तो सागर भी सिमटा हुआ है, सामर्थ्य केवल इच्छा का दूसरानाम है, जीवन और मृत्यु के बीच जो भूमि है वह नियति की नहीं मेरी है।