वे शाहरुख, आमिर के बाद और ऋतिक रोशन, अभिषेक बच्चन से पहले की पीढ़ी के अभिनेता हैं. 1997 में हिंदी फिल्मों में लॉन्च हुए. विनोद खन्ना के बेटे थे तो उन्हें इग्नोर करना संभव नहीं था लेकिन फिर भी उनकी डेब्यू फिल्म नहीं चली. हालांकि आज उस फिल्म को फिर देखा जा सकता है. मनोरंजक है. 20 साल के करियर में अक्षय खन्ना ने पर्याप्त से कम फिल्में की हैं. बीच में गैप लेते रहे. ‘बॉर्डर’, ‘दिल चाहता है’, ‘डोली सजा के रखना’, ‘ताल’, ‘गांधी माई फादर’, ‘हमराज़’, ‘दीवानगी’, ‘गली-गली चोर है’, ‘आ अब लौट चलें’ और ‘हलचल’