The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Sports
  • When Sir Don Bradman name played major role for Allies power during World War 2

आखिर क्यों हजारों लोगों के कत्लेआम में सर डॉन ब्रैडमेन का नाम आया?

और पल भर में हजारों लाशें बिछ गई..

Advertisement
Don Bradman
Don Bradman- (Credit : AFP)
pic
अविनाश आर्यन
27 अगस्त 2021 (Updated: 27 अगस्त 2021, 11:43 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
सर डॉन ब्रैडमेन. बोले तो 'क्रिकेट का डॉन'. महान बल्लेबाज और अनगिनत रिकॉर्ड्स. लेकिन डॉन ब्रैडमेन का नाम सुनते ही जहन में आता है उनका बैटिंग एवरेज. 99.94 का. कहते हैं कि जब तक चांद और सूरज रहेगा. तब तक डॉन ब्रैडमेन का ये रिकॉर्ड अमर रहेगा. हजारों खिलाड़ी आए और गए. लेकिन डॉन ब्रैडमेन के बैटिंग एवरेज के आसपास कोई भी फटक नहीं सका. और शायद कोई तोड़ भी नहीं पाएगा. 52 टेस्ट मैचों का करियर. 6996 रन. 12 दोहरे शतक और दो तिहरे शतक. अगर आप सच्चे क्रिकेट फैन हैं. तो आपको डॉन ब्रैडमेन के बारे में काफी कुछ पता भी होगा. तमाम किस्से उनकी बल्लेबाजी और ऐतिहासिक पारियों के बारे में भी सुने होंगे. लेकिन एक किस्सा ऐसा है, जिसके बारे में शायद ही आप जानते हों. चूंकि, आज सर डॉन ब्रैडमेन की 113वीं जयंती है. तो इसी ख़ास मौके पर हम आपको वो किस्सा सुनाते हैं. जब द्वितीय विश्व युद्ध के वक्त सर डॉन ब्रैडमेन की वजह से मोंटे कैसिनो पर कत्लेआम हुआ. खून खराबा हुआ. लोगों की जानें गई. #विश्व युद्ध और सर डॉन ब्रैडमेन दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से क्रिकेट पर ब्रेक लग गया था. और इस बात का मलाल क्रिकेट फैंस सहित उस दौर के क्रिकेटरों को भी रहा. 1940-41 एशेज सीरीज कैंसल होने के बाद ब्रैडमेन ने ऐलान किया कि वह सिर्फ फंडरेजर मैच ही खेलेंगे. युद्ध के दिनों में ब्रैडमेन को आंखों में भी दिक्कतें हुई थी. बाद में उन्होंने ईलाज भी करवाया. चूंकि उस वक्त क्रिकेट हो नहीं रहा था. तो ऐसे वक्त में ब्रैडमेन अपनी फैमिली के साथ वक्त बिताने लगे थे. बहरहाल, डॉन ब्रैडमेन के क्रिकेट न खेलने के बाद भी उनके नाम का सिक्का चलता रहा. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विश्व दो भागों मे बंटा हुआ था- मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र. मित्र राष्ट्र में फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, अमेरिका और सोवियत यूनियन थे. जबकि धुरी राष्ट्र में जर्मनी, जापान और इटली थे. युद्ध की शुरुआत 1939 में हुई थी. और 1945 तक युद्ध चला. अगर आपने इतिहास पढ़ा होगा. तो आपको भी पता होगा. #Bradman Batting Tomorrow खैर, इसी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान संदेशों को भेजने के लिए मॉर्स कोड का इस्तेमाल किया जाता था. बाद में इसे डिकोड कर मैसेज को पढ़ा जाता था. हॉलीवुड फिल्म 'द इमिटेशन गेम' में मॉर्स कोड के बारे में अच्छी तरह से दिखाया भी गया है. 24 फरवरी 1944 का दिन था. मित्र राष्ट्र को इटली के मोंटे कैसिनो पर चढ़ाई करनी थी. लेकिन सभी सैनिक सिग्नल मिलने का इंतजार कर रहे थे. और सिग्नल था- कल ब्रैडमेन बैटिंग कर रहे हैं. लेकिन दुर्भाग्य रूप से मौसम खराब हो गया. और सैनिकों को मैसेज मिला- ब्रैडमेन बैटिंग नहीं कर रहे हैं. सभी सैनिक मन मार के रह गए. तीन हफ्ते बीत गए. इसके बाद मित्र राष्ट्र ने मॉर्स कोड को डिकोड किया. और मैसेज मिला कि डॉन ब्रैडमेन की बैटिंग आ गई है. इसका मतलब था कि मोंटे कैसिनो पर हमला बोल दो. सुबह के साढ़े आठ बजे कत्लेआम शुरू हुआ. और दोपहर तक चलता रहा. 750 टन बम गिराए गए. खूब खून-खराबा हुआ. लोगों की मौतें हुई. #खत्म हुआ 7 सालों का वनवास आपको बता दें, लगभग सात सालों के वनवास के बाद आखिरकार साल 1946 में क्रिकेट फिर से शुरू हुआ. पहला मैच न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था. मार्च का महीना था. और ऑस्ट्रेलिया द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद पहले ही मैच में न्यूजीलैंड को पारी और 103 रनों से हराया. वैसे इस विश्व युद्ध ने उस दौर के कई अच्छे क्रिकेटरों के करियर पर हमेशा के लिए ब्रेक लगा दिया. लेकिन डॉन ब्रैडमेन पर नहीं. साल 1948 में डॉन ब्रैडमेन की अगुवाई में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड का दौरा किया. और पांच मैचों की इस सीरीज को ऑस्ट्रेलिया ने 4-0 से अपने नाम किया. ये टीम क्रिकेट इतिहास में 'इनविंसिबल्स' कहलाई. क्रिकेट इतिहास की सबसे खतरनाक और बेहतरीन टीम. जिसे हरा पाना मुमकिन नहीं था. #काश वो '4' रन बन जाते इंग्लैंड दौरे के उस सीरीज में सर डॉन ब्रैडमेन ने लगभग 72 की औसत से 508 रन बनाए थे. और अपने करियर की आखिरी इनिंग में शून्य पर आउट हो गए थे. 7000 रनों का आंकड़ा छूने से ये महान बल्लेबाज सिर्फ 4 रन से पीछे रह गया. अगर चार रन बना लेते तो ब्रैडमेन अपना करियर 100 के बैटिंग एवरेज पर खत्म करते. ये अफ़सोस सर डॉन ब्रैडमेन से कहीं ज्यादा फैंस को था. इंग्लैंड के इस दौरे के बाद सर डॉन ने क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. दुनिया ने फिर उन्हें कभी बल्ला उठाते हुए नहीं देखा. लेकिन इतिहास में सर डॉन ब्रैडमेन हमेशा के लिए 'क्रिकेट के डॉन' बन गए.

Advertisement