जब पेले ने स्टेज पर ममता बनर्जी का हाथ चूम लिया!
वो दो यादगार मौके जब महान फुटबॉलर पेले इंडिया आए!

1970 का वर्ल्ड कप फ़ाइनल. फ़ुटबॉल के दो दिग्गजों की टक्कर. ब्राज़ील बनाम इटली. दोनों, दो बार के पूर्व वर्ल्ड-कप विजेता. इटली के जाबड़ डिफ़ेन्डर त्रासीसियो बर्गनिख़ को एक खिलाड़ी को मार्क करने की ज़िम्मेदारी दी गई. खेल ख़त्म होने पर त्रासीसियो ने उस खिलाड़ी के बारे में कहा,
"गेम से पहले मैंने अपने आप से कहा था वो भी मेरी ही तरह हाड़-मांस का इंसान है. लेकिन मैं ग़लत था!"
ये खिलाड़ी था एडसन आरान्तेस दो नासीमेन्तो उर्फ़ 'पेले'. 3 वर्ल्ड कप, 1283 गोल और एक सदाबहार विजयी मुस्कान. वो खिलाड़ी, जिसने फ़ुटबॉल को खेल से कला बना दिया. हॉलैण्ड के पूर्व खिलाड़ी और कोच योहान क्रायफ़ ने सटीक कहा था कि पेले दुनिया के इकलौते फ़ुटबॉलर थे, जिनका खेल किसी भी नियम-क़ानून या तर्क से परे है. वे खेलते नहीं थे, जादू करते थे.
29 दिसंबर की देर रात पेले ने दुनिया से अलविदा कह दिया. लंबे समय से वो कैंसर से जूझ रहे थे.
जब भारत आए पेले'मेसी बनाम रोनाल्डो' कथित तौर पर दुनिया की सबसे बड़ी बहस है. लेकिन फ़ुटबॉल दुनिया के पिछले ज़माने इन दोनों 'ग़ालिबों' से पहले दो 'मीर' भी थे. पहले फ़ुटबॉल प्रशंसक मैराडोना बनाम पेले पर एक दूसरे के बाल नोचते थे. भारत भी इस विवाद से अछूता नहीं था, लेकिन भारतीय फ़ैन्स में पेले ख़ेमे के पास एक एडवांटेज था. पेले भारत आए थे. कलकत्ता में एक मैच भी खेला था.
24 सितंबर, 1977. कलकत्ता हवाईअड्डे के सामने हज़ारों हज़ार लोगों का हुजूम था. शहर में अमूमन ऐसी भीड़ दुर्गा पूजा के समय होती है, लेकिन कलकत्ता के शहरियों में पेले को लेकर अलग उत्साह था. तब अमेरिकन प्रोफ़ेशनल फ़ुटबॉल के प्रमोशन के लिए एक टीम भारत आई थी, 'न्यू यॉर्क कॉस्मॉस'. अपनी लीग के प्रमोशन के लिए दुनिया भर में जगह-जगह जाती थी. फ़्रेंडली मैच खेलती थी. जैसे क्ल्बस् में होता है, इस टीम में बहुत सारे देशों के खिलाड़ी थे. पेले भी इन्हीं के साथ आए थे. वो तब 37 साल के थे; रिटायर हो चुके थे. बस कोलकाता की मोहन बागान टीम के साथ एक फ़्रेंडली मैच खेलने आए थे.
मैच से पहले का माहौल ज़बरदस्त था. तब के न्यूज़पेपरों और पत्रकारों के मुताबिक, एयरपोर्ट, होटल और स्टेडियम पर पेले ज़िंदाबाद के नारे थे. पेले का नाम और चेहरा हर जगह था. बैनर, पोस्टर, हेल्थ ड्रिंक्स तक पर. एक बड़े पोस्टर में लिखा था: ‘पेले — वो भी कलकत्ते में.. अकल्पनीय है!’

मैच के शुरुआती मिनटों में तो कलकत्ता की टीम ही आगे थी. 2-0 से. लेकिन फिर इटैलियन दिग्गज जियोर्जियो चिनगलिया और ब्राज़ील वर्ल्ड कप विजेता कार्लोस अल्बर्टो ने एक-एक गोल मारकर स्कोर बराबर कर दिया.
नोवी कपाडिया ने अपनी क़िताब 'बेयरफ़ुट टू बूट्स' में लिखा है कि इडन गार्डेन में 80 हजार लोगों की खचाखच भीड़ केवल पेले का जादू देखने नहीं आई थी. वो इसलिए भी आए थे कि उन्हें वो अपना बंदा लगता था. ग़ुरबत में पला एक लड़का, जो फ़ुटबॉल का लीजेंड बन गया.
इसके बाद 38 साल बाद सुब्रतो कप के लिए 2015 में एक बार फिर पेले भारत आए थे. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, सौरव गांगुली, और एआर रहमान से मिले थे. फोटो ऊपर चस्पा है. जब अभिवादन स्वरूप पेले ने ममता बनर्जी का हाथ चूम लिया था.
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