हिटलर को शर्मसार करने वाला अमेरिकी लेजेंड, जो पैसों के लिए घोड़ों-कुत्तों के साथ दौड़ा
'क्योंकि आप चार ओलंपिक गोल्ड मेडल्स नहीं खा सकते.'

# अमानवीय एथलीट्स
साल 1936, दूसरे वर्ल्ड वॉर से लगभग तीन साल पहले. जर्मनी में हिटलर का भौकाल टाइट था. अब वह अपना भौकाल पूरी दुनिया में फैलाना चाहता था. लेकिन कैसे? ओलंपिक आयोजित करके भाई. इतिहास में पहली बार ओलंपिक गेम्स को टीवी पर दिखाया जाना था. रेडियो कॉमेंट्री अब 41 देशों तक पहुंच रही थी. स्टेज सेट था. हिटलर इस स्टेज पर चढ़कर, आर्यन नस्ल को सर्वश्रेष्ठ बताने की अपनी थ्योरी को प्रूव करना चाहता था. जर्मनी को मेडल टैली में सबसे ज्यादा खतरा था अमेरिका से. अमेरिकी टीम में कई काले एथलीट्स भी शामिल थे. अमेरिका में उस वक्त भले ही भेदभाव चरम पर था, लेकिन ओलंपिक मेडल्स के लिए वह काले लोगों पर काफी निर्भर हुआ करता था. हालांकि जर्मनी के नाज़ी अधिकारियों को यह बात पसंद नहीं थी. उनका मानना था कि अफ्रीकन-अमेरिकन लोग उनसे नीच हैं. नाज़ियों ने अमेरिका द्वारा काले लोगों पर निर्भर होने की आलोचना भी की. ESPN की मानें, तो एक जर्मन ऑफिशल ने इस बात पर भी गुस्सा जाहिर किया था कि,'अमेरिका अमानवीय, नेग्रो एथलीट्स को भाग लेने दे रहा है.'इन नेग्रो एथलीट्स में जेम्स क्लेवलैंड 'जेसी' ओवंस भी शामिल थे. सिर्फ 23 साल के जेसी उस दौर में अमेरिका के सबसे बड़े एथलीट माने जाते थे. कहते हैं कि ओलंपिक के लिए जब अमेरिकी दल जर्मनी पहुंचा, तो लड़कियां चिल्ला रही थीं- जेसी कहां है, जेसी कहां है?
ओलंपिक शुरू हुए और आई 3 अगस्त की तारीख. 100 मीटर स्प्रिंट में जेसी ने 10.3 सेकेंड का टाइम निकालकर गोल्ड मेडल जीत लिया. जेसी की यह जीत आर्यन सुप्रीमेसी पर पड़ा जोरदार तमाचा थी. हिटलर इस ओलंपिक के जरिए दिखाना चाहता था कि आर्यन रेस ही सर्वश्रेष्ठ है. आर्यन, यानी विशिष्ट रंग-रूप वाले गोरे लोग. लेकिन यहां तो शुरुआत ही गड़बड़ हो गई. इसके बाद जेसी ने तीन और गोल्ड जीते. 200 मीटर स्प्रिंट, 4*100 मीटर और लंबी कूद.August 3, 1936 — Jesse Owens won the 100 meter dash, defeating Ralph Metcalfe, at the Berlin Olympics. pic.twitter.com/G3PGuJVq6e
— MoorInfo (@MoorInformation) August 3, 2020
# सबसे बड़ी हार
यूं तो हिटलर बाद में सेकंड वर्ल्ड वॉर भी हारा, लेकिन कहते हैं कि ये हार उसके जीवन की सबसे बड़ी हार थी. उसके सामने से एक बंटाईदार का बेटा, आर्यन सुप्रीमेसी की धज्जियां उड़ाकर चार-चार गोल्ड मेडल जीत ले गया. ओवंस के चौथे गोल्ड मेडल का क़िस्सा भी अलग ही है. दरअसल, अमेरिका की 4*100 मीटर की रिले टीम में मार्टी ग्लिकमन और सैम स्टोलर नाम के दो यहूदी भी थे. ओवंस के तीन गोल्ड मेडल्स समेत तमाम अफ्रीकन-अमेरिकन लोगों के गोल्ड मेडल जीतने से जर्मनी पहले ही शर्मसार था. कहते हैं कि उन्होंने हाथ जोड़कर अमेरिका से प्रार्थना की कि वे लोग अपनी टीम से यहूदियों को निकाल दें. इसके बाद ऐन वक्त पर ओवंस और राल्फ मेटकाल्फे ने टीम में उनकी जगह ली. मेटकाल्फे ने 100 मीटर रेस का सिल्वर मेडल जीता था. इस टीम ने 39.8 सेकंड के वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड जीता. ओवंस की सफलता से हिटलर को भारी धक्का लगा था. हिटलर के प्रचार मंत्री जोसेफ गोएबल्स ने ट्रैक कंपिटिशन के पहले दिन ब्लैक एथलीट्स का प्रदर्शन देख अपनी डायरी में लिखा,'गोरे लोगों को खुद पर शर्म आनी चाहिए.'गोएबल्स न सिर्फ हार से, बल्कि काले लोगों के ओलंपिक में भाग लेने से भी नाराज़ था. इधर हिटलर की पार्टी के यूथ विंग के नेता बाल्दर वोन ने सुझाव दिया कि हिटलर को ओवंस के साथ फोटो खिंचानी चाहिए.
भड़के हिटलर ने कहा,#OTD in 1936, Jesse Owens won the men’s 100m sprint at the Berlin Olympics.
Owens won 4 gold medals at the games - a record not equalled until 1984. The success of an African American was very embarrassing for the Nazis, who’d planned to showcase their white, Aryan supremacy. pic.twitter.com/vtgCEHEEHZ — The History Chap (@History_Chap) August 3, 2020
'अमरीकियों को इस बात पर शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने अपने मेडल्स नीग्रोज को जीतने दिए. मैं उनमें से किसी एक के साथ कभी भी हाथ नहीं मिला सकता.'ओवंस को न सिर्फ जर्मनी के शासकों ने ठुकराया, बल्कि उनके खुद के देश में भी उन्हें इज्जत नहीं मिली, क्योंकि वह काले थे. साल 1971 के एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था,
'जब मैं अपने देश लौटा... मुझे बस की अगली सीटों पर नहीं बैठने दिया गया. मुझे पिछले दरवाजे पर जाना पड़ा. मैं अपनी मनचाही जगह पर रह नहीं सकता था. मुझे हिटलर ने हाथ मिलाने के लिए नहीं बुलाया, लेकिन मुझे अपने राष्ट्रपति ने भी हाथ मिलाने के लिए व्हाइट हाउस नहीं बुलाया.'
# पहले गोल्ड चार, फिर बहिष्कार
ओवंस घर लौटे, तो पूरी टीम के लिए सम्मान समारोह होना था. वाल्डोर्फ एस्टोरिया नाम के मशहूर होटल में पूरी तैयारी थी. ओवंस भी तैयार होकर पहुंचे, लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें समझ आ गया कि वह भले चार गोल्ड मेडल जीत गए हों, लेकिन अमेरिका के लिए अभी भी उनकी पहचान सिर्फ दो शब्दों से है- काला इंसान. ओवंस को अपने ही सम्मान समारोह में सामान ढोने वाली लिफ्ट में जाना पड़ा. इसके बाद अमेरिका की ट्रैक एंड फील्ड टीम को स्वीडन टूर पर जाना था. ओवंस इस टूर पर नहीं गए. इसकी जगह उन्होंने अपनी कामयाबी भुनाकर पैसे कमाने की कोशिश की. अमेरिकी ओलंपिक कमिटी इस बात पर भड़क गई और उनका अमेचर स्टेटस छीन लिया. साथ ही ओवंस पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया. खेलना बंद होते ही ओवंस की प्रायोजकों से होने वाली कमाई भी रुक गई. ओवंस ने अपने इस अनुभव के बारे में कहा था,'जब मैं 1936 के ओलंपिक से अपने चार मेडल्स के साथ लौटा, हर कोई मेरी पीठ थपथपाना चाहता था, मुझसे हाथ मिलाना चाहता था, लेकिन कोई भी मुझे नौकरी नहीं देना चाहता था.'ओवंस ने बाद में अपना ड्राई क्लीन का बिजनेस शुरू किया, लेकिन वह भी फेल रहा. कुछ दिन तक वह पेट्रोल पंप पर अटेंडेंट भी रहे, लेकिन यह नौकरी भी बहुत दिन नहीं चली. इसके बाद उन्होंने तमाम तरीकों से अपना पेट पालने की कोशिशें जारी रखीं. इन्हीं कोशिशों के तहत ओवंस पैसों के लिए घोड़ों और कुत्तों के साथ रेस लगाने लगे थे. लोगों ने इस बात के लिए उनकी खूब आलोचना की. कहा गया कि वह ओलंपिक मेडल्स की महत्ता कम कर रहे हैं. ऐसे लोगों को जवाब देते हुए जेसी ने कहा था,
'लोग कहते हैं कि घोड़े से रेस लगाना ओलंपिक चैंपियन के लिए अपमानजनक है, लेकिन मैं और क्या करता? मेरे पास चार गोल्ड मेडल्स थे, लेकिन आप चार गोल्ड मेडल्स खा नहीं सकते.'बाद में उन्होंने PR का काम शुरू किया और पूरे देश में घूम-घूमकर मोटिवेशनल लेक्चर देने लगे. किसी तरह से उनका गुजारा चलता रहा. साल 1976 में जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति जेराल्ड फोर्ड ने ओवंस को प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम दिया. इस अवॉर्ड के चार साल बाद, 31 मार्च 1980 में फेफड़ों के कैंसर से ओवंस की मौत हो गई.
# ट्रिविया
# जेसी का पूरा नाम James Cleveland Owens था. सिर्फ नौ साल की उम्र में वह अल्बामा से विस्थापित होकर ओहियो आ गए. यहां स्कूल में एडमिशन के दौरान उन्होंने नाम पूछे जाने पर कहा- J.C. टीचर ने इसे Jesse कर दिया और फिर यही उनका असली नाम हो गया.
# 1936 ओलंपिक में लंबी कूद का गोल्ड जेसी ने जर्मन 'आर्यन' लुज़ लॉन्ग की मदद से जीता था. क्वॉलिफिकेशन में ही जेसी दो बार डिस्क्वॉलिफाई हो चुके थे, फिर लॉन्ग की टिप्स से उन्होंने क्वॉलिफाई किया और उन्हें ही हराकर गोल्ड जीता.
# बाद में लुज़ सेकंड वर्ल्ड वॉर में अमेरिका द्वारा बंदी बनाकर मार दिए गए. 14 जुलाई, 1943 को उनकी हत्या हुई. इस घटना में कुल 71 इटैलियन और दो जर्मन सैनिक मारे गए थे और इसे बिस्कारी नरसंहार के नाम से जाना जाता है.
# लुज़ के मरने के बाद भी जेसी ने उनके परिवार से अपना रिश्ता नहीं तोड़ा. वह अपनी मृत्यु तक लुज़ के परिवार के टच में रहे.
एक ऐसा ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट, जिन्हें हॉकी खेलने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था!