वेस्ट इंडीज का वो ख़ौफनाक पेसर, जिसने अपने ही कैप्टन को चाकू लेकर दौड़ा लिया!
बीच मैच टीम से निकाले जाने से गुस्साया था दिग्गज.

क्रिकेट में पेसर्स की एक अलग जगह है. मीडियम पेसर नहीं, पेसर. यानी 150 kmph से ज्यादा की स्पीड से आग बरसाने वाली प्रजाति. फ़ैन्स इन्हें सहेजकर रखना चाहते हैं. ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड की पिच पर ऐसे बोलर्स मैच को रोमांचक बनाते थे. एक अच्छे, तीखे बाउंसर के साथ पूरे मैदान में 'whooooaaaa' की लहर फैल जाती है. इसका श्रेय ऐसे ही पेसर्स को जाता है. कई बार तो इनकी बॉल बैट्समेन को नज़र भी नही आती.
लेकिन कई बार ऐसे पेसर्स 'जेन्टलमैन्स गेम' की हदों को भी पार कर देते हैं. हाल के मैच याद किए जाएं तो मिचल जॉनसन की याद आती है. 2013 में गाबा का वो टेस्ट, जिसमें इंग्लैंड के बैट्समैन उनसे बचते नज़र आ रहे थे. जब भी जॉनसन किसी भी बैट्समैन को हिट करते थे, माफी मांग लेते थे. या पूछ लेते थे- कहीं ज्यादा तो नहीं लगी. ऐसा चेतेश्वर पुजारा के साथ भी हाल की ऑस्ट्रेलिया सीरीज पर देखने को मिला था. पैट कमिंस उनके विकेट से ज्यादा, उनकी बॉडी पर बॉल कर रहे थे. लेकिन इसमे एक जेन्टलनेस थी. बॉडी पर हिट करते ही बोलर हाल पूछ लेता था.
#रॉय गिलक्रिस्ट (Roy Gilchrist) कौन हैं?लेकिन क्रिकेट में एक दौर ऐसा भी था, जब इसमें जेन्टलनेस नहीं हुआ करती थी. बोलर्स लगातार बाउंसर मार कर बैट्समैन को डराते, और फिर आउट कर देते. आप कहेंगे कि ये बातें तो वेस्ट इंडीज के मैल्कम मार्शल, कोर्टनी वॉल्श, एंडी रॉबर्ट्स और जोएल गार्नर की याद दिलाती हैं. लेकिन इस कहानी में हम आपको उससे भी पीछे लिए चलते हैं.
1930 के दशक में पूरी दुनिया आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रही थी. और इसी बीच 28 जून, 1934 को जमैका के एक गरीब परिवार में एक लड़के का जन्म हुआ. गरीबी और खराब माहौल में पलता-बढ़ता ये बच्चा शुरुआत से ही क्रूर था. और ये क्रूरता क्रिकेट के मैदान पर खुलकर दिखती थी. ये लड़का बोलिंग बहुत तेज़ करता था. 5 फीट 8 इंच के इस लड़के के हाथ बहुत लंबे थे. अरे सच में लंबे थे, कानून वाला जोक मत समझ लीजिएगा. इस लड़के का नाम था रॉय गिलक्रिस्ट. गिलक्रिस्ट बहुत तेज़ दौड़कर आते थे, और जंप करके राउंड आर्म एक्शन से बोलिंग करते थे.
# ये किस्सा क्यों?अब आप सोच रहे होंगे कि गिलक्रिस्ट के क़िस्से में क्या खास है? आखिर फिडल एडवर्ड्स भी तो कम हाइट के साथ तेज़ बोलिंग करते थे. लेकिन गिलक्रिस्ट कुछ अलग ही थे. इनके बारे में वर्ल्ड कप विनिंग कैप्टन गैरी सोबर्स ने कहा था,
'गिलक्रिस्ट? वह सबसे खतरनाक क्रिकेटर है, जिसके साथ मैंने कभी खेला हो.'
गिलक्रिस्ट तेज़ तो थे ही, और साथ में वो अटैकिंग भी बहुत थे. इतने अटैकिंग, कि अगर बैट्समैन को आउट नहीं कर पाते, तो उनका सर फोड़ने पर उतारू हो जाते. 1957 में इंग्लैंड के खिलाफ रॉय ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया. 1958 में पाकिस्तान की टीम वेस्ट इंडीज का दौरा कर रही थी. हनीफ मोहम्मद इस पाकिस्तानी टीम का हिस्सा थे. हनीफ ने इसी सीरीज़ में 337 रन की ऐतिहासिक पारी खेली थी. इस सीरीज़ में रॉय की बोलिंग पर बात करते हुए हनीफ ने कहा था,
West Indies Tour of India 1958-59‘मैं कभी बाउंसर देख कर झुकता नहीं था. मैं लाइन से हट जाता था. उनकी एक बॉल मेरी आंखों के बीच में हिट करने आ रही थी. मैं झुक गया! बॉल मेरी नाक के बहुत करीब से गुज़री. मैंने 80 रन बनाए, पर वो बॉल याद करता हूं तो आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं.’
1958-59 में वेस्ट इंडीज की टीम भारत के दौरे पर आई. इस टीम के कैप्टन जेरी अलेक्जेंडर थे और रॉय टीम के लीडिंग पेसर. उनका साथ वेस हॉल दे रहे थे. इस दौर में इंडिया की टीम में चंदू बोर्डे, पॉली उमरीगर, पंकज रॉय, नरी कांट्रेक्टर और विजय मांजरेकर हुआ करते थे. इस सीरीज़ में रॉय और हॉल ने ढेर सारे बाउंसर्स डाले. सिर्फ बाउंसर ही नही, बीमर्स भी. बीमर, यानी बॉडी पर फुलटॉस गेंदें. इससे उन्होंने कई सारे बैट्समैन को इंजर्ड भी किया. मीडिया से बात करते हुए रॉय ने बताया कि वो ऐसा करके खुश हैं. उन्होंने इस बारे में कहा था,
'मैंने रूल बुक पढ़ के देखी है. कहीं भी नहीं लिखा हुआ है कि कोई बोलर बैट्समैन पर तेज़ फुलटॉस नहीं फेंक सकता. बैट्समैन के पास बैट है. अगर उनके पास तकनीक या हिम्मत नहीं है, तो उनके साथ ऐसा ही होना चाहिए.'
पांच टेस्ट मैच की ये सीरीज़ वेस्ट इंडीज ने 3-0 से जीती. इसके बाद वेस्ट इंडीज की टीम का नॉर्थ ज़ोन से मैच था. नॉर्थ ज़ोन के कैप्टन स्वर्णजीत सिंह थे. वो जेरी अलेक्जेंडर के दोस्त थे. तीसरे दिन इंडिया मैच जीतने के लिए 246 रन का टार्गेट चेज़ कर रही थी. 77 रन पर चार विकेट गिर चुके थे. खुद कैप्टन स्वर्णजीत बैटिंग कर रहे थे. वेस्ट इंडीज के कैप्टन अलेक्जेंडर ने लंच के पहले का आखिरी ओवर डालने के लिए बॉल गिलक्रिस्ट को थमाई. दूसरी बॉल पर रॉय ने यॉर्कर मारने की कोशिश की. इस बॉल को स्वर्णजीत ने स्ट्रेट ड्राइव मार बाउंड्री के पार पहुंचा दिया.
इसके बाद स्वर्णजीत ने वो किया, जो शायद उन्हें नहीं करना चाहिए था. उन्होंने मज़े लेते हुए गिलक्रिस्ट से कहा,
‘ये शॉट अच्छा लगा? खूबसूरत था, नहीं?’
इसके बाद गिलक्रिस्ट ने अपनी जिंदगी की सबसे तेज़ बॉल डाली. एक बीमर. अगली बॉल पर कैच उठा, पर ड्रॉप हो गया. अगली बॉल, फिर एक बीमर. अलेक्जेंडर, रॉय तक गए और उन्हें बीमर डालने से मना किया. अगली बॉल, फिर बीमर. ओवर खत्म. स्वर्णजीत ठीकठाक पविलियन पहुंच गए थे. अलेक्जेंडर ने लंच के दौरान रॉय से एक छोटी सी बात कही,
‘आप अगली फ्लाइट से वापस जा रहे हैं. गुड आफ्टरनून.’
कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो इस बातचीत के बाद गिलक्रिस्ट ने चाकू निकाल लिया था. इसके बाद उन्होंने अतंरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेली. फिर वह सिर्फ इंग्लैंड की लेंकशा काउंटी के लिए खेले. इंग्लैंड की काउंटी लीग में 113 मैच खेलकर गिलक्रिस्ट ने 460 विकेट निकाले. उनकी पेस और बाउंस के आगे जब इंटरनेशनल क्रिकेटर्स नहीं खड़े हो पा रहे थे, तो काउंटी क्रिकेटर्स उन्हें कैसे ही झेल पाते. लेकिन उनके करियर की एक कड़ी इंडिया से जुड़ी थी. एक क़िस्सा अभी बचा था.
इंडियन बैट्समैन पेस अच्छे से खेल पाएं इसलिए BCCI ने 1962-63 में वेस्ट इंडीज से चार पेसर्स बुलाए थे. ये पेसर्स रणजी और दिलीप ट्रॉफी खेलने इंडिया आए थे. इन चार पेसर्स के नाम थे- चार्ली स्टेयर्स, लेस्टर किंग, चेस्टर वाटसन और रॉय गिलक्रिस्ट. जिस देश में करियर पर बट्टा और अंकुश लगा, उसी देश ने अलेक्सेंडर को अपने फायदे के लिए बुलाया. गिलक्रिस्ट हैदराबाद की टीम के लिए खेल रहे थे. बंगाल के खिलाफ रणजी ट्रॉफी के एक मैच में उन्होंने नौ विकेट भी लिए.
इसी मैच में पंकज रॉय ने उन्हें लगातार तीन चौके लगाए. पुराने गिलक्रिस्ट होते तो बीमर डाल-डालकर पंकज को भिगो देते. लेकिन वो शाम ढल चुकी थी. वो तेवर उतर चुका था. गिलक्रिस्ट ने अंडरआर्म बॉल डालकर ओवर खत्म किया. शायद उन्हें सीख मिल चुकी थी.
26 साल इंग्लैंड में रहने के बाद गिलक्रिस्ट 1985 में जमैका लौटे. आगे चलकर उन्हें पार्किंसन रोग हो गया. 18 जुलाई 2001 को उनकी मृत्यु हो गई. उनके फास्ट बोलिंग पार्टनर वेस हॉल ने उनकी अंतिम यात्रा में कहा था,
'वेस्ट इंडीज फास्ट बोलिंग के सबसे पुराने दिग्गज थे रॉय गिलक्रिस्ट.'
एक आखिरी बात, और फिर ये क़िस्सा खत्म. ऐसा कहा जाता है कि एक बार रॉय ने इतनी तेज़ बॉल डाली थी, कि बॉल बाउंस होकर सीधे साइटस्क्रीन से लगी थी. और टकराकर, लगभग 30 यार्ड वापस भी आई थी. अब आप उनकी स्पीड का अंदाजा लगाइए. हम चलते हैं.