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आज का दिन - सबसे छोटा क्रिकेट कैरियर और सबसे धीमी इनिंग्स

क्रिकेट की दुनिया के दो किस्से. आज ही के दिन.

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केतन बुकरैत
14 जून 2016 (Updated: 14 जून 2016, 09:10 AM IST) कॉमेंट्स
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ऐंडी लॉएड - सबसे छोटा टेस्ट कैरियर 14 जून, साल 1984. एजबैस्टन. पहला टेस्ट, 18 जून. ऐंडी लॉएड. अपना पहला मैच खेल रहे थे. इंग्लैंड की ओर से. मैच उनके होम ग्राउंड पे था. घर से थोड़ी ही दूर. लिहाज़ा टीम के साथ होटल में नहीं रुके. घर से ग्राउंड आये. पहला टेस्ट मैच. मैच से पहले इंग्लैंड की कैप मिली. इंग्लैंड ने टॉस जीता. पहले बैटिंग. लॉएड ओपेनिंग बैट्समैन थे. राजी खुशी मैदान में उतरे.
ये एक ड्रीम डेब्यू होता है. आपका अपना मैदान. वो मैदान जहां घंटों पसीना बहाया होता है. जो घर से थोड़ी ही दूर होता है और आस पास आपको हर कोई जानता है. हर कोई जो अब तक आपके बारे में बात कर रहा होता है, आपको देखने आया होता है. आपकी टीम सीरीज़ की शुरुआत कर रही होती है और आपका नाम प्लेयिंग इलेवेन में शामिल होता है. टीम टॉस जीतती है. टीम की बैटिंग की शुरुआत आप करते हैं. सचमुच ड्रीम डेब्यू!
ऐंडी लॉएड ने अपना पहला रन बनाया. लेकिन एक ही रन पर इंग्लैंड का पहला विकेट गिर गया. ग्रीम फ्लावर चलते बने. ऐंडी लॉएड डटे हुए थे. आधे घंटे में 10 रन पर. टीम का स्कोर 20. 50% रन के भागीदार. 17 गेंद खेल चुके थे. एक चौका मारा था. बॉलिंग पर थे मैल्कम मार्शल. मार्शल वो हैं जो गेंद फेंकते नहीं लांच करते थे. नासा ने रॉकेट लांच करने की कला मार्शल से ही सीखी थी. उसके पहले दीवाली के राकेट ही सबसे ऊपर जा पाते थे. कहा ये भी जाता है कि रूसी कालाश्निकोव को बनाने वाला मैल्कम मार्शल से बहुत जलता था. मार्शल की गेंदें कालाश्निकोव से निकली गोली से तेज़ जा लगती थी. उसी पांच फुट ग्यारह इंची मार्शल ने गेंद को पिच के बीचों-बीच पटक दिया. इतनी ऊंचाई से आदमी गिट्टी मारे तो गोली जैसे लगे. यहां तो फिर भी गेंद थी. लॉएड को ऐसा लगा कि गेंद उनके लेफ़्ट कंधे के ऊपर से निकल जाएगी. लेकिन यहीं उनसे चूक हो गयी. गेंद जाकर सीधे उनकी कनपटी पर लगी. उन्होंने गेंद को अपने शरीर पर आते देखा तो आंखें हटा लीं और सर को नीचे झुका लिया. ऐसे में गेंद सीधे उनकी राइट कनपटी पर जा लगी.
ANdy Lloyd gets hit by Marshall's delivery
Andy Lloyd gets hit by Marshall's delivery. (Image: Patrick Eagar)

ऐंडी लॉएड को दर्द हुआ लेकिन उनपर पहले टेस्ट का भूत चढ़ा हुआ था. दर्द उस कदर तक नहीं हो रहा था. पहले टेस्ट का सुरूर अभी भी था. दूसरे छोर पर खड़े डेरेक रेंडेल उनके पास पहुंचे तो उन्होंने कहा कि वो खेलेंगे. ऐंडी लॉएड बस थोड़ा सा हिल गए थे. नॉर्मल होना चाह रहे थे. इसी क्रम में उन्होंने कुछ महसूस किया. वो मैदान में लगे साइन बोर्ड नहीं पढ़ पा रहे थे. उन्हें वो सब कुछ धुंधला दिख रहा था. अभी तक इंग्लैंड ड्रेसिंग रूम से उनके लिए पानी भेजा जा चुका था. जब धुंधला दिखने की बात का उन्होंने ज़िक्र किया तो बर्नार्ड थॉमस को बुलाया गया. बर्नार्ड उस वक़्त इंग्लैंड के फिज़ियोथेरेपिस्ट थे. उन्होंने आकर ऐंडी लॉएड को पवेलियन जाने को कहा.
लॉएड का इलाज हुआ और उन्हें अपने जीवन की सबसे दुखद खबर सुनने को मिली. उनकी आंखों की रोशनी 35% कम हो चुकी थी. उस एक चोट से. मैल्कम मार्शल की उस एक गेंद से. इस एक चोट ने उनके क्रिकेट कैरियर को हमेशा के लिए खतम कर दिया. 35% खतम हो चुकी आंखों से वो भला कैसे खेलते? वापसी करने के बाद इंग्लैंड के लिए कभी नहीं खेला लेकिन क्रिकेट नहीं छोड़ा. वो अटैकिंग प्लेयर बन गए. ये नहीं मालूम कि अटैक करने के पीछे की वजह क्या थी. क्रिकेट न खेल पाने की खीज, मार्शल की उस गेंद के लिए गुस्सा या कुछ और.


इंग्लैंड वर्सेज़ कनाडा - सबसे धीमी इनिंग्स प्रूडेंशियल वर्ल्ड कप चल रहा था. 14 जून, 1979. उस वक़्त 60 ओवर का मैच चलता था. जगह थी मैनचेस्टर. दुनिया में वन-डे मैचों का कॉन्सेप्ट अभी नया ही था. इस मैच के पहले मात्र 66 वन-डे मैच खेले गए थे. ये मैच इंग्लैंड और कनाडा के बीच चल रहा था. कनाडा पहले बैटिंग करने उतरी और उसने इतना बोर किया कि बताया न जाए तो अच्छा है. तीस मार खान से भी ज़्यादा बोर. परमानेंट रूममेट के पुरुषोत्तम से भी ज़्यादा बोर. राजा हरिश्चंद्र के गानों से भी ज़्यादा बोर.
हुआ ये कि इंग्लैंड ने गेंदें फेंकनी शुरू की और कनाडा ने बोर करना शुरू किया. खेले कुल 40 ओवर और 3 गेंदें. और रन बनाये 45. मात्र एक प्लेयर ऐसा जो दो गिनती में स्कोर ले जा पाया. फ्रैंक्लिन डेनिस. 21 रन बनाये. इंग्लैंड की तरफ से क्रिस ओल्ड ने कनाडा की बैटिंग का फ़ातेहा पढ़ दिया. दस ओवर में पांच ओवर ऐसे जिनमें एक्को रन नहीं. बचे पांच ओवर में कुल रन गए आठ. विकेट लिए चार. कनाडा का रन रेट रहा 1.11
जवाब में इंग्लैंड ने 13 ओवर 5 गेंदें खेलकर स्कोर चेज़ कर लिया.

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