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ये 11 खिलाड़ी खेलते तो ऑस्ट्रेलिया से T20 विश्वकप आ जाता!

ये 11 खिलाड़ी बना सकते हैं काम.

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Virat Kohli, Suryakumar Yadav. Photo: AP
विराट कोहली, सूर्यकुमार यादव. फोटो: AP
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11 नवंबर 2022 (Updated: 11 नवंबर 2022, 23:13 IST)
Updated: 11 नवंबर 2022 23:13 IST
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23 जून 2013, वो आखिरी तारीख़ जब भारत ने ICC ट्रॉफी का जश्न मनाया था. उसके बाद 2014, 2015, 2016, 2017, 2019, 2021 और 2022 तक भारत ने कई ICC टूर्नामेंट्स खेले. लेकिन कभी भी ट्रॉफी नहीं जीत पाया. ऑस्ट्रेलिया में खेले गए  T20 विश्वकप 2022 में उम्मीद थी कि टीम इंडिया विश्वकप लेकर ही लौटेगी. लेकिन इस बार भी टीम नॉक-आउट में जाकर बाहर हो गई.

इस हार के बाद लगातार ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि ऑस्ट्रेलिया गई टीम में कई खिलाड़ी T20 के लायक थे ही नहीं. कई खिलाड़ियों की टीम से छुट्टी हो जानी चाहिए. ऐसे में आज के सिली पॉइंट में हम T20 विश्वकप की एक परफेक्ट इलेवन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जिसमें कुछ खिलाड़ी अनुभवी और कुछ युवा चेहरे शामिल होंगे.

क्योंकि साल 2022 के हिसाब से अगर एक युवा और डिज़र्विंग टीम पर भरोसा जताया जाता तो शायद हम विश्वकप जीत जाते, विश्वकप नहीं भी जीतते तो इस टीम को वो अनुभव मिलता. जो आने वाले सालों में टीम का भविष्य होता. आइये जानते हैं, लल्लनटॉप स्पोर्ट्स के न्यूज़रूम ने किस प्लेइंग इलेवन को बनाया है.

ओपनर:  पृथ्वी शॉ: 

पृथ्वी शॉ के आंकड़ों की बात करें तो उन्होंने 92 T20 मुकाबलों में 151 के अविश्वसनीय स्ट्राइक रेट के साथ 2401 रन बनाए हैं. हालिया फॉर्म की बात करें तो पृथ्वी ने सैय्यद मुश्ताक अली T20 ट्रॉफी में दूसरे सबसे ज़्यादा 332 रन बनाए. जिसमें एक शतक भी आया. पृथ्वी का इस टूर्नामेंट में स्ट्राइक रेट 181.42 का रहा.

IPL 2022 में भी दिल्ली के लिए पृथ्वी का प्रदर्शन बहुत खराब नहीं रहा है. इस सीज़न उन्होंने रन तो 283 बनाए. लेकिन इस उनका स्ट्राइक रेट 152.97 का रहा. यानि जिस भी दिन वो चले तो गेंदबाज़ों की शामत तय है.

संजू सैमसन: 

इस बल्लेबाज़ को लेकर बहुतेरे लोग कहते हैं. इन्हें फैन कोटे से लोग टीम में लाना चाहते हैं. ये केएल राहुल और कई युवा खिलाड़ियों से बेहतर क्रिकेटर नहीं हैं. लेकिन आंकड़ें कुछ और कहते हैं. संजू सैमसन IPL 2022 में टॉप-10 रन बनाने वालों में रहे. उन्होंने 458 रन कूट विरोधियों को पस्त किया और कप्तानी करते हुए अपनी टीम को फाइनल तक पहुंचाया. इस दौरान संजू का स्ट्राइक रेट 146.79 का रहा.

इतना ही नहीं. संजू ने भारत के लिए 10 वनडे खेले हैं. जिसमें उन्होंने 73.50 की औसत से 294 रन बनाकर 'कंसिस्टेंटसी नहीं' का राग अलापने वालों को जवाब दिया है. 10 पारियों में संजू पांच बार नॉट-आउट भी रहे. संजू जिस इंटेंट के साथ खेलते हैं, उससे एक उम्मीद बंधती है.

मिडल ऑर्डर:विराट कोहली: 

T20 विश्वकप 2022 के सबसे बड़े बल्लेबाज़. 98.66 के औसत से 296 रन. ये रन्स भारत के ही नहीं बल्कि किसी भी देश के बल्लेबाज़ के सबसे अधिक हैं. विराट कोहली की उम्र भले ही बढ़ रही हो. लेकिन फिर भी वो फिटनेस के मामले में कई युवाओं से बेहतर दिखते हैं. विराट ने इस विश्वकप की छह पारियों में चार में अर्धशतक लगाए हैं. ऐसे में उनकी इस टीम में जगह बनती है. विराट का प्रदर्शन ही बोलता है, ऐसे में उनके बारे में और कुछ भी कहना नहीं बनता.

सूर्यकुमार यादव: 

सूर्यकुमार यादव. वो नाम जो इस प्लेइंग इलेवन से भूलकर भी नहीं मिस हो सकते. सूर्या इस विश्वकप में भारत के सबसे स्टार प्लेयर रहे. उन्होंने ही विराट के साथ कंधे से कंधा मिलाकर टीम की बल्लेबाज़ी को संभाले रखा. सूर्या ने इस विश्वकप में 190 के लाजवाब स्ट्राइक रेट से 239 रन बनाए. वो विश्वकप में तीसरे सबसे कामयाब बल्लेबाज़ भी रहे.

ये बात कहना भी गलत नहीं होगा. अगर  विराट और सूर्या नहीं होते तो हमारा हाल और भी बुरा होता.

ऋषभ पंत:

ऋषभ पंत को T20 विश्वकप 2022 में सिर्फ दो मौके मिले. माहौल शुरुआत से ही ऐसा था सबने टीम में होते हुए भी पंत को बैंच का प्लेयर मान लिया था. भले ही ऋषभ पंत की हालिया फॉर्म उनके साथ नहीं है. भले ही DK ने IPL में और विश्वकप से पहले फिनिशर का रोल प्ले किया है. लेकिन भारत का भविष्य तो पंत जैसे खिलाड़ी ही हैं. जो अगर इस विश्वकप में DK जैसा ही प्रदर्शन करते. तो भी भविष्य में उनके बेहतर करने की उम्मीद है.

ऐसे में पंत को इस प्लेइंग इलेवन में होना चाहिए.

ऑल-राउंडर्स: हार्दिक पंड्या: 

हार्दिक पंड्या इस टीम का वो पॉज़ीटिव हैं. जो भविष्य में भी भारत की एक बड़ी उम्मीद हैं. चोट से वापसी, IPL में धमाकेदार प्रदर्शन. उसके दम पर टीम इंडिया में वापसी. फिर विश्वकप से पहले मुकाबलों में खुद को फिनिशर के तौर पर साबित किया. और T20 विश्वकप में भी चमके. हार्दिक पंड्या ने इस विश्वकप में ज़रूरी मौकों पर अच्छी बैटिंग की और विराट और सूर्या के बाद तीसरे सबसे अधिक 128 रन बनाए. इसके अलावा उन्होंने अर्शदीप के बाद दूसरे सबसे अधिक आठ ज़रूरी विकेट्स भी लिए.

हार्दिक टीम इंडिया का वो भविष्य हैं. जो आगे चलकर टीम की कप्तानी भी कर सकते हैं.  

शार्दुल ठाकुर: 

शार्दुल ठाकुर पिछले कुछ समय से टीम इंडिया का हिस्सा रहे हैं. लेकिन T20 विश्वकप में रिज़र्व की जगह वो प्लेइंग इलेवन में होते तो काम बन सकता था. दरअसल शार्दुल अपनी स्लोअर गेंदों के लिए पहचाने जाते हैं. वो मिडल ओवर्स में ज़रूरी विकेट भी निकालकर देते हैं. इसके साथ ही वो हार्दिक के साथ लोअर ऑर्डर में टीम के लिए रन्स भी बनाने की काबीलियत रखते हैं.

शार्दुल ने भारत के लिए 15.3 के स्ट्राइक रेट से 25 मुकाबलों में 33 विकेट्स चटकाए हैं. जबकि इस साल IPL में भी उन्होंने टीम के लिए 15 अहम विकेट्स निकालकर दिए. शार्दुल ने टेस्ट में ही सही लेकिन ऑस्ट्रेलियाई विकेट्स पर अपने खेल से खुद को साबित किया है. ऐसे में शार्दुल अगर टीम में होते तो संयोजन बेहतर होता.

गेंदबाज़:वाशिंगटन सुंदर: 

वाशिंगटन सुंदर. ये नाम हमने कई बार टीम इंडिया में देखा. भारत के लिए 31 T20 मुकाबले भी खेले. लेकिन फिर टीम से गायब हो गए. अब साल 2022 में एकाएक इस खिलाड़ी को वनडे टीम में वापस बुला लिया गया. वेस्ट इंडीज़ और साउथ अफ्रीका के खिलाफ़ पांच मुकाबले खिलाए गए. जिसमें वाशिंगटन ने सात विकेट्स निकाले.

वाशिंगटन राइट आर्म ऑफ ब्रेक गेंदबाज़ हैं, जो कि IPL में अपनी टीम्स के लिए पावरप्ले में भी गेंदबाज़ी करते हैं. और शुरूआती विकेट्स निकालते हैं. साथ ही उनकी उम्र सिर्फ 23 साल है. ऐसे में उनके पास टीम इंडिया को देने के लिए बहुत वक्त है. इस खिलाड़ी को भी ऑस्ट्रेलिया में टीम में शामिल किया जा सकता था.

भुवनेश्वर कुमार: 

जसप्रीत बुमराह के चोटिल होने के बाद टीम के पास सबसे अनुभवी पेसर के तौर पर भुवनेश्वर कुमार थे. उन्होंने इस विश्वकप में सेमीफाइनल को छोड़ किसी भी मुकाबले में टीम को निराश नहीं किया. भुवी ने बहुत अधिक विकेट्स नहीं निकाले. लेकिन पावरप्ले में उन्होंन विरोधी टीम्स को मुश्किल में डाले रखा. ग्रुप के सभी मुकाबलों में भुवी ने टीम को एक अच्छी शुरुआत दी.

इतना ही नहीं उनके ये आंकड़ें विश्वकप से अलग भी हैं. उन्होंने T20I क्रिकेट में पहले ओवर में सबसे अधिक 17 विकेट निकाले हैं. जो कि किसी भी अन्य गेंदबाज़ से ज़्यादा हैं. भुवी की फिटनेस भी उनके साथ है. जब टीम इतना बड़े लेवल पर चेंज करना चाहती है तो तेज़ गेंदबाज़ी में भुवी की जगह बनती है.  

मोहम्मद शमी: 

अर्शदीप सिंह और हार्दिक पंड्या के बाद मोहम्मद शमी इस विश्वकप में भारत के तीसरे सबसे सफल गेंदबाज़ रहे. उन्होंने इस विश्वकप में कुल छह विकेट्स निकाले. वो भी तब जब कि उन्हें एक साल तक T20 टीम से बाहर रखा गया. खिलाड़ियों के चोटिल होने तक वो टीम के प्लान में भी नहीं थे.

इसके बावजूद वो सीधे विश्वकप के लिए टीम के बाद ऑस्ट्रेलिया पहुंचे और सिर्फ सात की इकॉनोमी से गेंदबाज़ी कर के गए. शमी का ट्रांसफॉर्मेशन हम सबने देखा है. 2016 के बाद से मुश्किल दौर से गुज़रते हुए उन्होंने टीम के लिए कमाल की वापसी की है. वो अभी इस टीम के साथ रह सकते हैं.

युजवेन्द्र चहल: 

युज़ी चहल. टीम इंडिया का सबसे बदकिस्मत नाम. अब इसे युज़ी की बदकिस्मती कहें या टीम इंडिया की कि उन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल ही नहीं किया गया. इस चैम्पियन प्लेयर को पूरे विश्वकप बैंच पर बिठाकर रखा गया.

IPL में 17 मुकाबलों में सबसे ज़्यादा 27 विकेट्स. पर्पल कैप होल्डर. आईपीएल के आधार पर टीम में वापसी की. कमाल का प्रदर्शन किया. ऑस्ट्रेलिया की टिकट कटवाई. लेकिन फिर भी विश्वकप में टीम मैनेजमेंट का भरोसा नहीं जीत सके. इस लेग ब्रेक गेंदबाज़ ने भारत के लिए 69 मुकाबलों में 85 विकेट्स भी चटकाए हैं.

युज़ी चहल को इस टीम में होना चाहिए था. वो भविष्य में भी भारतीय टीम के अहम गेंदबाज़ हो सकते हैं.

हमारी नज़र में ये वो खिलाड़ी हैं. जो अगर इस विश्वकप में होते तो टीम का काम बन सकता था. काम बनने से मतलब एक अच्छी टीम का अच्छा क्रिकेट खेलने से. विश्वकप के सेमीफाइनल में घुटने टेककर बाहर होने से नहीं है. हो सकता है ये टीम विश्वकप नहीं जीतती. लेकिन इस टीम में मौजूद खिलाड़ियों में इंटेंट दिखता है. जबकि कुछ खिलाड़ी अनुभवी हैं, जो कि अभी अपने अनुभव से भारतीय टीम को आगे ले जाने में मदद कर सकते हैं. जैसा 2007 में धोनी की टीम के साथ युवराज, सहवाग, हरभजन जैसे खिलाड़ियों ने किया था. 

टीम इंडिया के इन खिलाड़ियों को कब तक बचाया जाएगा!

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