'द इम्मोर्टल्स ऑफ़ मेलूहा' पर सीरीज़: जिसे करण जौहर बनाना चाहते थे, मगर नहीं बना पाए
अब प्रोजेक्ट शेखर कपूर के हवाले हो गया है.
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फोटो - thelallantop
'द इम्मोर्टल्स ऑफ़ मेलूहा' का फर्स्ट एडिशन साल 2010 में आया था. बुक लॉन्च होने के एक हफ्ते के अंदर ही ये इंडिया की बेस्ट सेलिंग नॉवेल बन गई. शुरुआती कुछ दिनों में ही किताब की 15 लाख से ज़्यादा प्रतियां बिक गईं थीं. मगर किताब पब्लिश होने से पहले करीब 20 पब्लिकेशन्स ने इसे छापने से मना कर दिया था. वजह थी इसका विषय. पब्लिशर्स का कहना था कि अमीश ने भगवान शिव पर लिखकर, धार्मिक विषय को चुनकर गलत किया. यंगस्टर्स इस किताब को पसंद नहीं करेंगे. पब्लिकेशन हाउस से रिजेक्ट होने के बाद अमीश ने अपनी किताब खुद पब्लिश की. उसका प्रमोशन किया और लोगों को शिव की कहानी पसंद आ गई. आखिर ऐसा क्या था शिव की इस किताब में?
#तो क्या है कहानी 'द इम्मोर्टल्स ऑफ़ मेलूहा' की
शिव ट्रिलजी की पहली किताब है 'द इम्मोर्टल्स ऑफ मेलूहा', दूसरी 'द सीक्रेट ऑफ नागाज़' और तीसरी 'द ओथ ऑफ द वायुपुत्र'. हिंदी में बताएं तो 'मेलूहा के मृत्युंजय', 'नागाओं का रहस्य' और 'वायुपुत्रों की शपथ'. तीनों किताबें मिलाकर करीब एक हज़ार पन्ने की इस नॉवेल की कहानी कुछ वाक्यों में बताना मुश्किल है. इसलिए कम शब्दों में हम आपको इसका सार बताएंगे.

अमीश ने शिव के बाद रामायण पर भी तीन किताबें लिखी हैं. जिन्हें रामचन्द्र सीरीज़ कहते हैं. इसमें राम, सीता और रावण तीनों किरदारों पर तीन किताबें लिखी गई हैं. इसकी चौथी और फाइनल किश्त अभी आनी बाकी है.
ये किताब एक माइथोलॉजी फिक्शन है. मतलब, जिसमें पौराणिक कथाओं को काल्पनिक रूप में दिखाया जाता है. जिसमें माइथोलॉजिकल फैक्ट्स को फिक्शन फैंटेसी एलीमेंट के साथ मिलाकर दिखाने की कोशिश की गई है. पुरानी कहानियों को कुछ नए किरदार, नई घटनाएं और नए कलेवर से पेश किया जाता है. जिस किताब पर सीरीज़ बन रही है उसका टाइटल है 'द इम्मोर्टल्स ऑफ़ मेलूहा'. यहां मेलूहा एक देश का नाम है. थोड़ा सा पीछे जाएंगे तो मालूम होगा कि मेलूहा शब्द बहुत पुराना है.
प्राचीन सुमेर देश, जिसे आज का ईराक भी कहा जाता है, वहां के साहित्य में इस शब्द का ज़िक्र मिलता है. कहा जाता है कि यहां के लोग मेलूहा देश से व्यापार किया करते थे. वैसे इस देश के वजूद का कोई खास प्रमाण तो नहीं मिलता लेकिन कई दावे किए गए हैं कि ईराक देश के लोग सिंधु-सरस्वती सभ्यता को ही मेलूहा कहा करते थे. इसी मेलूहा देश में शिव की यात्रा शुरू होती है. एक आम इंसान से भगवान बनने की यात्रा. शिव से भगवान नीलकंठ बनने की यात्रा. बस इसी प्लॉट पर बेस्ड है 'द इम्मोर्टल्स ऑफ़ मेलूहा'.

पौराणिक कथाओं में अक्सर समुद्र मंथन का ज़िक्र मिलता है. जिसमें से निकले ज़हर को शिव ना दानवों को देते हैं ना देवताओं को. वो ज़हर खुद ही पी जाते हैं. इसी घटना के बाद से शिव को नीलकंठ कहा जाने लगता है. मगर 'द इम्मोर्टल्स ऑफ मेलूहा' में आपको समुद्र मंथन जैसा कोई वाकया नहीं मिलता. बल्कि यहां आयुर्वती की दवाई खाकर शिव का कंठ नीला हो जाता है.
#शिव से नीलकंठ बनने तक का सफर
'द इम्मोर्टल्स ऑफ़ मेलूहा' में एक साधारण से लड़के शिव को नीलकंठ भगवान बनते दिखाया गया है. किस तरह वो अपने कर्मों से, अपने साहस से मेलूहा वासियों की मदद करता है, कैसे वो मेलूहा वासियों को चंद्रवंशियों से बचाता है और उनका भगवान बन जाता है. अमीश की इस किताब में शिव को इंसान रूप में दिखाया गया है. वो सिर्फ आदर्श और सौम्य नहीं होता. उसे गुस्सा भी आता है. वो अपने दोस्त के साथ नशा (चिलम) भी करता है. अपने प्यार सती को पाने के लिए उसका दिल जीतने के लिए कई सारे जतन भी करता है.

किताब में शिव और सती की शादी हो जाती है. सती से शादी करने के लिए राजा दक्ष से लेकर पूरे राज्य को मनाने का काम शिव करता है. उसकी इस प्रेम कहानी का वर्णन भी बड़ी खूबसूरती से किया गया है.
इन शॉर्ट शिव के किरदार को, उसके स्वभाव को और उसके काम करने के तरीके को दिखाया गया है. वो किन-किन स्थितियों का सामना करता है. किससे उसे धोखा मिलता है, कौन उसके साथ अंत तक रहता है, वो कैसे सरस्वती नदी से बनाए जा रहे सोमरस का गलत इस्तेमाल होने से रोकता है. कैसे अपने दोस्त वासुदेव से अपनी दोस्ती निभाता है, इन सभी की कहानी है 'द इम्मोर्टल्स ऑफ़ मेलूहा'.
#करण जौहर ने की थी शिव ट्रिलजी पर फ्रेंचाइज़ी बनाने की अनाउंसमेंट
शेखर कपूर से पहले भी अमीश की इस किताब पर फिल्में बनाने की बात होती आई हैं. मगर फिल्म अभी तक बन नहीं पाई. साल 2013 में आई अमीश की बुक 'वायुपुत्रों की शपथ' के लॉन्च पर करण जौहर ने अनाउंस किया था कि उनकी धर्मा प्रोडक्शन अमीश की किताबों पर फ्रेंचाइज़ी फिल्म बनाएंगे. जिसपर काम भी शुरू कर दिया गया था. करण ने कहा था कि ये प्रोजेक्ट धर्मा के लिए सबसे चैलेंजिंग होने वाला है. इसलिए इसे बनाने के लिए बेस्ट टीम सेलेक्ट की जा रही है. रिपोर्ट्स थीं कि करण जौहर ने अमीश से फिल्म के राइट्स खरीद लिए थे. फिल्म का टेंटेटिव टाइटल 'शुद्धी' रखा गया था. साथ ही लीड एक्टर के लिए ऋतिक रोशन को भी साइन कर लिया गया था. मगर किन्हीं कारणों से ये फिल्म बन नहीं पाई.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब अमीश से इस प्रोजेक्ट बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा,
''करण जौहर मेरे दोस्त हैं. मैंने उनके साथ 'द इम्मोर्टल्स ऑफ़ मेलूहा' पर बन रही मूवी डील को साइन किया था. मगर कुछ चीज़ें करण के कंट्रोल से दूर थीं. जिसकी वजह से ये फिल्म नहीं बन पाई और फिर से राइट्स मेरे पास आ गए हैं.''#संजय लीला भंसाली से भी जुड़ा था इस प्रोजेक्ट का नाम
जब करण जौहर ने इस फिल्म पर काम बंद कर दिया तो इसका नाम संजय लीला भंसाली से जुड़ा. रिपोर्ट्स में बताया जाने लगा कि करण के बाद संजय लीला भंसाली इस किताब पर फिल्म बनाना चाहते थे. मगर ये खबरें भी गलत निकलीं. अमीश ने इन सभी खबरों को अफवाह बताया. इस किताब पर फिल्म या सीरीज़ बनने में 12 साल लगे, ऐसा सोचकर आश्चर्य नहीं होना चाहिए. क्योंकि इससे पहले भी 'द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स' और 'जुरासिक पार्क' जैसी फिल्मों को बनाने में सालों लग गए.
#ग्लोबल एंटरटेनमेंट स्टूडियो, इंटरनेशनल आर्ट मशीन इंडिया में उतरेंगे
इस सीरीज़ से ग्लोबल एंटरटेनमेंट स्टूडियो, इंटरनेशनल आर्ट मशीन इंडियन मार्केट में एंट्री करने जा रहे हैं. अमेज़न के एग्जीक्यूटिव रह चुके रॉए प्राइज़ ने इस ट्रिलजी को मैसिव वे में बनाने की प्लानिंग की है. सीरीज़ की कास्टिंग को लेकर फिलहाल कोई ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं हुई है. शेखर कपूर के साथ फिल्म को सुपर्ण एस. वर्मा भी डायरेक्ट करेंगे. जो इससे पहले मनोज बाजपेयी की 'द फैमिली मैन' को लिख चुके हैं. सुपर्ण वर्मा इस सीरीज़ के शो-रनर भी होंगे.
अब तो ये वक्त बताएगा कि ये सीरीज़, किताब को पूरी तरह जस्टीफाई करती है या नहीं.