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खून से रंग गए कपड़े, लेकिन धोनी को चैंपियन बनाकर ही लौटा ये दिग्गज

शेन वॉटसन की वो पारियां, जिन्होंने सबका दिल जीत लिया.

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Dhoni with CSK
ट्रॉफी के साथ CSK के कप्तान एमएस धोनी (फोटो - PTI)
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गरिमा भारद्वाज
17 जून 2022 (Updated: 24 जून 2022, 03:59 PM IST) कॉमेंट्स
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IPL 2019 का फाइनल. चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस आमने–सामने. टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी मुंबई इंडियंस की टीम. क्विंटन डि कॉक–रोहित शर्मा ने टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई. 45 रन पर टीम का पहला विकेट गिरा. लेकिन टीम का मिडल ऑर्डर चूक गया. यहां सिर्फ कायरन पोलार्ड ही अच्छी पारी खेल पाए. और जैसे तैसे टीम ने 20 ओवर में 149 रन बनाए.

अब चेन्नई की बारी थी. सामने थे मुंबई के वर्ल्ड क्लास गेंदबाज. लेकिन चेन्नई की डैडी ऑर्मी भी तो तगड़ी ही थी. फाफ डु प्लेसी और शेन वॉटसन की जोड़ी ओपन करने आई. और इन दोनों ने कृणाल पंड्या को टार्गेट किया. फाफ ने कृणाल की गेंद पर दो चौके और एक छक्का जड़ा. लेकिन फिर कृणाल ने वापसी करते हुए उन्हें वापस पविलियन भेज दिया.

विकेट मिलते ही मुंबई जसप्रीत बुमराह को ले आई. मिचेल मैक्लेघन ने भी बढ़िया गेंदबाजी की. राहुल चाहर ने अपने पहले ओवर में सिर्फ तीन रन दिए. चेन्नई पर प्रेशर बनने लगा. और फिर हुआ विकेट्स का पतझड़. रैना आठ रन बनाकर वापस, रायुडू एक रन, धोनी दो रन बनाकर रन आउट. चेन्नई के लिए मैच फंस रहा था. लेकिन इन सबके बीच वॉटसन अभी 42 गेंदों में 42 रन बनाकर एक छोर पर मौजूद थे. और जब सबको लगा कि मुंबई मैच निकाल ले जाएगी, तभी वॉटसन ने वो किया, जो किसी ने सोचा नहीं था. 

वॉट्टो ने मलिंगा पर अटैक किया. 16वें ओवर में 20 रन. कृणाल पंड्या के 18वें ओवर में लगातार तीन छक्के और फिर 20 रन. एक ओर से बुमराह चेन्नई को झटके दे रहे थे, लेकिन दूसरी ओर से बवाल जारी थी. अब आखिरी ओवर में चेन्नई को जीतने के लिए छह गेंदों में कुल नौ रन चाहिए थे. सामने, मलिंगा. पहली तीन गेंदों में चार रन आ गए थे. अब बाकी तीन गेंदों में पांच रन चाहिए थे. ओवर की चौथी गेंद यॉर्कर.

वॉटसन ने सिंगल ले लिया. लेकिन उनका मन इतने पर नहीं माना. उन्हें अब चाहिए था दूसरा रन और स्ट्राइक. लेकिन इस चक्कर में वह रनआउट हो गए. 59 गेंदों में 80 रन की पारी के साथ वॉटसन पविलियन लौट गए. मुंबई एक रन से मैच जीत गई. 


अब आप सोच रहे होंगे कि हमने इस हार की कथा क्यों कही? वॉटसन अंत में तो रनआउट ही हो गए. मैच जिता नहीं पाए. फिर उनकी ये पारी क्यों खास है? दरअसल वॉटसन की ये पारी इसलिए खास है क्योंकि यहां उन्होंने सिर्फ पसीना नहीं, खून भी बहाया था. वो भी असली में. और अगर आप क्रिकेट फॉलो करते होंगे तो आपने कभी ना कभी उनकी वो रक्तरंजित फोटो जरूर देखी होगी. वॉटसन के पैर से बहते खून से उनका लोवर भीग गया था, लेकिन वो रुके नहीं. आखिर तक लड़े.

फाइनल के कुछ दिनों बाद शेन वॉटसन ने अपनी इस पारी पर कहा था,

‘मुझे इस बारे में पता ही नहीं था. आप उस बारे में ज्यादा चिंता नहीं करते जिसके बारे में आपको पता ही नहीं होता. मैं सिर्फ ये सोच रहा था कि स्कोर क्या हुआ है और हमें जीत के लिए कितने और रन चाहिए.’

शेन वॉटसन की ये पारी हम आज इसलिए याद कर रहे हैं, क्योंकि आज उनका जन्मदिन है. और इस मौके पर हमने सोचा कि क्यों ना आपको उनकी कुछ ऐसी ही बेहतरीन पारियां बताई जाएं. 

#अकेले इंडिया को डरा गए थे वॉटसन 

साल 2016 की बात है. इंडियन टीम लिमिटेड ओवर्स सीरीज खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी. वनडे सीरीज़ ऑस्ट्रेलिया ने अपने नाम कर ली. अब T20 की बारी थी. तीन मैच की सीरीज़ में हम 2-0 से आगे थे. 31 जनवरी को आखिरी T20I मैच खेला गया. इस मुकाबले में आरोन फिंच की जगह शेन वॉटसन स्टैंड इन कैप्टन थे.

कप्तानी का ज़िम्मा लेते हुए उन्होंने अपनी बैटिंग पोजिशन बदली. और ओपनिंग करने आए. उस्मान ख्वाज़ा 16 के टोटल पर ही लौट गए थे. इसके बाद शॉन मॉर्श भी नौ रन बनाकर लौट गए. मैक्सवेल भी सिर्फ तीन रन ही बना पाए.

लेकिन एक एंड संभाले हुए वॉटसन धुंआधार बल्लेबाजी करते रहे. उन्होंने 71 गेंदों में 124 रन की पारी खेली. टीम ने 20 ओवर में 197 रन बनाए. हालांकि इसके बाद रोहित शर्मा, विराट कोहली और सुरेश रैना की बढ़िया पारियों के दम पर टीम इंडिया ने ये मैच जीत लिया.

#ऑस्ट्रेलिया की रिकॉर्ड लिस्ट में आए वॉटसन

साल 2011 में ऑस्ट्रेलियन टीम बांग्लादेश के दौरे पर गई थी. तीन मैच की वनडे सीरीज़ खेलने. सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया 1–0 से आगे थी. दूसरे मुकाबले में बांग्लादेश ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी. 50 ओवर के खेल में बांग्लादेश ने 229 रन बनाए.

अब बारी थी चेज़ की. टार्गेट का पीछा करने के लिए शेन वॉटसन ड्रेसिंग रुम से ही सेट होकर आए थे. ब्रैड हैडिन (Brad Haddin) के साथ उन्होंने शुरुआत की. 62 के टोटल पर टीम का पहला विकेट गिरा. हैडिन 19 गेंदों में कुल आठ रन बनाकर पविलियन लौटे.

इनके जाने के बाद वॉटसन ने रिकी पॉटिंग के साथ मिलकर अटैक जारी रखा. दोनों ने 26 ओवर में ही मैच फिनिश कर दिया. पॉटिंग ने 42 गेंदों में 37 रन बनाए. और वॉटसन ने 192.71 के स्ट्राइक रेट से 96 गेंदों में 185 रन. अभी तक वनडे क्रिकेट में ये किसी भी ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज का सबसे बड़ा स्कोर है.

#बड़ा खिलाड़ी बड़े मैच में चलता है! 

साल 2009 की चैम्पियंस ट्रॉफी. इस टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया ने पांच मुकाबले खेले थे. शुरु के तीन मुकाबलों में वॉटसन का बल्ला बिल्कुल शांत रहा. पाकिस्तान के खिलाफ कुछ रन आए लेकिन वो इतने ज्यादा नहीं थे.

अब टीम सेमी फाइनल में एंट्री कर गई थी. इंग्लैंड के खिलाफ ये बड़ा मैच था. शेन वॉटसन से काफी उम्मीदें थीं. और उन्होंने निराश भी नहीं किया. इंग्लैंड के 257 रन को चेज़ करने के लिए वॉटसन ओपनिंग करने उतरे. उनके साथी टिम पेन चार गेंदों में चार रन बनाकर लौट गए.

फिर रिकी पॉटिंग के साथ वॉटसन ने पारी को संभाला. दोनों खिलाड़ियों ने शतकीय पारियां खेली. और टीम का दूसरा विकेट नहीं जाने दिया. वॉटसन ने 132 गेंदों में 136 रन बनाए. और अपनी टीम को फाइनल में प्रवेश कराया. 

#फाइनल में शतक

साल 2009 की चैम्पियंस ट्रॉफी में ही शेन वॉटसन का एक और शतक आया. फाइनल में आया ये शतक और ज्यादा खास था. क्योंकि ये उस वक्त आया जब वॉटसन की टीम न्यूज़ीलैंड के सामने स्ट्रगल करती दिख रही थी. इस मुकाबले में न्यूज़ीलैंड ने जीत के लिए सिर्फ 200 रन का टार्गेट रखा था. जब ऑस्ट्रेलिया चेज़ करने उतरी, तो वॉटसन एक एंड पर खड़े हो गए.

दूसरे एंड पर टिम पेन, रिकी पॉटिंग एक-एक रन बनाकर पविलियन लौट चुके थे. कैमरन वाइट ने वॉटसन का साथ दिया तो लेकिन ये पारी बहुत धीमी थी. कैमरन ने 102 गेंदों में 62 रन बनाए थे. इसके बाद माइकल हसी भी 11 रन पर लौट गए. वॉटसन एक एंड से लड़ते रहे. और अंत में 129 गेंदों में नॉट आउट 105 रन बनाकर टीम को जीत दिलाकर लौटे.

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