क्रिकेट के इतिहास की पांच सबसे तेज़ गेंदें कौन सी हैं?
पलक झपकते ही स्क्रीन पर 160kph या 150kph स्पीड कैसे आ जाती है.
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क्रिकेट इतिहास के तेज गेंदबाज़. फोटो: FB/Twitter
27 अप्रैल, 2002 वो दिन माना जाता है. जिस दिन क्रिकेट जगत में पहली बार किसी गेंदबाज़ ने 100mph की गति को छुआ. पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ शोएब अख़्तर ने इसी दिन लाहौर में न्यूज़ीलैंड के बल्लेबाज़ क्रेग मैक्मिलन को 100.04mph (161 kph) की गेंद फेंकी थी. हालांकि आईसीसी ने इस गेंद को मान्यता देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उनका मानना था कि इस मैच में गेंद की स्पीड मापने के लिए कोई भी स्टैंडर्ड उपकरण मौजूद नहीं था.लेकिन शोएब अख़्तर ने इस घटना के कुछ महीने बाद ही फिर से क्रिकेट इतिहास की तथाकथित सबसे तेज़ गेंद फेंककर इतिहास रच दिया. चलिए आपको बताते हैं क्रिकेट इतिहास की सबसे तेज़ गेंदों के बारे में.
क्रिकेट इतिहास की पांच सबसे तेज़ गेंदें:
1. शोएब अख़्तर vs इंग्लैंड, 2003 न्यूलैंड्स: आईसीसी ने जब शोएब की लाहौर वाली गेंद को मापने से इनकार कर दिया तो शोएब अगले साल फिर से आ गए. वर्ल्डकप 2003. पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच मुकाबला था. पारी का तीसरा ओवर. शोएब अपने लहराते हुए बालों के साथ तेज़ रफ्तार में दौड़े और 161.3 kph की स्पीड वाली इतिहास की सबसे तेज़ गेंद फेंक दी.
2. शॉन टेट vs इंग्लैंड, 2010 लॉर्ड्स: इस लिस्ट में दूसरा नंबर आता है ऑस्ट्रेलियाई पेसर शॉन टेट का. शॉन ने इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स के मैदान पर घातक गेंदबाज़ी की. उन्होंने अपने पहले ही ओवर की आखिरी गेंद पर 100.1 mph यानी 161.1 kph की स्पीड से गेंद फेंकी.
3. ब्रेट ली vs न्यूज़ीलैंड, 2005 नेपियर: साल 2005 में ब्रेट ली ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहला ओवर फेंका. क्रेग कमिंस बल्लेबाज़ी कर रहे थे. पहली तीन गेंदों में ही ब्रेट ने एक के बाद एक स्पीड बढ़ाई. ओवर की पांचवी गेंद से पहले ही वो 160 kph तक पहुंच गए थे. फिर पांचवी गेंद को 161.1 kph की फेंककर उन्होंने रिकॉर्ड बना दिया.
4. जेफ थॉम्सन 1976, वाका पर्थ: भले ही मॉर्डन डे क्रिकेट में शोएब और ली ने कई कीर्तिमान छुए हों. लेकिन क्रिकेट के ऐतिहासक दौर में स्पीड के सबसे बड़े किंग जेफ थॉम्सन ही थे. इस ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ ने वाका की पिच पर 160.45kph स्पीड की गेंद फेंकी. उस समय इस गेंद की स्पीड को फोटोसोनिक कैमरे की मदद से मापा गया था. ये स्पीड उस दौर के तेज़ गेंदबाज़ माइकल होल्डिंग और एंडी रॉबर्ट्स से लगभग 10kph ज्यादा मानी गई.
5. मिशेल स्टार्क vs न्यूज़ीलैंड, 2015 वाका: ऑस्ट्रेलियन टीम के पेस सेंसेशन मिशेल स्टार्क भी इस लिस्ट में शामिल हैं. उन्होंने न्यूज़ीलैंड के स्टार रोस टेलर के खिलाफ 160.4kph की गेंद फेंककर इतिहास रचा था.
ये तो बात हो गई क्रिकेट की सबसे तेज़ गेंदों की लेकिन क्रिकेट के मैदान पर जब कोई बॉलर गेंद डालता है. तो एकदम से टीवी स्क्रीन पर पलक झपकते ही कैसे पता चल जाता है कि इस गेंद की स्पीड क्या है. क्योंकि वो गेंद तो हवा में जा रही होती है. मैदान पर भी तो कोई व्यक्ति किसी तरह का डिवाइस लेकर नहीं खड़ा होता. तो स्पीड कैसे पता चलती है?
चलिए आपको ये समझाते हैं कि आखिर कैसे मापी जाती है क्रिकेट गेंद की स्पीड:
स्पीड गन: अक्सर ट्रैफिक पुलिस के पास हम एक डिवाइस देखते हैं. जिसका नाम है स्पीड गन. उस स्पीड गन की मदद से ट्रैफिक पुलिस ओवरस्पीड गाड़ियों का चालान करती है. ऐसी ही डिवाइस का इस्तेमाल क्रिकेट में भी किसी बॉल की स्पीड को मापने के लिए होता है. क्रिकेट के मैदान पर स्पीड नापने के लिए स्पीड गन को साइड स्क्रीन के साइड में लगाया जाता है. स्पीड गन के पास एक ट्रांसमीटर और रिसीवर लगा होता है. जिसकी मदद से बॉल की स्पीड नापी जाती है.

स्पीड गन की प्रतीकात्मक तस्वीर. Twitter
हॉक-आई सिस्टम: गेंद की स्पीड को मापने के लिए सिर्फ स्पीड गन ही काम नहीं करती. बल्कि हॉक-आई भी इसमें मदद करता है. अब आप सोच रहे होंगे कि हॉक-आई का यूज़ तो एलबीडब्लू को मापने के लिए होता है. जैसे कि किसी खिलाड़ी के डीआरएस लेने के बाद. लेकिन डीआरएल का इस्तेमाल सिर्फ इतना ही नहीं होता है, क्योंकि मैदान पर हॉक-आई के लिए छह कैमरा लगे होते हैं. जो कि गेंद के बल्ले से टकराने के वक्त तक की स्पीड को पकड़ सकते हैं.

इमरान खान और जावेद मियांदाद. फोटो: Javed Miandad FB
बेहतर होती तकनीक का फायदा क्रिकेट जगत को भी मिला है. फिर चाहे बात डीआरएस की हो, या फिर रन-आउट पकड़ने की. क्रिकेट के मैदान पर तकनीक के आने के बाद किसी गेंदबाज़ की गेंद ही नहीं बल्कि बल्लेबाज़ की शॉट-स्पीड भी पकड़ी जा सकती है.
लेकिन ये तकनीक हमेशा से नहीं रही. क्रिकेट सैकड़ों सालों तक तकनीक के अभाव में भी खेला गया है. जिस दौर में हम जेफ थॉम्सन की 160.58 गति वाली गेंद की बात करते हैं. उस दौर में मैल्कम मार्शल, जोएल गार्डनर, रिचर्ड हेडली, डैनिस लिली और इमरान खान जैसे लिजेंड गेंदबाज़ भी हुए. जिन्होंने बल्लेबाज़ों को ऐसे-ऐसे घाव दिए जो कि किसी भी मीटर से नहीं मापे जा सकते.
तकनीक के अभाव की वजह से उस दौर में सभी गेंदबाजों की गेंदों को उतनी अक्यूरेसी के साथ नहीं मापा जा सका. जैसा की आज संभव है. वरना ऐसा भी माना जाता है कि उस दौर में क्रिकेट के मैदान पर 175 kph गेंद फेंकने वाले गेंदबाज़ भी हुए हैं.
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