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10 रुपये बचाने के लिए मीलों पैदल चलने वाले ने मध्य प्रदेश को रणजी चैंपियन बना दिया!

कुमार कार्तिकेय. एमपी को चैम्पियन बनाने वाला मुंबई इंडियंस का गेंदबाज.

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Madhya Pradesh team
रणजी ट्रॉफी 2021 - 22 चैम्पियन मध्य प्रदेश (फोटो - BCCI)
28 जून 2022 (Updated: 29 जून 2022, 14:08 IST)
Updated: 29 जून 2022 14:08 IST
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‘जब रोहित भइया ने मुझे गेंद दी, तो उन्होंने मुझसे मेरी गेंदबाजी पर फोकस करने, और बिना चिंता किए गेंदबाजी करने को कहा. और कहा बाकी चीज़ें वो देख लेंगे. उन्होंने फिर स्पेल खत्म होने के बाद मेरी तारीफ की. कोच ने भी नर्वस ना होने के लिए और बहादुर होने के लिए मेरी सराहना की.’

राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ इस गेंदबाज ने अपने चार ओवर के स्पेल में कुल 19 रन देकर कप्तान संजू सैमसन का विकेट निकाला. मैच को मुंबई इंडियंस ने पांच विकेट से जीता. और ये जीत IPL 2022 में मुंबई इंडियंस की पहली जीत थी. इससे पहले टीम ने आठ मुकाबले गंवाए थे.

मुंबई इंडियंस के फ़ैन्स अब तक समझ गए होंगे, कि हम किस गेंदबाज का ज़िक्र कर रहे हैं. अगर आप मुंबई के फ़ैन नहीं है, तो बता दें कि हम स्पिनर कुमार कार्तिकेय की बात कर रहे हैं. IPL के दौरान आपने इनके स्ट्रगल के क़िस्से सुने होंगे. नहीं सुने तो हम बता देंगे. लेकिन उससे पहले ये जरूर बता दें कि आज कार्तिकेय का ज़िक्र रणजी ट्रॉफ़ी में किए उनके शानदार प्रदर्शन की वजह से हो रहा है.

कार्तिकेय की कहानी और उनके स्ट्रगल का एहसास आपको एक लाइन से हो जाएगा. जो उन्होंने मुंबई इंडियंस की सोशल टीम से कही थी. कार्तिकेय ने कहा था,

‘जब मैंने घर छोड़ा, मैंने सोचा था कि मैं तभी वापस आऊंगा जब कुछ हासिल कर लूंगा. IPL के बाद मैं रणजी ट्रॉफी के नॉक आउट के लिए मध्य प्रदेश जाऊंगा और फिर उसी के बाद घर जाऊंगा. मैं नौ साल के बाद घर जाऊंगा. और मैं अपने माता–पिता का रिएक्शन देखने के लिए उत्साहित हूं.’

#मध्य प्रदेश को चैम्पियन बना दिया!

IPL के बाद ये सीधा रणजी ट्रॉफी खेलने पहुंचे. मध्य प्रदेश और मुंबई के बीच का रणजी ट्रॉफी फाइनल. टॉस हारकर एमपी दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरी. पहली पारी में मुंबई ने 374 रन बनाए. अब अगर आपने इस मैच का स्कोरबोर्ड देखा होगा, तो आपको लगेगा कि यहां तो यश दुबे, शुभम शर्मा और रजत पाटीदार ने शतकीय पारियां खेलकर एमपी के लिए मैच बना दिया था.

एमपी ने अपनी पहली पारी में 536 रन बनाए. अब अगर ये मुकाबले ड्रॉ भी होता तो पहली पारी की बढ़त के दम पर एमपी अपनी पहली रणजी ट्रॉफी जीत ही जाती. लेकिन एमपी ने ड्रॉ से नहीं, क्लियर मार्जिन से ये मैच जीता. 162 रन से पिछड़ी मुंबई अब दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरी.

इस बार कार्तिकेय ने मुंबई के चार बल्लेबाजों को पविलियन भेजकर उन्हें 269 पर ही रोक दिया. जवाब में 108 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए एमपी ने छह विकेट से अपना पहला खिताब जीत लिया. कार्तिकेय ने इस मैच में शानदार गेंदबाजी की. लेकिन उनके लिए ये कहानी सिर्फ इस मैच की नहीं थी.

Ranji Trophy 2021-22 में खेले छह मैच की 11 पारियों में कार्तिकेय ने 32 विकेट निकाले. इस सीजन सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में उनसे ऊपर सिर्फ मुंबई के शम्स मुलानी हैं. मुलानी ने इतने ही मैच की इतनी ही पारियों में 45 विकेट हासिल किए थे.

#बैक टू स्ट्रगल के दिन!

चलिए अब आपको वापस कार्तिकेय के उन दिनों में लेकर चलते हैं, जिन पर हमने ऊपर बात की. कार्तिकेय यूपी के सुल्तानपुर में रहते थे. 15 साल की उम्र में ये अपना घर छोड़कर दिल्ली चले आए. दिल्ली अपने दोस्त राधेश्याम के पास. इसके पीछे का कारण उनके पिता श्यामनाथ सिंह (यू.पी पुलिस में हेड कांस्टेबल) ने TOI को बताया था,

'जब वह यूपी की अंडर-16 टीम में शामिल नहीं हुए, तो वह इस प्रॉमिस के साथ घर छोड़कर चले गए, कि वो तभी लौटेंगे जब क्रिकेट में अपना नाम कर लेंगे.'

दिल्ली आकर कार्तिकेट अपने दोस्त राधे के साथ कई क्रिकेट कोच से मिले. उनके दोस्त लीग क्रिकेट खेलते थे तो वो उनको लेकर गए. लेकिन वहां पैसों की वजह से बात नहीं बनी. ऐसे ही एक दिन कार्तिकेय को लेकर राधे, संजय भारद्वाज के पास गए. कोच संजय से कहा कि कार्तिकेय कोचिंग की फीस नहीं दे पाएंगे. 

और ये जानते हुए भी संजय ने कार्तिकेय से ट्रॉयल देने को कहा. और एक गेंद में ही उनके एक्शन को पढ़ते हुए, फ्री में उनको अपनी अकैडमी में शामिल कर लिया. क्रिकइंफो से बात करते हुए संजय बताते हैं,

‘कार्तिकेय 10 रुपये के बिस्कुट के पैसे बचाने के लिए क्रिकेट अकैडमी तक मीलों चलकर आते थे.’ 

अपनी क्रिकेट अकैडमी से 80 किलोमीटर दूर, गाज़ियाबाद के मसूरी में कार्तिकेय ने काम भी ढूंढ़ रखा था. वो रात को वहां काम करते और दिन में ट्रेनिंग के लिए आते. जब कोच को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने कार्तिकेय से ग्राउंड में ही वहां के कुक के साथ रहने को कहा. 

और जब पहले ही दिन कुक ने उनको लंच दिया तो कार्तिकेय रोने लगे. कोच ने बताया,

‘जब कुक ने उन्हें खाना दिया तो कार्तिकेय रोने लगे. उन्होंने एक साल से लंच नहीं किया था.’ 

अब ट्रॉफी जितने के बाद कार्तिकेय घर जाएंगे या नहीं? इस पर भी TOI से बात करते हुए वो बोले, 

‘मुझे अपने माता - पिता से मिले हुए नौ साल, दो महिने और तीन दिन हो गए है. मुझे लगता है मेरे घर जाने में अभी थोड़ा वक्त और लगेगा. मैं उनसे तभी मिलूंगा जब मेरे पास घर पर बिताने के लिए 20 - 25 दिन होंगे. मैंने उन्हें काफी समय से नहीं देखा है.’ 

कार्तिकेय के क्रिकेटिंग करियर की बात करें तो उन्हें संजय भारद्वाज ने स्कूल नेशनल खिलाया. DDCA (दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट असोसिएशन) लीग खेलते हुए उन्होंने 45 विकेट निकाले. दिल्ली के कई टूर्नामेंट्स में वो ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ रहे. लेकिन इसके बावजूद वो दिल्ली की टीम में अपनी जगह नहीं बना पाए.

ऐसे में कोच संजय ने उनको अपने दोस्त के पास एमपी भेजा. वहां कार्तिकेय ने डिविज़न क्रिकेट में अच्छा किया. एमपी की अंडर-23 टीम में जगह बनाई. और फिर वहां की रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया.

 

 

 

रणजी ट्रॉफी विजेता बनते ही लोगों ने गजब-गजब बातें कह दीं

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