Ind vs Ban: गैर जरूरी मैच, बहुत जरूरी हार
बांग्लादेश ने भारत को एशिया कप के सुपर 4 मुकाबले में हरा दिया. इस मैच को टीम इंडिया शुरू होने से पहले ही जीत चुकी थी. पर मैच ख़त्म होने तक, रिज़ल्ट बदल गया. इसका ज़िम्मेदार कौन है?
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Asia Cup का India vs Bangladesh मैच. एक टीम, जिसने अपनी चिर प्रतिद्वंदी टीम (पाकिस्तान) को कुछ दिनों पहले स्टाइल से हराया. और हराकर दुनिया की नंबर वन टीम भी बन गई. दो दिन लंबे इस मैच के बाद तीसरे दिन एक बार फिर श्रीलंका के खिलाफ टीम मैदान पर थी. पाकिस्तान के खिलाफ बल्लेबाज़ों ने मोर्चा संभाला था, मेज़बान श्रीलंका के खिलाफ बॉलर्स कारगर साबित हुए. बुमराह की शुरुआत, फिर कुलदीप-जडेजा का जादू. भारतीय फ़ैन्स तीन दिन में ही ये कहने के हक़दार बन गए थे,
'हम एशिया की बेस्ट टीम हैं.'
ये इमोशन पूरे देश में तीन दिन रहा. स्विंग के किंग से सोशल मीडिया स्टार बने इरफान पठान ने ट्वीट कर लिखा,
'अच्छा हुआ फाइनल में श्रीलंका से मैच है. पाकिस्तान से होता तो एकतरफा होता.'
इस एक ट्वीट को कितना भी हल्के में लिया जाए, एक ग़ुरूर तो साफ़ छलक ही रहा है. या शायद पाकिस्तान को नीचा दिखाने की कोशिश. 15 सितंबर को बांग्लादेश से मिली हार के बाद इरफान कोई ट्वीट करेंगे? मैच ख़त्म होने के घंटों बाद तक तो नहीं. इरफान भाई को छोड़ देते हैं. BCCI और टीम मैनेजमेंट की ओर चलते हैं.
BCCI, ऐसे खेलेंगे वर्ल्ड कप?पाकिस्तान के खिलाफ श्रेयस अय्यर पीठ में ऐंठन लेकर बाहर हो गए. एक और कमबैक प्लेयर, केएल राहुल को मौका मिला. राहुल ने शतक जड़ा. पारी को शानदार तरीके से पेस किया. श्रीलंका के खिलाफ भी राहुल ने ठीक-ठाक 39 रन की पारी खेली. पर बांग्लादेश के खिलाफ इस प्लेयर का बल्ला अटका ही रहा. वहीं पुराना रोग - डॉट बॉल. 19 बॉल, 39 रन. दो चौके. बहुत शानदार शॉट. राहुल अपना स्ट्राइक रेट बढ़ाने के चक्कर में आउट हुए. मैच ना देखा हो, तो कॉमेंट्री पढ़ लीजिए. हर किसी ने यही लिखा-माना है.
एक प्लेयर को टार्गेट करना सही नहीं है. पिच स्लो थी, बॉल स्किड कर रही थी. टीम में पांच बदलाव भी किए गए थे. विराट कोहली की जगह तिलक वर्मा को मौका मिला था. हार्दिक पंड्या की जगह सूर्यकुमार यादव आए थे. वही सूर्या, जो टी20 क्रिकेट में अलग ही लेवल पर खेलते हैं. पर फिक्र की बात ये है कि वनडे में उनका लेवल काफी नीचे आ जाता है. इस मैच की 26 रन की पारी को जोड़कर देखिए. वनडे में 25 पारियां, 24.4 का औसत, 537 रन और 99 का स्ट्राइक रेट. ऐसे स्टैट्स को मॉडर्न क्रिकेट को आम ही माना जाएगा. ख़राब भी माना जा सकता है, डिपेंड करता है आप तुलना किससे कर रहे हैं.
तुलना का ज़िक्र हो ही गया है, तो कर भी देते हैं. छोटी-सी. पर पहले मैच सिचुएशन जान लीजिए. सूर्या 24वें ओवर में बैटिंग करने आए. भारत को तब 173 रन चाहिए थे. ओवर्स काफी थे. बस संभल कर खेलना था. दूसरा छोर शुभमन गिल संभाल ही रहे थे. इस लड़के ने 121 रन की पारी खेल अपना पूरा काम किया.
पर सूर्या ऐसा नहीं कर सके. कम-से-कम पांच LBW अपील के बाद ये बल्लेबाज़ लौट गया. इसके बाद बैटिंग करने जडेजा, अक्षर पटेल और शार्दुल ठाकुर आए. यानी सूर्या बैटिंग लाइनअप की आखिरी कड़ी थे. जैसी बॉल पर LBW होने का खतरा था, वैसी ही बॉल से शाकिब-अल-हसन ने उन्हें बोल्ड मारा. एक और मैच, एक और फेलियर.
टीम के डगआउट में ध्यान से देखेंगे तो एक चेहरा नज़र आएगा. इनके बारे में कुछ जान लीजिए. 12 वनडे पारी, 390 रन, 55 का औसत, 104 का स्ट्राइक रेट. नाम, संजू सैमसन. सोचिए सैमसन क्या सोचते होंगे? स्टैंडबाई पर रखा गया ये प्लेयर बांग्लादेश के खिलाफ मैच जिता देता या नहीं, पता नहीं. पर मौका डिज़र्व करता था, इसमें कोई शक़ नहीं.
एक बल्लेबाज़ को मौके-पर-मौके मिल रहे हैं, एक को रन बनाने पर भी नहीं. ख़ैर, इसपर भी बहुत लिखा-पढ़ा-कहा जा चुका है. रोहित शर्मा कह चुके हैं कि सूर्या अपने दिन पर मैचविनर हैं. तो चलिए, मिलकर ऐसे दिन का इंतज़ार करते हैं. तब तक ज़िम्बाब्वे, आयरलैंड और वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ संजू को मैच जिताते भी देखेंगे.
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यहां बस्सी भाई के अनुभव से एक मीम चिपकाने का मन कर रहा है.

थोड़ा फ्लैशबैक में चलिए. मौका भी है, दस्तूर भी. वनडे वर्ल्ड कप आ रहा है. तो पिछले वाले पर भी एक नज़र मार लेने में क्या बुराई है? साउथ अफ्रीका के खिलाफ जीत. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत. पाकिस्तान के खिलाफ जीत. अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ जीत. वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ जीत. इंग्लैंड के खिलाफ हार. बांग्लादेश के खिलाफ जीत. श्रीलंका के खिलाफ जीत. 8 मैच में 7 जीत. कॉन्फिडेंस हाई था. पर फिर सेमीफाइनल आया, और न्यूजीलैंड ने हमें धो दिया.
इस टीम को रोहित शर्मा ने अपने कंधे पर ढोया था. जब रोहित शांत हुए, सब शांत हो गए. क्या ऐसा दोबारा होगा? रोहित ने पाकिस्तान के खिलाफ पचासा जड़ा, श्रीलंका के खिलाफ फिर दोहराया. इस मैच में कप्तान साहब नहीं चले, तो टीम फिर हार गई. पॉइंट ये नहीं है कि रोहित शर्मा या शुभमन गिल या विराट कोहली पर टीम निर्भर है, पॉइंट ये है कि टीम, टीम की तरह खेल कब रही है? एशिया कप के पहले मुकाबले में भारत के सामने पाकिस्तान था. उस मैच में शाहीन शाह अफरीदी ने वो किया, जो वो करते हैं. रोहित, विराट, हार्दिक, और जड्डू को वापस भेज दिया. उस दिन ईशान किशन और हार्दिक ने टीम की नैय्या पार लगाई थी.
साफ-सीधे शब्दों में कहें तो टीम को ऐसे प्रदर्शन और चाहिए. अगर वर्ल्ड कप जीतना है, तो सिर्फ सचिन तेंडुलकर और वीरेंद्र सहवाग और युवराज सिंह टीम को नहीं जिताएंगे. टीम के सुरेश रैना को, विराट कोहली को भी अहम योगदान देना पड़ेगा. और कंसिस्टेंटली देना होगा. वर्ना इस टीम के साथ वैसा ही हो सकता है, जैसा 2019 में हुआ था. एक मैच में 'ज़िम्मेदार प्लेयर्स' निपट गए, तो बाकियों में से ज़िम्मा कौन लेगा? इस सवाल का जवाब ऐसे मैच में ही मिलने चाहिए, जब टीम ने पांच बदलाव किए हो. अगर ऐसे मैच से भी इस सवाल का जवाब नहीं मिल रहा है, तो ये टीम के लिए चिंता का सबब होना चाहिए. और फ़ैन्स के लिए भी, जो पैसे खर्च कर, ग्राउंड जाकर, गला फाड़-फाड़कर और हंसकर-रोकर टीम को सपोर्ट करते हैं.
पर BCCI का क्या? सेलेक्टर्स का क्या? टीम का क्या? संजू सैमसन जैसे प्लेयर्स का क्या? क्या कुछ बदलेगा? पांच सेंचुरी के बाद सेमीफाइनल में बाहर हो गए तो? उम्मीद करते हैं आप और हम, 16 नवंबर को इस सवाल का जवाब ना खोज रहे हों.
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