जब सचिन के कंधे पर गेंद लगी और अंपायर ने उन्हें LBW आउट दे दिया
अंपायर के इस फैसले पर भयंकर विवाद हुआ था.
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सचिन तेंडुलकर दुनिया के महान बल्लेबाज़. जब मैदान पर उतरते थे तो हर फैन उनके साथ होता था. जब बल्लेबाज़ी करते थे तो सब टीवी सेट से चिपक जाते थे और अगर आउट हो गए तो फिर टीवी बंद.
सचिन कैच आउट या बोल्ड तो फिर भी फैंस दिल को तसल्ली दे देते थे. लेकिन अगर गलती से अंपायर ने LBW आउट दे दिया तो फिर तो फैंस का हो-हल्ला तय होता था. फिर चाहे बात साल 2011 विश्वकप में इंग्लैंड वाले मैच की हो, या फिर 2007 में ट्रेंट ब्रिज टेस्ट की.
खासकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तो कितनी ही बार अंपायर्स ने उन्हें LBW आउट दे दिया. फिर चाहे स्टीव बकनर का नकारते-नकारते उंगली उठा देना हो. या फिर 1999 में एडिलेड टेस्ट में कंधे पर लगी गेंद पर LBW आउट देना.
आज हम बात करेंगे उसी एडिलेड टेस्ट की. यहां पर सचिन को जिस तरह से आउट दिया गया उससे विवाद खड़ा हो गया.
साल 1999 में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने के लिए तैयार थी. ये वो समय था जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को घर में खेली पिछली दोनों सीरीज़ में हराया था. साल 1991/92 में आखिरी सीरीज़ जीत के बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया से दो सीरीज़ जीती और फिर 1998 शारजाह में खेले गए पेप्सी कप में भी उन्हें हराकर एक बड़ी चोट दी थी.
साल 1999 में सचिन बेहतरीन फॉर्म में थे. सचिन के नेतृत्व में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई. इस वक्त भारत का विदेशों में प्रदर्शन ज़रूरत से ज़्यादा निराशाजनक था. साल 1986 से 1999 के बीच भारतीय टीम विदेश में एक ही टेस्ट जीत पाई थी.
दौरे की शुरुआत हुई टूर मैचों से. क्वींसलैंड, प्राइम मिनिस्टर इलेवन, न्यू साउथ वेल्स और तस्मानिया जैसी टीमों के खिलाफ भारत ने मुकाबले खेले. हमने इन प्रैक्टिस मैचों में एक जीता और एक ड्रॉ करवाया. उम्मीद थी कि भारत की युवा टीम ऑस्ट्रेलिया को परेशान करेगी. लेकिन सीरीज़ के पहले टेस्ट में ही भारत की करारी हार हुई.
एडिलेड में पहला टेस्ट खेला जा रहा था. ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग की और बोर्ड पर 441 रन टांग दिए. अब भारत की बैटिंग आई. लेकिन हमने नौ के स्कोर पर ही दोनों ओपनर गंवा दिए. इसके बाद दिन का खेल खत्म होते-होते राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण भी आउट हो गए.
दिन का खेल खत्म होने में लगभग 40 मिनट का समय बचा था. ऐसे में ऑस्ट्रेलियंस ने सचिन को परेशान करने की रणनीति बनाई मैक्ग्रा ने एक दो नहीं पांच से छह मेडन ओवर फेंके.
दरअसल ऐसा इसलिए हो पा रहा था क्योंकि वो 70% गेंदों को सचिन से दूर विकेटकीपर के पास फेंक रहे थे. जबकि सिर्फ 10% ही ऐसी गेंदें थीं जो सचिन के पास आ रही थी. हालांकि उस दिन ऑस्ट्रेलियंस की रणनीति काम नहीं कर पाई. अगले दिन सचिन ने 61 रनों की शानदार पारी खेली. फिर भी ऑस्ट्रेलिया को 156 रन की बढ़त मिल गई.
दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया ने 239 रन पर पारी घोषित कर दी और भारत को 396 रनों का लक्ष्य दिया. भारतीय टीम दूसरी पारी खेलने तो उतरी लेकिन ऑस्ट्रेलियन गेंदबाज़ मैक्ग्रा, फ्लेमिंग, वॉर्न का किसी के पास कोई जवाब नहीं दिखा.
दूसरी पारी में भारतीय टीम ने 24 रन तक तक टॉप के तीन बल्लेबाज़ गांधी, लक्ष्मण और द्रविड़ को गंवा दिया था.
अब वो घटना होनी थी जिसपर बाद में खूब विवाद हुआ:
कप्तान सचिन, सदागोपन रमेश का साथ देने के लिए मैदान पर उतरे. स्टीव वॉ ने बाउंसर के लिए फील्ड पोज़ीशन सेट की. सचिन को फील्डिंग देखकर लगा कि मैक्ग्रा बाउंस फेंकने वाले हैं, क्योंकि वॉ ने शॉर्ट लेग और लेग गली में भी एक फील्डर तैनात कर दिया था.
मैक्ग्रा गेंद लेकर दौड़े. सचिन ने देखा गेंद पिच के बीच में टप्पा खाकर उनकी तरफ आ रही है. सचिन इस गेंद को बाउंसर समझकर नीचे बैठे गए. लेकिन गेंद ने बहुत ज़्यादा उछाल नहीं लिया. सचिन की नज़रें गेंद से हट गई थी, जिस वजह से गेंद सीधे आकर सचिन के बाएं कंधे पर लग गई.
एडिलेड टेस्ट में सचिन. फोटो: Twitter
गेंद के सचिन के कंधे पर लगते ही मैक्ग्रा ने जोरदार अपील की. ऑस्ट्रेलियंस जिस तरह से अग्रेसिव खेलते थे. उन्होंने वैसी ही अपील की. अंपायर डैरल हार्पर ने तुरंत सचिन को LBW आउट दे दिया.
ये देखकर भारतीय फैंस को तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ कि आखिर कंधे पर लगी गेंद के लिए कैसे उन्हें LBW दिया जा सकता है. माने ये तो शोल्डर बाय विकेट (SBW) हुआ, और आउट देने का ऐसा कोई सिस्टम होता नहीं है.
हार्पर की उंगली देख. सचिन हमेशा की तरह चुपचाप एक सभ्य स्टूडेंट की तरह वापस ड्रेसिंग रूम में लौट गए. लेकिन अगले दिन की सुर्खियों में इस फैसले को लेकर खूब चर्चा हुई.
हैरल हार्पर इस फैसले के लगभग 20 साल बाद भी अपने इस फैसले पर गर्व महसूस करते हैं. जबकि कई लोग इस फैसले पर दो धड़ो में बंटे हुए हैं. कुछ का मानना है कि सचिन LBW आउट थे. जबकि कइयों का मानना है कि वो गलत फैसला था.
कुछ क्रिकेट और सचिन फैंस का तो ये भी मानना है कि अगर उस वक्त DRS होता तो सचिन के शतकों के खाते में कम से कम 30 शतक और होते. जो कि गलत फैसलों के चलते वो मिस कर गए.
बाद में भारत ने एडिलेड टेस्ट को 285 रनों से गंवा दिया और सीरीज़ में भी भारत का 3-0 से क्लीनस्वीप हुआ.