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लोग बर्थडे, शादी में बुलाते थे इसलिए अमेरिका चले गए बजरंग!

Paris2024 में गोल्ड जीतने उतरेंगे बजरंग पुनिया.

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Bajrang Punia
टोक्यो में लड़ते बजरंग (फाइल फोटो)
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पुनीत त्रिपाठी
27 जून 2022 (Updated: 28 जून 2022, 12:06 PM IST) कॉमेंट्स
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भारतीय पहलवान बजरंग पुनिया ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि वो वर्ल्ड चैंपियनशिप्स के साथ एशियन गेम्स में भी खेलने के बारे में सोच रहे हैं. ये दोनों कंपटीशन 2023 में होने वाले हैं. एशियन गेम्स पहले इसी साल चीन में होने थे, पर कोविड के चलते इसे टाल दिया गया है. एशियन गेम्स अब 2023 में आयोजित होंगे. वर्ल्ड चैंपियनशिप्स भी इसी साल सितंबर में होगी. प्रेस से बात करते हुए पुनिया ने कहा कि अगर दोनों कंपटीशन के बीच कम से कम एक महीने का अंतर होता है तो वो दोनों में हिस्सा लेंगे.

सितंबर 2023 में रूस में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप्स 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाइंग इवेंट है. बजरंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा,

'2023 एक महत्वपूर्ण साल है. वर्ल्ड चैंपियनशिप्स के माध्यम से पेरिस 2024 के लिए क्वॉलिफाई करने पर हम फोकस्ड हैं. हम अभी तक नहीं जानते हैं कि एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैपिंयनशिप्स के बीच कितना अंतर होने वाला है.'

पुनिया इस साल कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में हिस्सा लेने वाले हैं. इसके पहले वो 35 दिन के ट्रेनिंग कैंप के लिए यूएस जा रहे हैं. यूनाइटेड किंगडम के बर्मिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स 28 जुलाई से शुरु होंगे. वहीं वर्ल्ड चैंपियनशिप्स सितंबर में सर्बिया के बेलग्रेड में खेली जानी है. बजरंग ने टोक्यो ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. इसके बाद वो इंजर्ड हो गए थे. बजरंग का मानना है कि बीती बातों को भुलकर आगे बढ़ना चाहिए. बजरंग ने कहा,

'मैं इंजर्ड हो गया था और टोक्यो के बाद लगभग आठ महीने तक रिहैब में था. ओलंपिक किसी भी एथलीट के लिए सबसे जरूरी इवेंट है. इंजरी से मुझे झटका लगा था, फिर भी मैंने ब्रॉन्ज जीता. 65 kg कैटेगरी दुनिया की सबसे कठिन श्रेणी है. ओलंपिक मेडल जीतने के बाद मैं थोड़ा भी नहीं बदला हूं. 2024 में और बेहतर करने का प्रयास रहेगा. मैंने फिर से ट्रेनिंग शुरु कर दी है. पिछले चार ओलिंपिक्स में भारत को कुश्ती में मेडल मिले हैं. ब्रॉन्ज और सिल्वर मिला है, पर गोल्ड नहीं. पेरिस 2024 के लिए मेरा यही टार्गेट है.'

बजरंग ने बताया कि जब वो बाहर ट्रेनिंग करने जाते हैं, तब उन्हें लड़ने के लिए बेहतर पार्टनर्स मिलते हैं. बजरंग ने कहा,

'मैं मिशिगन यूनिवर्सिटी में प्रैक्टिस करूंगा. कई टॉप पहलवान वहां ट्रेनिंग करते हैं. जैसे, मैं किर्गिस्तान के एर्नाजर अक्मातालिएव के साथ ट्रेन करूंगा. वो 70 किलो कैटेगरी में वर्ल्ड नंबर वन हैं. 86 किलो कैटेगरी के ओलंपिक मेडलिस्ट भी वहां होंगे. इसलिए मैं वहां ट्रेनिंग करना पसंद करता हूं. वहां ट्रेनिंग करने से हम लोकल डिस्ट्रैक्शन से भी बच जाते हैं. हमें विदेश में कोई डिस्टर्ब नहीं करता. यहां रहता हूं तो मुझे शादी, बर्थडे और तरह-तरह की पार्टियों के इनवाइट आते रहते हैं.'

बजरंग ने बताया कि कोई भी पहलवान ट्रेनिंग के दौरान किसी दूसरे पहलवान को इंजर्ड करने की कोशिश नहीं करता. उन्होंने बताया,

'मैट पर भले ही हम कंपीट करते हों, ऑफ-द-मैट हम सभी दोस्त हैं. मेरे मन में ऐसा कोई डर नहीं है कि मैं चोटिल हो जाऊंगा. मैंने रूस, यूरोप, अमेरिका और एशियाई देशों में ट्रेनिंग की है, ऐसा कभी नहीं हुआ.'

बता दें कि भारत सरकार के खेल और युवा मंत्रालय की TOPS स्कीम बजरंग की ट्रिप स्पॉन्सर कर रही है. बजरंग रविवार 26 जून को यूएस के लिए रवाना हो चुके हैं. वे 30 जुलाई तक मिशिगन कैंप में हिस्सा लेंगे. वहीं बर्मिंघम कॉमनवेल्थ में कुश्ती 5-6 अगस्त को खेली जानी है. याद रहे कि 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में 65 किलो कैटेगरी में बजरंग ने गोल्ड मेडल जीता था.

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