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साल 2004 की सुनामी से जुड़ा वो क़िस्सा, जिसमें बाल-बाल बचे थे अनिल कुंबले

मौत एकदम क़रीब थी.... लेकिन भाग्य ने बचा लिया.

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Anil Kumble
अनिल कुंबले
17 अक्तूबर 2022 (Updated: 18 अक्तूबर 2022, 13:38 IST)
Updated: 18 अक्तूबर 2022 13:38 IST
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जम्बो. नहीं नहीं, वो एनिमेटिड इंडियन मूवी नहीं, बल्कि इंडियन क्रिकेट के जम्बो, मिस्टर जम्बो. जिनको आप में से कई ने तो पाकिस्तान के खिलाफ एक पारी में 10 विकेट चटकाते हुए देखा होगा. दिल्ली के मैदान में मैच देख रहे दर्शकों को 'भंगड़ा पाते' देखा होगा. और कुछ ने साल 2016 से 2017 के बीच इंडियन टीम की कोचिंग करते हुए देखा होगा.

जाहिर है कि उनकी चर्चा करते हुए हम इनके प्लेयर वाले रोल को ही ऊपर रखेंगे. और ऐसा कहकर, हम उनकी कोचिंग में कमी नहीं निकाल रहे हैं, बात बस इतनी सी है कि नेशनल टीम के साथ उनका कोचिंग करियर ज्यादा लम्बा नहीं चल पाया. उसका अंत बड़े ही अजीब ढंग से हुआ. इस पर अनिल कुंबले ने कहा था,

‘मैं वास्तव में खुश था कि मैंने वहां अपना योगदान दिया और कोई पछतावा नहीं है. वहां से आगे बढ़ते हुए मुझे भी खुशी हुई. मुझे पता है कि अंत बेहतर हो सकता था लेकिन फिर यह ठीक है. एक कोच के रूप में, आपको एहसास होता है कि आगे बढ़ने का समय कब है, वो कोच है जिसे आगे बढ़ने की जरूरत है. मैं वास्तव में खुश था कि मैंने उस एक साल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.’

ख़ैर, कुंबले के खेलने के दिनों पर वापस लौटें तो उनके रिकॉर्ड्स और पूर्व क्रिकेटर्स से सुनी बातें उनके कद को स्पष्ट कर देती हैं. एक पारी में 10 विकेट चटकाने वाले विश्व के सिर्फ दूसरे गेंदबाज. विश्व क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर. और उनके 956 विकेट्स के आसपास कोई और इंडियन आज तक नहीं पहुंच पाया है. उनकी कप्तानी पर गौतम गंभीर का एक क़िस्सा काफी फेमस है. गंभीर ने कहा था,

‘सहवाग और मैं डिनर कर रहे थे, जब कुंबले अंदर आए और कहा तुम लोग इस पूरी सीरीज़ में ओपन करोगे चाहे कुछ भी हो जाए. अगर आप आठ बार शून्य पर आउट भी हो जाएं, तब भी कोई बात नहीं. मैंने अपने करियर में ऐसे शब्द किसी से भी नहीं सुने थे. तो, अगर मुझे किसी के लिए अपनी जान देनी पड़े, तो वो अनिल कुंबले होंगे. वो शब्द अभी भी मेरे दिल में हैं.’

अनिल कुंबले के बारे में इतनी सारी भूमिका बनाने के बाद, अब अपने क़िस्से पर आते है. टीम इंडिया में इनके महत्व को आप समझ ही गए होंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि एक बार कुंबले की जान पर बन आई थी? अगर नहीं पता, तो चलिए बताते हैं.

# जब बाल-बाल बचे कुंबले!

आपको याद है साल 2004? इस साल एशियाई देशों ने एक त्रासदी देखी थी. इंडियन ओशियन में सुनामी आई और इसमें कई लोगों की जान गई. इंडिया का तमिलनाडु भी इसके प्रभाव में आया था. और विस्डन की मानें तो क़रीबन दो लाख लोगों ने इस त्रासदी में अपनी जान गंवाई थी.

अब जिस दिन ये सब हुआ था, उस दिन इंडियन लेग-स्पिनर अनिल कुंबले भी वहां मौजूद थे. वो अपनी फैमिली के साथ छुट्टी मनाने चेन्नई पहुंचे हुए थे. अब वो कैसे इस त्रासदी से बचे आज हम आपको यही बताएंगे. और ये क़िस्सा उन्होंने एक यूट्यूब चैनल को बताया था. कुंबले ने बताया,

‘हम चेन्नई में फिशरमैन कोव में रह रहे थे. वहां पर मैं, मेरी बीवी और हमारा बच्चा था. मेरा बेटा क़रीबन 10 महीने का था और हमने हवा में ट्रेवल किया था. हम गाड़ी से नहीं जाना चाहते थे क्योंकि इसमें छह घंटे लगते. और हम नहीं चाहते थे कि मेरा बेटा इतना लंबा सफर करे.

हमने छुट्टियों में मज़े किए और जिस दिन सुनामी आई, हम वहां से निकल रहे थे. हम वहां से जल्दी निकल रहे थे, क्योंकि मुझे लगता है हमारी फ्लाइट 11.30 की थी. तो हम होटल से 9.30 के क़रीब निकले. मेरी पत्नी उस रात बहुत बेचैनी से जागती रही.

वो मुझे ये कहकर उठाती रही कि देखो, टाइम क्या हुआ है? मैं सही महसूस नहीं कर रही हूं. मुझे बेचैनी हो रही है. तो हम जल्दी उठ गए. हमने समुद्र को देखते हुए कॉफी पी. सबकुछ शांत था, बादल थे. लगभग 8.30 बजे, हम नाश्ते वाले एरिया में गए और जैसा कि आप जानते हैं, नाश्ते वाला एरिया थोड़ा ऊंचाई पर है.

फोटो - अपने परिवार के साथ अनिल कुंबले 

और हम शायद नाश्ता कर रहे थे, जब पहली लहर आई. मुझे इस बात की भनक तक नहीं थी कि ऐसा हुआ है. जब हम चेकआउट कर रहे थे, मैंने एक यंग कपल को बाथरोब में देखा, एकदम भीगे हुए और वो कांप रहे थे. मैं समझ नहीं पाया कि वह क्या था. हम बाहर निकले और कार में बैठ गए.

लक्ज़री रिसॉर्ट के बाद, एक पुल आता है. यहां मैं सचमुच पानी को छू सकता था, क्योंकि पानी का स्तर पुल से मुश्किल से एक फुट की दूरी पर था और उसमें झाग आ रहा था. हम बहुत सारे लोगों को देख सकते थे, जैसा आप मूवी में देखते है. जहां पर लोग वो सारा समान लेकर चलते है जो वो ले सकते हैं.

बर्तन, पैन, कंधों पर बच्चे और बैग जितने वो ले सकते है. हमारे ड्राइवर को उसके फोन पर लगातार फोन आ रहे थे, फिर हमने उसे ड्राइविंग पर ध्यान देने को कहा, लेकिन वह कहता रहा, 'बहुत सारा पानी आ गया है.’ हमें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह क्या कह रहा है, बारिश नहीं हुई थी, हमने सुनामी के बारे में नहीं सुना था. हमें नहीं पता था कि क्या हो रहा है. जब मैं बेंगलौर वापस आया, और फिर टेलीविजन चालू किया, तब मुझे महसूस हुआ कि सुनामी आ गई है. इसलिए हम पूरी तरह से अनजान थे कि क्या हुआ था.'

इस क़िस्से पर कुंबले ने आगे कहा,

‘कुछ साल पहले मैं होटल मैनेजर से मिला, मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ था. उन्होंने कहा, 'आप जिस कॉटेज में थे, उसमें पानी आ गया था, और जब आपने पुल पास किया, तो दूसरी लहर जो आई उसने पुल को डुबा दिया' तो शायद हमारी नियति में था, और हम बस कुछ ही वक्त से बच गए.’

बता दें कि 2004 में आई इस सुनामी से तमिलनाडु में कई हजार लोगों की जान गई थी. और ये क़िस्सा हमने अनिल कुंबले के जन्मदिन पर सुनाया. कुंबले 17 अक्टूबर 1970 को पैदा हुए थे.

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