22 अप्रैल 1998, वो दिन जब शारजाह में सचिन नाम का तूफ़ान आया और ऑस्ट्रेलियन टीम उड़ गई
उस मैच को आज तक 'डेजर्ट स्टॉर्म' मैच कहा जाता है.
डेजर्ट स्टॉर्म. सीधी भाषा में रेगिस्तानी इलाकों में आने वाला बहुत जोर का आंधी-तूफान. इसमें बहुत सारी रेत उड़ती है और अपनी जद में आने वाली हर चीज पर कब्जा कर लेती है. हमने जैसलमेर के रहने वाले सुमेर से डेजर्ट स्टॉर्म के बारे में पूछा, तो उन्होंने अपना अनुभव बताया,
'अचानक से हवा रुक गई. उत्तर की तरफ दूर से आसमान छूती रेत आती दिखी. लोग घरों की ओर भागे. दरवाज़े बंद. पेड़ों में हलचल और फिर अंधेरा. घुप्प अंधेरा. तेज आवाज़ें, दीवारों से टकराते सूखे पत्तों की. गिरती चीज़ों की. चारों तरफ़ रेत ही रेत. चेहरों पर, दीवारों पर, आसमान में और धरती से तो उठी ही थी.'
फिर हमने यही सवाल अपनी साथी स्वाति से किया. स्वाति विदेश मामलों में खास रुचि रखती हैं. हमारे डेली शो 'दुनियादारी' की कर्ता-धर्ता स्वाति ने डेजर्ट स्टॉर्म के बारे में बताया,
'1991 का पहला खाड़ी युद्ध. नाम: ऑपरेशन डेज़र्ट स्टॉर्म. सद्दाम हुसैन वाले इराक ने कुवैत पर हमला किया. इराक से कहा गया कि वो अपने पैर पीछे करे. मगर वो माना नहीं. जवाब में अमेरिका के नेतृत्व वाली गठबंधन फौज ने इराक पर हमला कर दिया. जंग में इराक बुरी तरह हारा.'
हमने यही सेम कोच्चन अपने पूर्व साथी केतन से किया. केतन क्रिकेट ही खाते-पीते-ओढ़ते-बिछाते हैं. केतन ने छूटते ही कहा,
# करो या मरो'कैस्प्रोविच के सर के ऊपर मारा सचिन का छक्का और टोनी ग्रेग का कहना, 'They're dancing in the aisles of Sharjah.'
डेजर्ट स्टॉर्म की पहली दो डेफिनेशन आपको गूगल पर धड़ से मिल जाएगी. लेकिन तीसरी डेफिनेशन के लिए शायद आपको काफी गहराई में जाना पड़ेगा. इतनी मेहनत मत करिए, हम यहीं आपको सुना देते हैं उस डेजर्ट स्टॉर्म का किस्सा.
तारीख 22 अप्रैल 1998. जगह शारजाह. कोका कोला कप. भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच. टूर्नामेंट बेहद रोमांचक मोड़ पर था. इस मैच में भारत के सामने थी ऑस्ट्रेलिया. कंगारू टीम फाइनल में पहुंच चुकी थी. भारत को फाइनल में पहुंचने के लिए यह मैच जीतना ही था. अगर ना जीतें, तो इतने करीबी अंतर से हारें कि रन रेट न्यूज़ीलैंड से बेहतर रहे.
ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग की. पिछले मैच के हीरो अजित आगरकर इस मैच में नहीं खेले. चोटिल आगरकर की जगह भारत ने हरविंदर सिंह को मौका दिया. मार्क वॉ के 81 और माइकल बेवन के 101 की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने 284 रन बनाए. हरविंदर खूब पिटे. हालांकि स्कोरकार्ड देखेंगे तो सबसे बुरी गत हरभजन की दिखेगी. सिर्फ 17 साल के हरभजन सिंह ने उस दिन लगभग आठ की औसत से रन दिए. कप्तान अज़हर ने उस दिन आठ बोलर यूज किए लेकिन वे सारे खेत रहे. जीत बेहद मुश्किल लग रही थी.
# डेजर्ट स्टॉर्म और सचिनभारत ने बैटिंग शुरू की. गांगुली जल्दी निपट गए. तीसरे नंबर पर पिंच हिटर के रूप में भेजे गए नयन मोंगिया ने कुछ अच्छे हाथ दिखाए लेकिन वह भी बहुत देर तक नहीं टिक पाए. मैच के 29वें ओवर तक भारत चार विकेट खो चुका था. कि तभी तूफान आ गया. तूफान बेहद भयानक था, खासतौर से उन तमाम लोगों के लिए, जिन्होंने इससे पहले कभी डेजर्ट स्टॉर्म नहीं देखा था. जैसे सचिन. इस तूफान से सचिन बहुत डर गए. जैसा कि उन्होंने बाद में बताया,
'मैंने अपने जीवन में कभी भी ऐसा रेतीला तूफान नहीं देखा था. यह कुछ ऐसा था जैसे में किसी हॉलीवुड मूवी में घुस गया हूं. मैं अपने बगल में खड़े एडम गिलक्रिस्ट को जोर से पकड़ने ही वाला था. मुझे लगा कि मैं उड़ जाऊंगा. इसलिए मुझे किसी ऐसे व्यक्ति का सहारा लेना चाहिए, जो 80-90 किलो का हो. मुझे पता ही नहीं था कि क्या करूं. प्लेयर्स ग्राउंड पर लेटे थे.'
प्लेयर्स से इतर प्रोडक्शन रूम का हाल थोड़ा अलग था. कॉमेंट्री कर रहे इयान और ग्रेग चैपल बेसब्री से मैच दोबारा शुरू होने का इंतजार कर रहे थे. तभी उनके पास मार्क मस्करेन्हास आए. मस्करेन्हास, सचिन के एजेंट और इस सीरीज के टीवी राइट्स रखने वाली कंपनी के मालिक थे.
हैरान ना हों, ये युवी को पांच छक्के मारने वाले दिमित्री मस्करेन्हास के रिश्तेदार नहीं थे. मार्क एक भारतीय आंत्रप्रेन्यॉर थे. सचिन के पहले एजेंट रहे मार्क हर हाल में भारत को फाइनल में पहुंचते देखना चाहते थे. उन्होंने इस मैच के रिजल्ट के बारे में इयान से पूछा कि वह क्या सोचते हैं? इयान ने कहा,
'मार्क, फाइनल 24 अप्रैल को होगा. ऑस्ट्रेलिया में तब तक 25 तारीख हो चुकी होगी और उस दिन वहां ANZAC (ऑस्ट्रेलिया एंड न्यूज़ीलैंड आर्मी कॉर्प्स) डे मनाया जाता है. इसी से समझ लो कि फाइनल में कौन सी दो टीमें खेलेंगी.'
मार्क ने यही सवाल ग्रेग से पूछा. ग्रेग ने बस एक लाइन बोली,
# नहीं मन पाया जश्न'मैं इयान से सहमत हूं.'
कुछ देर बाद मैच दोबारा शुरू हुआ. चार ओवर्स घटा दिए गए. अब भारत को 46 ओवर्स में जीत के लिए 276 रन बनाने का टार्गेट मिला. जबकि रन रेट के आधार पर आगे जाने के लिए उन्हें 237 बनाने थे. सचिन ने तूफान से पहले की अपनी आंधी वाली बैटिंग को तूफान में बदला. उन्होंने हर ऑस्ट्रेलियन बोलर को धुना. शेन वॉर्न, टॉम मूडी और माइकल कैस्प्रोविच. सब पीटे गए. सचिन ने VVS लक्ष्मण के साथ 100+ रन की पार्टनरशिप की.
इस बारे में क्रिकेट मंथली से बात करते हुए लक्ष्मण ने कहा था,
'मैं 138/4 के स्कोर पर बैटिंग करने आया. मैंने और सचिन ने मिलकर 112 रन जोड़े. इसमें मेरा योगदान सिर्फ 23 रन का था. उस दिन सचिन की 143 रन की पारी मेरे द्वारा देखी गई किसी भी भारतीय की सबसे विध्वंसक पारियों में से एक है. वह पहली बार था, जब मैंने किसी को इस तरह से खेलते देखा. मैं ओवर्स के बीच में उनसे बात कर रहा था लेकिन मुझे पता है कि सचिन उस दिन मुझे नहीं सुन रहे थे.'
हालांकि सचिन की ताबड़तोड़ पारी भी भारत को जीत नहीं दिला पाई. टीम इंडिया 46 ओवर्स में पांच विकेट खोकर 250 रन ही बना पाई. टीम को जीत के बेहद करीब पहुंचाने वाले सचिन को डेमियन फ्लेमिंग ने आउट किया. ये सब क्यों हो रहा था? फाइनल में पहुंचने के लिए.
फिर फाइनल में क्या हो रहा था. तूफान रीप्ले हो रहा था. क्यों हो रहा था. क्योंकि सचिन फिर सेंचुरी की राह पर थे. और जहां वह रुके, नाबाद, वहां कप उन्हें छाती से भींचने का इंतजार कर रहा था. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को छह विकेट से हराकर फाइनल जीता. तो ये 25 अप्रैल की सुबह थी. ऑस्ट्रेलिया फौज का जश्न मना रहा था. मगर उनके कहकहों में क्रिकेट का जिक्र नहीं था.
# ट्रिविया
# उस वक्त 143 रन सचिन का बेस्ट वनडे स्कोर था.
# सचिन ने इस मैच में मार्क और स्टीव वॉ, दोनों भाइयों को आउट भी किया था. मार्क जहां कैच वहीं स्टीव रन आउट हुए थे.
# सचिन इस मैच में जिस बॉल पर आउट हुए वह नो बॉल थी. फ्लेमिंग की शॉर्ट पिच बॉल ने जब सचिन को पार किया तो वह उनके कंधे से ऊपर थी.
# फाइनल की टीमों को लेकर इयान चैपल की भविष्यवाणी के लिए मार्क ने सालों तक उनका मज़ाक बनाया.
# जब भी सचिन की बेस्ट वनडे पारियों की बात आती है, इन 143 रनों को जरूर शामिल किया जाता है.
# सचिन ने फाइनल में सेंचुरी मारी तो उनको गिफ्ट में एक मर्सिडीज कार मिली.
# इस टूर्नामेंट का स्पॉन्सर कोका-कोला था और सचिन पेप्सी का ऐड करते थे. कोका-कोला के मालिक ने उन पर प्रभाव जमाने के लिए फाइनल से पहले हुई पार्टी के दौरान उन्हें गाड़ी देने का वादा किया था.
# साल 1998 सचिन के लिए बल्ले और बॉल दोनों से बेस्ट रहा. उन्होंने 1894 रन बनाने के साथ 24 विकेट भी लिए.
# फाइनल में शेन वॉर्न ने बिना विकेट लिए 10 ओवर्स में 61 रन दिए. उस वक्त यह उनका सबसे बुरा प्रदर्शन था.
# इस टूर्नामेंट से ठीक पहले भारत में भी एक त्रिकोणीय टूर्नामेंट खेला गया था. वहां भारत फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया था.
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