औरतों का वो ताकतवर वीडियो जिसे देखकर तालिबानी किलस जाते हैं
आवाज़ दबाने वाले तालिबान के खिलाफ काबुल की औरतें फिर से सड़क पर उतर रही हैं.
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अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी शासन के ख़िलाफ़ महिलाएं सड़क पर आ गईं हैं. अगस्त, 2021 में तालिबान के कब्ज़े के बाद से ही वहां महिलाओं पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं. सामाजिक जीवन में उनकी भागीदारी नगण्य कर दी गई है. इसके विरोध में महिलाएं काबुल और अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन कर रही हैं. उनकी मांग है कि उन्हें पढ़ने, काम करने दिया जाए. प्रशासन में उनकी भागीदारी बढ़ाई जाए.
इस्लामिक एमिरेट फोर्स ने उन्हें बम और बंदूक़ से डरा रही है, कई प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी तक हो गई. अब महिलाओं ने प्रदर्शन का नया तरीका निकाला है. वो रात में दीवारों पर पेंटिंग्स बना रही हैं, मैसेजेस लिख रही हैं. इनके जरिए वो अपना हक मांग रही हैं. अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं का आंदोलन रूस के न्यूज़ आउटलेट स्पूतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक़, काबुल में दर्जनों अफ़ग़ान महिलाओं ने 11 जनवरी को विरोध प्रदर्शन किया. स्पूतनिक ने एक प्रदर्शनकारी महिला के हवाले से बताया कि तालिबान महिलाओं को पब्लिक स्पेस और काम पर हिजाब पहनने के लिए मजबूर कर रहा है.
महिला प्रदर्शनकारी ने स्पूतनिक को बताया,Dozens of Women in Kabul Protesting Against Restrictions Imposed by #Taliban
— Sputnik (@SputnikInt) January 11, 2022
https://t.co/6Tz3swSGcQ
"तालिबान नहीं चाहता कि महिलाओं को शिक्षा और काम मिले. हिजाब को अनिवार्य करना यह बताता है कि तालिबान नहीं चाहता कि महिलाएं देश में रहें."दीवारों को बनाया स्लेट और लिख दिया इंसाफ़ महिलाओं के विरोध प्रदर्शन को अक्सर इस्लामिक एमिरेट्स फोर्स दबा देती थी. वे विरोध को हिंसा और धमकियों से तोड़ देते थे. तो महिलाओं ने विरोध करने के नए तारीक़े इजाद किए हैं. वे रात के समय दीवारों पर बड़े चित्र (म्यूरल) बनाती हैं और अपने बड़े-बड़े अक्षरों में लिख देती हैं - 'काम, शिक्षा और आज़ादी हमारा हक़ है.'
टोलो न्यूज़ ने काबुल में जमा प्रदर्शनकारियों से बात की. उन्होंने कहा,“Work, education, and freedom is our rights”
Female protesters took to the streets today in Kabul to protest against new restrictions on Afghan women by Taliban.#aamajnews
pic.twitter.com/cfJgu7e3Rh
— Aamaj News (@aamajnews24) January 11, 2022
"आज की महिलाएं 20 साल पहले की महिलाएं नहीं हैं. हम अपनी आवाज़ उठाने के लिए हर मुमकिन तरीक़े का इस्तेमाल करेंगे."दरिया नेशत नाम की एक्टिविस्ट ने टोलो न्यूज़ से कहा,
"हमें अपने हक़ चाहिए. हम पीछे नहीं हटेंगे और अपना विरोध तब तक जारी रखेंगे जब तक हमें हमारे हक़ नहीं मिल जाते."दीवारों पर म्युरल्स बनाने और लिखने के अलावा महिलाएं पुरुषों के कपड़े पहनकर भी अपना विरोध ज़ाहिर कर रही हैं. अफ़ग़ानिस्तान में महिलाएं तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान को क़ब्ज़ाने के बाद सबसे पहला काम ये किया कि उन्होंने महिला मंत्रालय बंद कर दिया. 2001 में महिला मंत्रालय स्थापित किया था. ये मंत्रालय महिलाओं के स्वास्थ्य, उनकी शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए काम करता था. तालिबान ने उसे बंद करके उसकी जगह एक नया मंत्रालय खोला. इसे एक बहुत फैंसी नाम दिया. Promotion of virtue and prevention of vice ministry. मतलब, सद्गुण का प्रचार और दुराचार का उन्मूलन मंत्रालय. इस मंत्रालय ने इस्लामिक क़ानून के तहत एक एक पर प्रतिबंध लगाने शुरू किए. ख़ासतौर पर महिलाओं पर.
1,20,000 शिक्षिकाओं और 14,000 स्वास्थ्य कर्मियों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिली है (तस्वीर - रायटर्स)
अगस्त से आज की तारीख़ तक, बीते पांच महीनों में, इस मंत्रालय ने जो-जो किया, आपको बताते हैं.
- सितंबर में तालिबान ने लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा पर प्रभावी रूप से रोक लगा दी. केवल लड़कों के लिए हाई स्कूल फिर से खोलने का आदेश दिया. वादा तो किया कि महिलाएं अभी भी विश्वविद्यालय में कुछ विषयों का अध्ययन कर सकती हैं, लेकिन UN वुमन का कहना है कि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है और इसके कोई आसार नहीं दिख रहे. UNESCO की एक रिपोर्ट बताती है कि जब तालिबान शासन में नहीं था तो महिलाओं का साक्षरता दर एक दशक में दुगना हो गया.
- नवंबर में महिलाओं को टीवी सीरियल्स में दिखने पर रोक लगा दी और महिला पत्रकारों को स्क्रीन पर हेडस्कार्फ पहनने का आदेश दिया गया.
– दिसंबर, 2021 में निर्देश निकाला कि महिलाएं 45 मील यानी 72 किलोमीटर से ज़्यादा का सफ़र अकेले नहीं कर सकतीं. साथ में कोई पुरुष संबंधी न होने पर कोई सवारी गाड़ी उन्हें नहीं बैठाएगी. साथ ही यात्रा के दौरान बस या गाड़ियों में बजने वाले गानों पर भी प्रतिबंध लगा दिया.
- नए साल की शुरुआत एक नए फ़रमान से की. फ़रमान जारी किया कि बल्ख़ और हेरात प्रांतों में महिलाओं का हमाम इस्तेमाल करना वर्जित किया जाता है. अफ़ग़ानी महिलाओं को अब घर के स्नानघर में ही नहाना होगा और इस दौरान भी उन्हें हिजाब पहनकर रखना होगा. हेरात में स्थानीय अधिकारियों ने पहले ही औरतों के कॉमन स्नानघरों को अस्थाई रूप से बंद कर दिया था. फिर अब ये आधिकारिक आदेश आ गया.
इसके अलावा, ABC न्यूज़ ने रिपोर्ट किया कि 1,20,000 महिला शिक्षकों और 14,000 महिला स्वास्थ्य कर्मियों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिली है. राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को स्ट्रेटेजिकली कम किया गया है. पब्लिक लाइफ़ में उनकी हिस्सेदारी 28% से घटकर 0 हो गई है. और महिलाओं को म्युनिसिपल पदों से हटा कर, पुरुषों को भरा जा रहा है.
तालिबान की 1996 से 2021 की सत्ता में लड़की पैदा होना एक 'जुर्म' माना जाता था. अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के बाद के वर्षों में चीज़ें बदलीं. कई स्कूलों ने लड़कियों के लिए अपने दरवाज़े खोले. महिलाएं काम पर वापस गईं. 2003 में महिलाओं के अधिकारों के लिए एक नया संविधान बनाया गया और 2009 में देश ने महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का उन्मूलन (EVAW) क़ानून अपनाया. महिलाओं के पास जीवन था, भविष्य था और सपने थे जो तालिबान की वापसी के साथ ही फिर से खतरे में आ गए हैं.