पीरियड्स हमेशा के लिए बंद होने पर हड्डियों में क्या दिक्कतें आती हैं? डॉक्टर से वजह-बचाव सब जानिए
मेनोपॉज (Menopause) के दौरान महिलाओं की हड्डियां और मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं और उनमें दर्द होना शुरू हो जाता है. लेकिन ये समस्याएं आती क्यों हैं? और इनसे बचाव कैसे करें?
मेनोपॉज (Menopause). यानी पीरियड्स आना हमेशा के लिए बंद. ज़्यादातर महिलाओं में मेनोपॉज 40 से 50 साल की उम्र में होता है. इस दौरान शरीर में बहुत सारे बदलाव आते हैं. हॉर्मोन्स का लेवल ऊपर-नीचे होता है. जिसका असर पड़ता है उनके मूड पर. गुस्सा आता है. चिड़चिड़ापन होता है. बार-बार यूरिन इंफेक्शन (Urine Infection) होने का चांस भी बढ़ जाता है. स्किन ड्राई हो जाती है. बाल झड़ने लगते हैं. इन लक्षणों के अलावा एक समस्या और होती है, जिससे सारी महिलाएं परेशान हैं.
हड्डियों और मांसपेशियों का कमज़ोर हो जाना. हड्डियों और जोड़ों की बीमारियां. जोड़ों और हड्डियों में दर्द होना. Menopause के बाद बहुत ही आम दिक्कते हैं ये. दरअसल मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन (Estrogen Hormone) कम बनने लगता है, जिसकी वजह से ये दिक्कतें आती हैं. ऐसे में आज डॉक्टर से जानिए कि मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं को हड्डियों से जुड़ी क्या समस्याएं आती हैं? इसके पीछे क्या कारण हैं? और, इससे बचाव और इलाज कैसे किया जाए?
Menopause के बाद महिलाओं को हड्डियों और मांसपेशियों से जुड़ी क्या समस्याएं आती हैं?ये हमें बताया डॉक्टर आशीष चौधरी ने.
Menopause के बाद महिलाओं को हड्डियों और जोड़ों से जुड़ी कई दिक्कतें होती हैं. इनमें जो बीमारी सबसे ज़्यादा असर करती है वो है ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis). यानी हड्डियों में खोखलापन होना. हालांकि सबको ऑस्टियोपोरोसिस नहीं होता, लेकिन उसकी अलग-अलग स्टेज हो सकती हैं. शुरुआती स्टेज में हड्डियों में हल्का दर्द होता है. जिन महिलाओं को मेनोपॉज हो जाता है, उनको अलग-अलग हड्डियों में दर्द की शिकायत रहती है. ये ऑस्टियोपोरोसिस की शुरुआत होती है.
हड्डियों में दर्द के बाद दूसरी स्टेज आती है, जिसे ऑस्टियोपीनिया (osteopenia) कहते हैं. ये ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों में दर्द के बीच की स्टेज है. इसमें हड्डियों का खोखलापन बढ़ना शुरू हो चुका होता है. आमतौर पर ऑस्टियोपोरोसिस एक साइलेंट किलर की तरह काम करता है. इसमें ज़्यादातर महिलाओं को मालूम ही नहीं होता कि वो ऑस्टियोपोरोसिस या ऑस्टियोपीनिया से जूझ रही हैं. फिर अचानक छोटी सी चोट लगने पर बड़ा फ्रैक्चर हो जाता है. तब पता चलता है कि ऑस्टियोपोरोसिस है.
कारणइसका सबसे बड़ा कारण हॉर्मोनल इंबैलेंस है. मेनोपॉज के समय महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन का लेवल कम हो जाता है. हड्डियों के अंदर कैल्शियम और मिनरल्स भी कम हो जाते हैं. हॉर्मोनल इंबैलेंस और एस्ट्रोजन की कमी से मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपीनिया या ऑस्टियोपोरोसिस होने लगता है.
इसके अलावा, अगर उनकी डाइट में कैल्शियम और दूध की मात्रा कम रही है. तो इससे भी ऑस्टियोपीनिया या ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क बढ़ जाता है. वहीं अगर फिज़िकल एक्टिविटी भी कम है जिससे मांसपेशियां कमज़ोर हो चुकी हैं. वज़न ज़्यादा है या शरीर में फैट जमा है तो इससे भी ऑस्टियोपोरोसिस होने का चांस बढ़ जाता है. धूप की कमी से भी मेनोपॉज के बाद ये समस्या बढ़ जाती है.
यही नहीं, कुछ दवाइयों से भी ऑस्टियोपोरोसिस या ऑस्टियोपीनिया हो सकता है. जैसे स्टेरॉयड्स, कैंसर की दवाइयां और हॉर्मोन्स से जुड़ी कुछ दवाइयां. कई बार जेनेटिक कारणों की वजह से भी ऑस्टियोपोरोसिस या ऑस्टियोपीनिया हो सकता है. इसके अलावा, हाइपरथायरॉयडिज़्म और हाइपोथायरॉयडिज़्म भी एक वजह है. दरअसल महिलाओं में थायरॉइड की समस्या बहुत आम है.
बचाव और इलाज- फिज़िकल एक्टिविटी करें
- वज़न कंट्रोल करें
- अपनी डाइट में दूध और दूध से बनी चीज़ें शामिल करें
- अगर मिडिल ऐज में आपकी हड्डियों में दर्द हो रहा है तो रेगुलर चेकअप कराते रहें
- जिन महिलाओं को मेनोपॉज शुरू हो चुका है और उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस भी है
- उन्हें डॉक्टर्स कैल्शियम और विटामिन डी के सप्लीमेंट देते हैं
- साथ ही, विटामिन बी 12 भी दिया जाता है
- इसकी मात्रा मरीज़ की उम्र, वज़न और दूसरे फैक्टर्स पर निर्भर करती है
- कुछ दूसरी दवाइयां भी हैं, जैसे बिसफ़ॉस्फ़ोनेट्स
- ये हफ्ते या महीने में दी जाती हैं
- इनका इंजेक्शन भी आता है, जो साल में एक बार लगता है
- वहीं जिन मरीज़ों को गंभीर ऑस्टियोपोरोसिस होता है
- उन्हें इंजेक्शन थेरेपी दी जाती हैं
- ये रोज़ भी दी जा सकती हैं और छह महीने में भी
- कई सारी टैबलेट्स भी आती हैं
- यहां तक कि कुछ हॉर्मोनल थेरेपी भी हैं
- जिनसे ऑस्टियोपोरोसिस को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है या उसे कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है
- हालांकि फिर भी सबसे ज़रूरी है कि मरीज़ फिजिकली एक्टिव रहें और एक संतुलित डाइट लें
Menopause का वक्त महिलाओं के लिए बहुत चैलेंजिंग होता है. हॉर्मोन्स की उथल-पुथल से शरीर में कई बदलाव आते हैं. इसलिए, जिन महिलाओं को मेनोपॉज हो रहा है, वो अपना खूब ख्याल रखें. खासकर अपनी हड्डियों का. ऐसी डाइट लें जिसमें कैल्शियम हो. रोज़ थोड़ी देर धूप में बैठें. एक्सरसाइज करें, वॉक करें, जॉगिंग करें, या तेज़ कदमों से चलें. अगर कोई शारीरिक समस्या महसूस हो रही है तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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