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Dhanush Aishwarya के Divorce पर हाय तौबा क्यों मचा है?

बुरे पार्टनर्स या दुखी पार्टनर्स भी अच्छे पेरेंट्स हो सकते हैं

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तस्वीर में धनुष - ऐश्वर्या अपने बचहोन के साथ (तस्वीरें सोशल मीडिया से )
19 जनवरी 2022 (Updated: 19 जनवरी 2022, 22:39 IST)
Updated: 19 जनवरी 2022 22:39 IST
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आज सुबह मेरे एक दोस्त का फ़ोन आया. साउथ इंडियन फिल्मों का बड़ा वाला फैन है. वह कह रहा था कि कल से बहुत बुरा लग रहा है उसको. क्योंकि धनुष और ऐश्वर्या अलग हो गए. इसके बाद मैंने धनुष-ऐश्वर्या के तलाक पर आए लोगों के रिएक्शन देखें.  कुछ तो प्यार भरे, सपोर्टिव और सकारात्मक रिएक्शन थे. लेकिन ज्यादातर लोगों की बातों ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर सोसाइटी में तलाक एक 'नेगेटिव' चीज़ क्यों समझी जाती है? क्यों तलाक उतना ही नॉर्मल ऑप्शन नहीं है, जितनी नॉर्मल ऑप्शन शादी करना है.
सोशल मीडिया पर दी डिवोर्स की ख़बर  धनुष और ऐश्वर्या. साउथ फिल्म इंडस्ट्री के बड़े चेहरे. इन्हें पॉवर कपल भी कहा जाता था. एक्टर रजनीकांत की बेटी और दामाद. कल इन दोनों ने अपने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स से जानकारी दी की अब वो अलग हो रहे हैं. उन्होंने लिखा,
" दोस्त, कपल, पैरंट्स और एक दूसरे के शुभचिंतक रहते हुए 18 साल हमने एक ग्रोथ, समझदारी, साझेदारी का सफर तय किया. आज हम वहां खड़े हैं, जहां से हमारी राहें जुदा हो रही हैं. ऐश्वर्या और मैंने अलग होने का फैसला लिया है. हम एक दूसरे से अलग होकर खुद की तलाश करेंगे. कृपया हमारे फैसले का सम्मान करें और हमारी प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए हमें इससे डील करने दें." ट्वीट देखिए :

अब सेलेब्रिटी कपल अलग होने की बात कर रहे हैं तो इसका बज़ तो होना ही था. सोशल मीडिया पर अलग - अलग तरह के रिएक्शन देखने को मिले. फैनक्लब टाइप के एकाउंट्स की तरफ से ट्वीट आए, " unexpected एंड शॉकिंग."
RVCJ नाम के हैंडल ने लिखा, " एक और डाइवोर्स" और दिल टूटने वाला इमोटिकॉन बनाया."
 
Another Divorce
ट्विटर पोस्ट

प्रेरणा नाम की एक यूजर ने लिखा, " आजकल डाइवोर्स ट्रेंड बन गया है. सेल्फ रेस्पेक्ट और ईगो रिश्तों से ज्यादा बढ़कर हो गए हैं. यही दुखद सच्चाई है."
 
Ego
ट्विटर पोस्ट

 
इसी तस्वीर में दिलीप जांगिड का पोस्ट है जिसमें लिखा है, " ये सब वेस्टर्न कल्चर से आया है. ये बंद होना चाहिए. हमे अपना इंडियन ट्रेडिशन और कल्चर फॉलो करना चाहिए"
 
पांडियाराज नाम के यूजर ने लिखा, " ये सही नहीं है धनुष भाई. आप सोसाइटी और फैन्स को गलत मैसेज दे रहे हो. डाइवोर्स सल्यूशन नहीं है. पहले बच्चों के बारे में सोचो. कल को उनका भी यही इंटेंशन होगा"
Kolaveri D
ट्विटर पोस्ट

 
श्रीधर पिल्लई ने लेटर रीट्वीट कर के लिखा, " इसकी बिलकुल उम्मीद नहीं थी"
Divvii
ट्विटर पोस्ट

 
कस्तूरी शंकर ने डाइवोर्स पर अपने विचार शेयर करते हुए लिखा, " पेरेंट्स के लिए ये डिसिशन कितना ही सही क्यों ना हो, बच्चों के लिए ये हमेशा ही गलत है. हमारे बड़े सही कहते थे, बच्चों के लिए साथ रहना चाहिए. जब किसी सीन में बच्चे आएं तो फैमिली पहले रखनी चाहिए"
Divorcee
ट्विटर पोस्ट

 
इसपर एक यूजर ने सवाल किया, " दुखी मां बाप के साथ बच्चे कैसे खुश रह सकते हैं. अच्छे पेरेंट्स बनने के लिए ज़रूरी है कि वो इंडिविजुअली खुश रहे." इसके जवाब में कस्तूरी लिखती हैं, " बुरे पार्टनर्स या दुखी पार्टनर्स भी अच्छे पेरेंट्स हो सकते हैं"
Divorce1
ट्विटर पोस्ट

 
रिटायर्ड आईपीएस नागेश्वर राव ने कस्तूरी से अग्री करते हुए लिखा, "अगर हम थोड़ी सी सेल्फिशनेस को कंट्रोल कर लें तो अगली जनरेशन, सोसाइटी, अपने धर्म और देश को बेहतर बना सकते हैं. पर लड़ने वालों को ये समझाना मुश्किल है"
M Nageshwar
ट्विटर पोस्ट

 
टॉक्सिक रिलेशनशिप और नाखुश शादियों का महिमामंडन आम परिवारों में भी इसी तरह किया जाता है. यही कहकर समझाया जाता है कि एडजस्ट कर लो. बच्चों का तो सोचो. गाली-गलौज और मारपीट की नौबत आने पर भी बच्चों का हवाला देकर रिलेशनशिप चलाने की बात की जाती है. लोग कहते मिलते हैं, तलाक-वलाक नए ज़माने की चीज़ है. हमने भी बहुत कुछ सहा, पर जिंदगी साथ गुज़ारी. हमारे समय ये तलाक-वलाक नहीं होता था.
बहुत से मिडिल क्लास परिवारों में तलाक अब भी एक 'बुरी' चीज़ मानी जाती है. कोई भी तलाक के सहेजता से स्वीकार नहीं करता. जिंदगीभर लोग रिश्ते में घुटते रहेंगे पर तलाक नहीं लेंगे. और हवाला देंगे बच्चों का या समाज का कि लोग क्या कहेंगे. पर कोई ये नहीं सोचता कि टॉक्सिक रिलेशनशिप देखकर जो बच्चे बड़े हो रहे हैं उनपर कितना बुरा असर होता है. शायद डाइवोर्स के कारण वो बच्चा उतना सफर ना करे जितना उस रिश्ते को देखकर करता है.
THE PRINT के पत्रकार निखिल रामपाल लिखते हैं, " मेरे माता पिता का बहुत टॉक्सिक रिश्ता था, जो तब तक रहा जब तक मेरी मां का निधन नहीं हो गया. उनको सब कुछ बिना सपोर्ट के झेलते हुए देखना बहुत डरावना था. मुझे लगता है अगर उन्होंने तलाक ले लिया होता तो उनकी जिंदगी बेहतर होती. बच्चों का हवाला देकर तलाक ना लेने वाला ऐटिट्यूड उस रिश्ते का कारण था. आई रिग्रेट माई चाइल्डहुड"
Nikhil Rampal
ट्विटर पोस्ट
पेरेंट्स के डिवोर्स को बच्चे कैसे डील करें ?
डाइवोर्स के बाद ज़रूरी नहीं की बच्चा सफ़र करे. बच्चों से उस बारे में खुलकर बात की जाए तो वो समझते हैं. मां बाप अलग होने के बाद भी अच्छे पैरेंट बन सकते हैं. बॉलीवुड से ऋतिक-सुजैन हों या अरबाज़-मलाइका. तलाक के बाद कोपैरेंटिंग का ये अच्छा इग्ज़ैम्पल हैं. पर ये कैसे पॉसिबल होता है, ये समझने के लिए हमने लल्लनटॉप के साथी मुबारक से बात की. मुबारक तलाकशुदा हैं और उनकी बेटी उनकी एक्स वाइफ के साथ रहती है. कोपैरेंटिंग के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा

" उसने धीरे - धीरे सीखा कि पापा घर क्यों नहीं आते हैं ? फिर मेरी वाइफ़ ने उसे समझाया कि हममें डिवोर्स हो गया है. ये सब बातें बच्चों को समझानी होती है कि डिवोर्स क्या होता है. जैसे - जैसे वो बड़ी होती गई, तो हमारी बात-चीत के बीच मज़ाक - मज़ाक में ही उसके पेरेंट्स यानि कि हमारी दूसरी शादी का भी ज़िक्र आने लगा. उसके दिमाग में ये है कि सबकुछ सेपरेट होने के बाद भी हेल्थी है. "

आगे उन्होंने कहा " अगर आप रोज़ाना साथ रहकर कुत्ते-बिल्लियों की तरह लड़ रहे हो, वो टॉक्सिक चीजें देखने से बेहतर है वो सीखें , समझें कि सेपरेट हैं फिर भी ठीक रह रहे हैं... मुझे लगता है हमने सदियों से परिवार व्यवस्था के तहत यही चलाया है कि हमें सेपरेट नहीं होना है, एक बार लड़की की शादी हो गई तो ससुराल से उसकी अर्थी ही लौटेगी. लड़कियों पर खासकर अधिक दबाव होता है कि उन्हें अपना घर नहीं टूटने देना है, इस चक्कर में ज़िंदगियां टूटती - बिखरती चली जाती हैं , बच्चें टॉक्सिक रिलेशन देखते हुए बड़े होते हैं. इस नुकसान की तरफ़ कोई ध्यान नहीं देता . "
 
शादी दो लोगों के बीच का रिश्ता है. जिसे वो लोग आपसी प्यार, सम्मान और समझदारी से चलाते हैं. अगर इन्हीं दो लोगों को लगता है कि उनका तालमेल सही नहीं बन पा रहा है, या फिर अगर साथ रहते हुए वो दोनों खुश नहीं हैं, या अगर उनमें से एक भी उस रिश्ते में खुश नहीं है तो उन्हें शादी के नाम पर बांधकर रखना क्या सही होगा? मैं आपसे पूछती हूं, आप एक शादी में दो दुखी, परेशान, लड़ते-झगड़ते, किच-किच करते लोग आपकी प्रायोरिटी हैं या दो खुश और अपनी ज़िंदगी अपने हिसाब से जीने वाले इंडिविजुअल्स.
क्या राय है आपकी हमें कॉमेंट सेक्शन में बताइए.

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