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Surrogacy को 'किराये की कोख' बोलना क्यों ग़लत?

क्या सेरोगेसी किराये की कोख लेकर मां बनने जैसा है ?

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प्रियंका और निक सरोगेसी से बने पेरेंट्स
24 जनवरी 2022 (Updated: 25 जनवरी 2022, 10:40 IST)
Updated: 25 जनवरी 2022 10:40 IST
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हमने मां महान होती है से लेकर सिर्फ बच्चे पैदा करने वाली मां महान होती है तक का सफर तय कर लिया है. अब आप सोचेंगे कैसे? वो ऐसे की पीसी और निक ने जब से अनाउन्स किया कि वो सेरोगेसी के ज़रिए पेरेंट्स बने हैं तब से तरह- तरह की बातें सामने आ रही है. कोई कह रहा है सेरोगेसी किराये की कोख लेकर मां बनने जैसा है कोई कह रहा है जब बच्चा पैदा करने का समय नहीं तो उसका ख्याल कैसे रखोगी? बॉलीवुड ही नहीं पूरे देश में होती है सरोगेसी मामला ये है कि प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस शादी के 3 साल बाद पेरेंट्स बने हैं. सेरोगेसी के ज़रिए. सेरोगेसी वो प्रोसेस होता है जिसमें कोई कपल किसी दूसरी महिला की कोख के ज़रिए बच्चा पैदा करता है. कोई महिला अपने या  फिर डोनर के एग्स के जरिए किसी दूसरे कपल के लिए प्रेग्नेंट होती है. अपनी कोख में दूसरे का बच्चा पालने वाली महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है. सरोगेसी से बच्चा पैदा करने के पीछे कई वजहें होती हैं. जैसे कि कपल को कोई मेडिकल से जुड़ी समस्या, गर्भधारण से महिला की जान को खतरा या कोई दिक्कत होने की संभावना है या फिर कोई महिला खुद बच्चा पैदा नहीं करना चाहती है.
Priyankaaa Nick Jonas
प्रियंका और निक सरोगेसी के ज़रिए पेरेंट्स बनें

प्रियंका के पहले भी कई बॉलीवुड हस्तियां सेरोगेसी के थ्रू पेरेंट्स बने हैं. 2011 में आमिर खान और किरण राव ने सेरोगेसी के ज़रिए बेटे आज़ाद को जन्म दिया. 2013 में शाहरुख़ खान के तीसरे बेटे का जन्म सेरोगेसी के थ्रू हुआ था. शिल्पा शेट्टी, प्रीति जिंटा और सनी लीओनी भी सेरोगेसी के ज़रिए पेरेंट्स बने. एकता कपूर, करण जौहर और तुषार कपूर ने भी सेरोगेसी की मदद से बच्चों को जन्म दिया और सिंगल पैरेंट बने.
सिर्फ बॉलीवुड में  नहीं, बल्कि पूरे भारत में सेरोगेसी के ज़रिये बच्चे पैदा करना बहुत आम बात है. और हाल ही में इसे रेगुलेट करने के लिए भारत सरकार ने कानून बनाए.  कानून बनने के बाद कमर्शियल सेरोगेसी पर बैन लग गया. यानी अब कोई केवल सेरोगेट मदर को पैसे देकर बच्चा पैदा नहीं कर सकता. अब केवल वो कपल ही सेरोगेसी के ज़रिये बच्चे पैदा कर सकता है जिसमें पति या पत्नी इनफर्टाइल हो या दोनों में कोई समस्या हो. सिर्फ वो कपल सेरोगेसी के लिए अप्लाई कर सकता है जिसमें पति की उम्र 26 से 55 और पत्नी की उम्र 25 से 50 साल हो.सेरोगेट मदर के स्वास्थ का पूरा खर्चा बच्चे के मां-बाप  होगा.  इसके अलावा वो सेरोगेट मदर को कोई पैसा नहीं दे सकते.

इसके अलावा सेरोगेट मदर के लिए भी भारत में स्ट्रिक्ट रूल्स हैं. जैसे -

- वो महिला शादीशुदा होनी चाहिए
- उसका कोई बच्चा होना चाहिए
- उम्र 25 से 35 साल के बीच होनी चाहिए
- वो महिला सेरोगेसी के लिए अप्लाई करने वाले की करीबी रिश्तेदार होनी चाहिए
क्या है लोगों के रिएक्शन  ये तो भारत के नियम कानून हैं. लेकिन दुनियाभर में ऐसा नहीं है. जहां निक और प्रियंका रहते हैं लॉस एंजेलेस यानि कैलिफ़ोर्निया. वहां पर इसे लेकर कोई सख्त कानून नहीं है. सेरोगेसी के ज़रिये बच्चे पैदा पैदा करना बहुत कॉमन ऑप्शन है. खैर जब खबर आई कि प्रियंका सेरोगेसी के ज़रिये मां बनीं हैं तब से लोगों के अलग अलग रिएक्शन सामने आ रहे हैं.
तस्लीमा नसरीन ने लिखा,
" कैसा महसूस होता होगा जब कोई सेरोगेसी के ज़रिए मां बनती होगी? क्या उन्हें वैसी ही फीलिंग होती होगी जैसे एक बच्चे को पैदा करने वाली मां को होती है?"
Readymade Mothers

शाइना ने लिखा,
" सेरोगेसी का मतलब किराए की कोख है. इसके कारण मां और बच्चे दोनों का कॉमोडीफिकेशन होता है"
Shaina

प्रखर शर्मा ने लिखा,
" ये अमीर और फेमस लोग सेरोगेसी को अपने फिगर और बॉडी को मेन्टेन करने के लिए इस्तेमाल करते हैं. इन फर्टिलिटी के केस में समझ आता है पर इसका मिसयूज़ बंद होना चाहिए"
Prakhar Sharma

रुपर्ट नाम के एक यूजर ने लिखा,
" मुझे सेरोगेसी के कांसेप्ट से ही दिक्कत है. ये वेश्यावृत्ति जैसा लगता है"
Rupertt

वारियर नाम के यूजर का कहना है,
"आज के वक़्त में इमोशन खत्म होते जा रहे हैं. बॉडी शेप मां बनने से ज़्यादा मायने रखता है"
Warrior

रोहित कुमार ने लिखा,
" वो सेरोगेसी के बजाय बच्चा अडॉप्ट भी तो कर सकते थे. अगर ब्लडलाइन इतनी ज़रूरी नहीं तो ये सब की क्या ज़रूरत है"
Thumbnail Rohit Kumar
क्या है एक सरोगेट मदर होना  ये तो लोगों के अलग अलग ओपिनियन थे. सेरोगेसी ऑप्ट करने वालों का नजरिया जानने के लिए मैंने एक ऐसे व्यक्ति से बात की जो सेरोगेसी के ज़रिए फादर बने हैं. उनकी निजता का ध्यान रखते हुए हम उनका नाम और आवाज़ बदल रहे हैं. उनका कहना है -
"किराये की कोख अपने आप में रिग्रेसिव टर्म है. आप हमेशा मॉरल ग्राउंड पर पूछते हो कि कोई मदरहुड जैसी पवित्र चीज़ के लिए पैसे कैसे ले सकता है या दे सकता है. ये सारी कहने की बातें है. जब आप अपने घर में बच्चे को लिट्रली पालने के लिए आया रखते हो, बच्चे की देखभाल के लिए, उसे पैसे देते हो तब वो मॉरल ग्राउंड कहां जाता है. अगर कोई महिला गरीब है, जो पैसे के लिए कोख में बच्चा पाल रही है और ऐसा करने में उसे अपने शरीर का एक्सप्लॉइटेशन नहीं लगता तो आप कौन होते हैं उसे जज करने वाले और अगर आपको लगता है कि किसी महिला के शरीर का एक्सप्लॉयटेशन होगा इससे, ये व्यवसाय बन जायेगा तो आप इसे रेगुलेट करने के लिए नियम लाओ. कैपिंग लगा दो. कि आप एक या दो बच्चे ही सरोगेट कर सकोगे

दूसरी बात, एडॉप्शन इतना इज़ी नहीं है दुनिया में. मेरे मन में इच्छा है कि मेरे बच्चे में मेरा अंश हो, इसमें क्या गलत है. अडॉप्टेड बच्चे को आप कभी नहीं बोल सकते कि वो हमारा बायोलॉजिकल बच्चा है. हम फ्यूचर में आंसरेबिलिटी नहीं चाहते, कि उसके असल मां बाप कौन है, हम इसलिए सरोगसी चूज़ कर रहे हैं.
 
तीसरी बात, जब एक औरत प्रेग्नेंट होती है, तो उस समय उसके शरीर को आराम चाहिए.  वो अपने करियर में वैसा परफॉर्म नहीं कर सकती जैसे उसके साथ वाला कलीग कर रहा है. ऐसे में अगर वो सरोगसी ऑप्ट करती है तो आप उसे क्यों जज करने लगते हैं."
Thumbnail Jyoti Laxmi
ज्योति लक्ष्मी की तस्वीर (एक सरोगेट मदर )

सेरोगेट मदर के लिए ये प्रोसेस कई बार बहुत डिफिकल्ट हो जाता है. 30 साल की ज्योति सेरोगेट मदर बनी थी. उन्होंने अपना अनुभव बीबीसी को बताते हुए कहा,
" मैं एक फैक्ट्री में काम करती  थी. महीने के 3500 रूपए कमाती थी. मेरा पति रिक्शा चलाता था और महीने के 5000 रूपए कमाता था. एक बार लड़ाई के बाद वो घर छोड़कर चला गया और मेरे लिए बच्चों को पालना मुश्किल हो गया. मैंने फर्टिलिटी क्लिनिक में पहले अंडे दिए थे, पर इस डॉक्टर ने मुझे सेरोगेसी  के बारे में बताया. मुझे पैसों की ज़रूरत थी, सो मैं मान गयी. जब मैं प्रेग्नेंट थी तब मेरी मां और सास ने मुझसे बात नहीं की. बच्चा मेरे पेट में घूमता था, मुझे उससे लगाव हो गया था. पर मैं उसे देख तक नहीं पाई. दो तीन साल तक मुझे बहुत बुरा लगा. मेरा वज़न भी बहुत कम हो गया था.पर अब मैं उसे नहीं देखना चाहती. आज घर में हम उस बारे में बात नहीं करते. मैंने खुद को मना लिया है.  "
सरोगेसी एक बच्चे की चाह रखने वाले कपल और सरोगेट मदर के बीच एक एग्रीमेंट होता है. ये एक प्रैक्टिकल तरीका है जिसमे इमोशंस भी इन्वॉल्व हैं. इंडिया में इसे लेकर रूल्स भी हैं. पर ये रूल्स ट्रांस्फोबिक और होमोफोबिक हैं. यानि कोई ट्रांस या होमो कपल इसकी मदद नहीं ले सकता। सरोगेसी पर होने वाली बहस बहुत लंबी और पुरानी है. सरोगेसी ऑप्ट करने वाले कपल के  लिए ये चॉइस की बात है. पर क्या उतनी ही चॉइस क्या सरोगेट मदर की भी होती है? या किसी मजबूरी के कारण उसे ये चूज़ करना पड़ता है? ये सोचने वाली बात है.
पर सरोगेसी के ज़रिए मां बनना किसी को कमतर नहीं बनाता। किसी को कम मातृत्व का एहसास नहीं देता। कोई नार्मल डिलीवरी, c section, IVF, सरोगेसी या बच्चे अडॉप्ट कर के पेरेंट्स बन सकते हैं. ये अधिकार उन्हें कानून देता है. कानून कैसे बेहतर हो सकते हैं इसपर चर्चा हो सकती है, होनी भी चाहिए पर IVF, सरोगेसी के ज़रिए मां बनने वाली महिला को कम मां समझना या उसके मदरहुड पर सवाल उठाना कितना सही है. जब लीगली ये ऑप्शन सही है तो हम मॉरल ग्राउंड सेट करने वाले कौन होते हैं.
 
आप क्या सोचते हैं इस बारे में मुझे कमेंट में बताइये.

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