क्या मिट्टी खाई जा सकती है? आपने कभी मिट्टी खाई है या अपने आस-पास किसी को मिट्टी खाते देखा है? कुछ लोगों को ये सवाल अजीब लग सकता है. लेकिन अगर मैं ये कहूं कि मिट्टी खाना एक कॉमन प्रैक्टिस है तो… सौंधी खुशबू आते ही, या कूलर के खस पर पानी पड़ते ही जो खुशबू आती है, उस वजह से भी कई लोगों को मिट्टी खाने की क्रेविंग होती है. पर मिट्टी खाने की क्रेविंग होना और मिट्टी खाना, दो अलग चीज़ है.
लोगों में मिट्टी खाने की क्रेविंग होना बहुत कॉमन है. दुनिया भर में और खास कर की भारत में बड़ी संख्या में लोगों का मिट्टी खाने का मन करता है. वे अलग-अलग तरह से और फॉर्म में मिट्टी खाते भी हैं.
मिट्टी दी खुशबू के दीवाने!
आम धारणा है कि ये टेन्डेन्सी केवल छोटे बच्चों या प्रेग्नेंट महिलाओं में ही पाई जाती है. बच्चे छुटपन में और महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान ही चॉक, स्लेटी, राख, मिट्टी या कुल्हड़ खातीं है. लेकिन ये आम धारणा उतनी आम भी नहीं है.
आम लड़कियों और महिलाओं का रेगुलरली इन चीज़ों को खाने का मन करता है. वे रेगुलरली खाती भी हैं. इसमें भी सबकी पसंद और चॉइस अलग अलग है. किसी को कच्ची मिट्टी पसंद होती है, तो कोई भुनी मिट्टी खाता है, कोई चूल्हे से कुरेदकर तो कोई भट्टी में पकी मिट्टी खाने का शौकीन होता है.
उत्तरप्रदेश चुनाव के दौरान रिपोर्टिंग करने के दौरान किसी ने करारा सा कुल्हड़ दिया.मैंने एक टुकड़ा काटा ही था कि साथ में बैठे कैमरापर्सन ने चोरी से उस मोमेंट को कैप्चर कर लिया और मज़ाक में सोशल लिस्ट वाले आशीष मिश्रा ने लल्लनटॉप से पोस्ट कर दिया. और वीडियो वायरल हो गया. खूब रिएक्शन आए, और बहुतों ने अपने दोस्तों को टैग कर कहा ये तुम हो न , तुम भी इसी तरह मिट्टी खाती हो न.
चॉक, स्लेटी से होते हुए ईंट खाने तक पहुंच गए
एक यूजर ने लिखा,
“ये तो सिर्फ कुल्हड़ है. कुछ लड़कियां ईंट (ब्रिक) तक खा जाती हैं”एक ने कहा,
“स्लेट पेंसिल भी यम्मी होती है”एक ने लिखा,
“महिलाओं को चूल्हे की जली हुई मिट्टी बहुत भाती है”एक कमेंट था,
“मिट्टी खा रही है लड़की. बचपन याद आ गया लगता है.पैसे वसूल”एक ने लिखा,
“ये लड़कियों के लिए चॉकलेट है”एक यूजर ने कहा,
“बहुत टेस्टी होता है. आई नो”एक यूजर ने कमेंट किया,
“ये भी एक तरह की क्रेविंग है. मेरी तरफ एक आंटी है, वो ईंट के पीसेस खाती हैं”
अब चोरी छिपे नहीं, ऑनलाइन मिलती है ‘खाने वाली मिट्टी’
मिट्टी खाने के प्रति लोगों की ऐसी दीवानगी देख मैंने इस बारे में पढ़ना शुरू किया. इस प्रोसेस में मैंने पाया कि अब ये सिर्फ चोरी-छिपे खाने वाला मामला नहीं रह गया. इसका बहुत बड़ा ऑनलाइन मार्केट है. और ‘एडिबल क्ले’ यानी खाने वाली मिट्टी के नाम पर बहुत सारी वैरायटी की मिट्टियां ऑनलाइन एवेलेबल है. हर टाइप, टेक्सचर और एरिया के नाम से.
ऐसा सिर्फ़ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि दुनियाभर में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो मिट्टी खाते हैं. साइंस की भाषा में इसे जिओफैगी कहते हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में मिट्टी को गोलियों (टैबलेट) के फॉर्म में खाया जाता है. मिट्टी, चॉक या बिना न्यूट्रीशन वाली चीज़ें खाने की क्रेविंग को पिका कहते हैं. इस क्रेविंग के पीछे की वजह क्या है और इसके क्या नुकसान हो सकते है? ये समझने के लिए मैंने डॉक्टर संजीव से बात की. डॉ संजीव एम्स में रेजिडेंट डॉक्टर हैं.
मैंने सबसे पहले यही पूछा कि इस क्रेविंग की वजह क्या है?
पइका में आप ऐसी चीज़ें खाते हो जिसमें कोई न्यूट्रिशन नहीं होता. जैसे – मिट्टी, चॉक, स्लेटी. कई लोग ईंट खाते हैं, पेंट चाटते हैं. इस तरह की क्रेविंग जिन्हें होती है उनका हीमोग्लोबिन कम होता है. स्टडी में पाया गया है कि पइका ईटिंग क्रेविंग आयरन डेफिशियेंसी के कारण भी होती है.
मिट्टी खाने से क्या क्या प्रॉब्लम हो सकती है?
जो भी चीज़ें पाइका में खाते हैं उसमें कोई न्यूट्रिशन वैल्यू नहीं होती. इसलिए वो डाइजेस्ट भी नहीं होता और फूड पाइप में इकठ्ठा होता जाता है. उससे पेट और अंतड़ियों में अल्सर हो सकता है. ज़्यादा मिट्टी खाने से अंतड़ियां फट भी सकती हैं. मिट्टी में कई तरह के कंपोनेंट और बैक्टीरिया होते हैं जिसके कारण इन्फेक्शन भी हो सकता है.
इसका सॉल्यूशन क्या है?
अगर किसी को ऐसी क्रेविंग होती है तो उसे आयरन थेरेपी देनी चाहिए. टैबलेट या सप्लीमेंट के फॉर्म में. कई लोगों में समय और वक़्त के साथ क्रेविंग खत्म हो जाती है. क्यूंकि वो अपने हिसाब से डाइट लेते हैं, पसंद का खाना खाते हैं. और इससे न्यूट्रिशन वैल्यू बैलेंस हो जाती है. इसके अलावा कोई और कॉज है जो मेन्टल, फिजिकल और इमोशनल हो सकता है. बच्चों के अंदर अगर ये क्रेविंग है तो उन्हें आब्जर्व करिए, कहीं वो नेगलेट तो नहीं फील कर रहे और उन्हें सही पेरेंटिंग दीजिए.
मिट्टी खाने की आदत ऐसे छुड़ाएं
जैसा डॉक्टर ने बतया, कुछ लोगों में ये क्रेविंग अपने आप वक़्त और उम्र के साथ खत्म हो जाती है. और कुछ में लगातार बनी रहती है. हमने मिट्टी खाने को बहुत नार्मलाईज़ कर रखा है. हमें ये बस एक बुरी आदत लगती है. या कुछ अजूबा लगता है. पर असल में एक एक समस्या है, एक डेफीशियंसी है. शरू में थोड़ी क्रेविंग होती है और फिर ये बढ़ते जाती है. कई लड़कियां जीवन भर इसे खाती रहती हैं और अपने शरीर को बर्बाद करती रहती हैं. इसके साइड एफेक्ट हमें तुरंत नहीं दिखते, इस वजह से भी हम इसे सीरियसली नहीं लेते. पर ये शरीर को डैमेज करता है.
अगर आप अपने आस पास किसी को मिट्टी खाते देखें, तो उसका मज़ाक उड़ाने की बजाय हीमोग्लोबिन और आयरन का टेस्ट करवाएं. उसके मेन्टल स्टेट को समझने की कोशिश करिए कि कहीं वो स्ट्रेस से तो नहीं जूझ रहा या उसके शरीर में न्यूट्रिशन की कमी तो नहीं है. उसे समझाएं और अगर फिर भी क्रेविंग बनी हुई है तो डॉक्टर से ज़रूर कंसल्ट करें.
याद रखें, जो मिट्टी ‘एडिबल क्ले’ के नाम पर ऑनलाइन मिल रही है, वो भी खाने योग्य नहीं है और उसमे भी बहुत सारे ऐसे एलिमेंट हैं जो आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकते हैं.
वीडियो – म्याऊं: खाने वाली मिट्टी ऑनलाइन तक बिक रही!