महिला जज का सुप्रीम कोर्ट से सवाल- कहां करें अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत?
महिला जज ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक जज पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए
Advertisement
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 27 जनवरी को उस याचिका का विरोध किया, जिसमें एक पूर्व महिला जज ने अपने यौन उत्पीड़न और इस आधार पर ट्रांसफर की बात कही है. महिला जज ने यह भी कहा कि यौन उत्पीड़न की शिकायत करने के बाद उनके ऊपर इस्तीफा देने का दबाव बनाया गया जिसके चलते उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी. अब इस पूर्व महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में अपनी नौकरी की बहाली की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच कर रही है.
'यौन उत्पीड़न के आरोप गलत'
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शिकायतकर्ता की तरफ से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप गलत पाए गए हैं. उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आर भानुमति, बॉम्बे हाई कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस मंजुला चेल्लूर और बॉम्बे हाई कोर्ट के तब के ही सीनियर एडवोकेट और अब एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को मिलाकर एक कमेटी बनी थी. मेहता के मुताबिक, इस कमेटी ने साल 2017 नें राज्यसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की थी. जिसमें आरोपी जज को निर्दोष बताया गया था. मेहता ने कहा,
"अगर कमेटी की रिपोर्ट्स पर नजर डालेंगे तो ऐसी दो रिपोर्ट पेश की गईं. जिनमें यौन उत्पीड़न की बात को नकार दिया गया. किसी महिला के खिलाफ यौन उत्पीड़न बहुत ही गंभीर अपराध होता है. और अगर इस तरह के आरोप गलत पाए जाते हैं, तो यह भी एक गंभीर मुद्दा है."मेहता ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच को यह भी बताया कि यौन उत्पीड़न के आरोप के मामले में कमेटी ने सभी पहलुओं की विस्तृत जांच की थी. जिसके बाद ही रिपोर्ट्स पेश की गईं. ऐसे में शिकायतकर्ता का ये कहना कि वो यौन उत्पीड़न की वजह से दबाव में थीं, सही नहीं है. मेहता ने कहा कि इस मामले का फैसला जिला स्तर पर न्यायपालिका के प्रशासन पर गहरा असर डालेगा.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता. (तस्वीर: पीटीआई)
दूसरी तरफ शिकायतकर्ता की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने की. उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि पूर्व महिला जज ने इस्तीफा दिया और उसे स्वीकार किया गया, लेकिन यह इस्तीफा एक दबाव में दिया गया. जयसिंह ने आगे कहा कि इस्तीफा देने के लिए महिला को मजबूर किया गया. उन्हें अपनी नौकरी और अपनी बेटी के भविष्य के बीच फैसला करना पड़ा. जज कहां अपनी शिकायत दर्ज कराए? इंदिरा जयसिंह ने बेंच को बताया कि महिला का ट्रांसफर, ट्रांसफर पॉलिसी के खिलाफ था. उन्होंने यह भी कहा कि यौन उत्पीड़न की जांच के लिए जो कमेटी बनाई गई, उस कमेटी ने ना तो सबूत इकट्ठा किए और ना ही आरोपियों का मामले से जुड़े अन्य लोगों से सामना कराया. जयसिंह ने कोर्ट को आगे बताया कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत के लिए निचली अदालतों में महिला जज के पास कोई उचित मंच नहीं है. सिर्फ कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए कमेटी बनी हुई है. जजों के लिए ऐसा कोई स्थाई इंतजाम नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि वो न्यायपालिका के लिए चिंतित हैं. लेकिन वो इस बात से भी चिंतित हैं कि न्यायपालिका में महिलाओं की स्थिति कैसी है. जयसिंह ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं के यौन उत्पीड़न को देखना दुखद है और उनकी शिकायतों को सुनने के लिए कोई व्यवस्था तक मौजूद नहीं है. आखिर एक जज अपनी शिकायत कहां दर्ज कराए? न्यायपालिका से जुड़ी किसी महिला के यौन उत्पीड़न का ये पहला मामला नहीं है. फिलहाल इस मामले की अगली सुनवाई एक फरवरी को होगी.