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बार-बार पैर हिलाने की इच्छा होती है? ये है असली वजह

पैर की नसों में करंट दौड़ता सा लगता है?

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जिन लोगों में आयरन की कमी होती है, उनमें ये ज़्यादा बढ़ जाता है
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18 अक्तूबर 2021 (Updated: 18 अक्तूबर 2021, 17:00 IST)
Updated: 18 अक्तूबर 2021 17:00 IST
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

मनीष 31 साल के हैं. वाराणसी के रहने वाले हैं. पिछले कुछ महीनों से उनके साथ एक बहुत ही अजीब चीज़ हो रही थी. शाम होते-होते उनके पैरों में एक अजीब सी सनसनाहट होने लगती. ऐसा लगता जैसे पैरों में भयानक खुजली हो रही हो. एक अजब सी चमक और जलन महसूस होती. पैर हिलाने पर उन्हें थोड़ा बेहतर लगता. जैसे ही वो पैर हिलाना बंद करते, उन्हें फिर वही एहसास होने लगता. रात में सोते समय ये और भी बढ़ जाता. जिस कारण उनकी नींद टूटती रहती.
मनीष काफ़ी परेशान हो गए. उन्होंने डॉक्टर को दिखाया. उनको पता चला उन्हें रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम नाम की कंडीशन है. मनीष ने इसके बारे में पहली बार सुना था. पर रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम बहुत आम है. दिक्कत ये है कि इसका सही डायग्नोसिस नहीं हो पाता. पता नहीं चल पता, इसलिए लोगों को सही इलाज नहीं मिलता.
मेडिकल न्यूज़ टुडे के मुताबिक, रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम हर 10 में से एक इंसान को उनकी ज़िंदगी में कभी न कभी हो जाता है. मनीष चाहते हैं कि हम रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम पर एक एपिसोड बनाएं. ये क्या होता है, किस कारण से होता है, इसका इलाज क्या है, इन सब चीज़ों के बारे में लोगों को जागरूक करें. तो सबसे पहले डॉक्टर्स से ये समझ लेते हैं कि रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम क्या होता है. क्या होता है रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम? ये हमें बताया डॉक्टर प्रवीण गुप्ता ने.
Dr. Praveen Gupta, Neurologist – View Profile and Book Appointment – LogintoHealth.com डॉक्टर प्रवीण गुप्ता, डायरेक्टर एंड हेड, न्यूरोलॉजी, फ़ोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट, गुरुग्राम


-कई लोग रात में सो नहीं पाते.
-उनका मन करता है कि कोई उनके पैर दबाता रहे.
-वो अपने पैर हिलाते रहें, कोई उनके पैर पर बैठ जाए या उनके पैरों पर रस्सी बांध दी जाए.
-जब ऐसे लोग रात में टहलने लगते हैं या घूमने लगते हैं तो उन्हें थोड़ा आराम मिलता है.
-इस कारण से वो कई दवाइयां खाते हैं.
-एंटीडिप्रेसेंट खाते हैं.
-नींद की गोलियां खाते हैं पर उनको नींद नहीं आती.
-बहुत सारे लोग बैठे-बैठे पैर हिलाते रहते हैं.
-उनका मन करता है कि ज़्यादा देर बैठे नहीं, चलने लग जाएं.
-इस कंडीशन को रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम कहा जाता है.
-एक ऐसा सिंड्रोम जिसमें पैर की नसों में करंट चलता है.
Restless legs syndrome: Causes, treatments, and home remedies रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से ग्रसित ज़्यादातर लोगों में ये जेनेटिक होता है


-इस कारण पैर जब आराम कर रहे होते हैं तो पैर की नसें ऐसा करंट छोड़ती हैं, जिससे मन करता है कि कोई पैरों को दबाता रहे या हिलाता रहे. कारण -ये सिंड्रोम बहुत आम है.
-जिन लोगों में आयरन की कमी होती है, उनमें ये ज़्यादा बढ़ जाता है.
-जिन लोगों में नर्व डिसऑर्डर होता है, विटामिन की कमी होती है, उनमें भी रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम ज़्यादा होता है.
-रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से ग्रसित ज़्यादातर लोगों में ये जेनेटिक होता है.
-1 से अधिक संबंधियों में भी ये बीमारी पाई जाती है. डायग्नोसिस -इस बीमारी में सभी टेस्ट नॉर्मल आते हैं.
-डॉक्टर इस बीमारी का डायग्नोसिस मरीज़ की मेडिकल हिस्ट्री सुनकर करते हैं.
restless legs syndrome Archives - Somatic Movement Center जिन लोगों में आयरन की कमी होती है, उनमें ये ज़्यादा बढ़ जाता है


-बहुत सारे लोग जिनको इसकी जानकारी नहीं होती, उनका सही डायग्नोसिस नहीं हो पाता.
-सालों तक उनकी नींद का पैटर्न खराब रहता है, वो नींद और डिप्रेशन की दवाइयां खाते रहते हैं बिना किसी प्रभाव के. इलाज -क्या रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम लाइलाज है? नहीं.
-रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम का बहुत आसान इलाज है.
-ब्रेन में डोपामिन नाम का एक ट्रांसमीटर (केमिकल मैसेंजर) होता है, जिसके इमबैलेंस से ऐसा होता है.
-डोपामिन को ठीक करने की दवा खाने से आराम मिलता है.
-ये दवा सस्ती होती है, रात को एक गोली खानी होती है.
-दवा लंबे समय खानी पड़ती है.
-कभी-कभी दवा का प्रभाव समय के साथ कम हो जाता है.
-ऐसी अवस्था में दवा का डोज़ बदलना पड़ता है.
-कभी-कभी डोपामिन के अलावा और दवाइयां भी जोड़नी पड़ती हैं.
Antacids use linked to increased risk of restless leg syndrome: Study ब्रेन में डोपामिन नाम का एक ट्रांसमिटर (केमिकल मैसेंजर) होता है, जिसके इमबैलेंस से ऐसा होता है


-अगर ये दवाइयां खाते हैं तो रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम कंट्रोल में आ सकता है.
-कभी-कभी दवाइयां बंद भी कर दी जाती हैं.
-इसके लिए ज़रूरी है कि आप एक न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाएं.
-ठीक से अपनी बीमारी की जांच करवाएं.
-डॉक्टर आपकी बीमारी का पता लगा पाए.
-ऐसे में आप बिलकुल ठीक हो सकते हैं.
-सैकड़ों ऐसे मरीज़ हैं जो सालों तक ठीक से सो नहीं पाते.
-पर दवाई की मदद से उनकी कंडीशन ठीक हो जाती है, वो सो पाते हैं.
आपने डॉक्टर साहब की बातें सुनीं. रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के साथ दिक्कत ये है कि इसका पता नहीं चल पाता क्योंकि लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. उन्हें पैरों में बेचैनी होती है, पर वो इसका कारण नहीं जान पाते. नतीजा? ये दिक्कत सालों साल चलती रहती है. इसलिए अगर आपको डॉक्टर साहब के बताए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं तो सही समय पर एक्सपर्ट को दिखाएं. इलाज लें. मदद मिलेगी.

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