The Lallantop
Advertisement

मलाशय में होने वाले कैंसर के बारे में ये बातें जाननी बहुत ज़रूरी हैं

कब्ज़ समझकर इसके लक्षणों को नज़रअंदाज़ करना बहुत भारी पड़ सकता है.

Advertisement
Img The Lallantop
सिगरेट, बीड़ी, शराब के सेवन से भी रेक्टल कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है
font-size
Small
Medium
Large
28 जून 2021 (Updated: 28 जून 2021, 13:00 IST)
Updated: 28 जून 2021 13:00 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो भी सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछ लें. लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

कानपुर के रहने वाले हमारे एक रीडर ने हमें मेल किया है. उन्होंने बताया कि एक साल पहले उन्हें कब्ज़ की शिकायत शुरू हुई. उन्होंने अपने जान-पहचान के डॉक्टर्स से कब्ज़ की दवाई ली और खाने शुरू कर दी. कई हफ़्तों का इलाज किया. पर हालत में सुधार नहीं आया. उल्टा उन्हें डायरिया हो गया. स्टूल में खून आना शुरू हो गया. साथ ही वज़न गिरने लगा. बहुत थकान रहने लगी. बाद में टेस्ट्स वगैरह करवाने पर पता चला कि उन्हें पेट की कोई बीमारी नहीं थी, बल्कि रेक्टल कैंसर था. वो कैंसर जो रेक्टम यानी मलाशय में होता है. अच्छी बात ये रही कि उनका कैंसर शुरुआती स्टेज में ही पकड़ में आ गया. और समय पर उनका इलाज शुरू हो गया. अब वो चाहते हैं कि हम अपने पाठकों को इस बीमारी के बारे में बताएं. तो चलिए आज इसी पर बात करते हैं. क्या है रेक्टल कैंसर? ये हमें बताया डॉक्टर जगदीश शिंदे ने.
डॉक्टर जगदीश शिंदे, कैंसर स्पेशलिस्ट, आदित्य बिरला मेमोरियल हॉस्पिटल, पुणे
डॉक्टर जगदीश शिंदे, कैंसर स्पेशलिस्ट, आदित्य बिरला मेमोरियल हॉस्पिटल, पुणे


रेक्टम इंटेस्टाइन का सबसे निचले वाला एरिया होता है. इसमें स्टूल यानी मल स्टोर होता है. हिंदी में इसे मलाशय कहते हैं. रेक्टल कैंसर में इस एरिया में गांठ बन जाती है. लक्षण -बार-बार मल आना
-मल में खून आना
-कब्ज़ हो जाना
-बॉवेल हैबिट्स में बदलाव आना
-कभी-कभी पेशेंट्स को भूख नहीं लगती
-पेट दर्द
-पीठ दर्द
-वज़न घटना क्यों होता है रेक्टल कैंसर? रेक्टल कैंसर होने के पीछे बहुत कारण हैं. पहला कारण है परिवार में पाई जाने वाली कुछ बीमारियां जैसे लिंच सिंड्रोम और अन्य बीमारियां. अगर आप फाइबर डाइट कम लेते हैं या अगर सब्ज़ी-फल कम खाते हैं तो भी रेक्टल कैंसर हो सकता है. सिगरेट, बीड़ी, शराब के सेवन से भी रेक्टल कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है. ओवरवेट होना भी रेक्टल कैंसर का एक कारण बन सकता है.
Anal Cancer Symptoms, Causes, Treatment, Stages & Curable रेक्टम इंटेस्टाइन का सबसे निचले वाला एरिया होता है

Rectal Cancer से बचने के लिए क्या करें? रेक्टल कैंसर के प्रिवेंशन के लिए पहली बात जो ज़रूरी है, वो है स्क्रीनिंग.स्क्रीनिंग मतलब जो लोग हाई रिस्क हैं उनको हर कुछ समय में चेकअप करवाना चाहिए. ताकि बीमारी हो तो, शुरुआती स्टेज में ही पता चल जाए. 50 साल से ज्यादा के लोगों को साल में एक बार रेक्टम कैंसर की स्क्रीनिंग ज़रूर करवानी चाहिए. उसी के साथ अगर किसी पेशेंट के परिवार में कोई बीमारी है या फैमिली हिस्ट्री है तो उनको भी स्क्रीनिंग करना ज़रूरी है. अगर किसी पेशेंट को स्मोकिंग हैबिट है या शराब की लत है तो उसे कम करना ज़रूरी है, अगर आप दिन बैठे-बैठे बिताते हैं, एक्सरसाइज नहीं करते हैं तो आपको एक्सरसाइज करना बहुत ज़रूरी है. खाने में हाई फाइबर डाइट लेना बहुत ज़रूरी है. इससे आप रेक्टम कैंसर से बच सकते हैं. इलाज -रेक्टम कैंसर का इलाज तीन तरह से किया जाता है
-रेडिएशन थेरेपी
-सर्जरी
-कीमो थेरेपी
-रेडिएशन थेरेपी में पेशेंट को एक्सरे और गामा रेज़ की मदद से ट्रीटमेंट दिया जाता है. एक मशीन से ये ट्रीटमेंट किया जाता है. रेडिएशन थेरेपी एक ओपीडी बेस्ड ट्रीटमेंट होता है जिसमें मरीज को हर दिन 10-15 मिनट का रेडिएशन दिया जाता है. सप्ताह में 5 बार ट्रीटमेंट होता है. 5-6 सप्ताह तक ये ट्रीटमेंट चलता है.
ASCO GI: Updates in Rectal Cancer and the FIGHT Study रेक्टम कैंसर के प्रिवेंशन के लिए पहली बात जो ज़रूरी है, वो है स्क्रीनिंग


-दूसरा ट्रीटमेंट सर्जरी होता है, जिसमें सर्जरी करके गांठ को निकाल दिया जाता है.
-तीसरा होता है कीमोथेरेपी. इसमें कैंसर की दवाइयां पेशेंट्स को टैबलेट या इंजेक्शन के रूप में दी जाती हैं
-कौन सा ट्रीटमेंट कब करना है, ये कैंसर के स्टेज के आधार पर डिसाइड किया जाता है
डॉक्टर साहब ने रेक्टल कैंसर के जो लक्षण बताएं हैं, उनपर ख़ास नज़र रखिएगा. कब्ज़ समझकर या डायरिया समझकर घरेलू इलाज न शुरू करें. सही समय पर डॉक्टर को दिखाएं और इलाज लें.


वीडियो

thumbnail

Advertisement