(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
हम सेहत पर अक्सर डॉक्टर्स से कहते हैं कि अगर वो हेल्थ से जुड़ी कोई जानकारी हमारे साथ बांटना चाहते हैं तो ज़रूर बताएं ताकि वो लोगों के काम आ सके. इसलिए पिछले कुछ समय से कई डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़ी जानकारी हमसे साझा कर रहे हैं. ये एक ऐसी दिक्कत है जो आजकल हर दूसरे-तीसरे इंसान को होती है. मेटाबॉलिक सिंड्रोम कोई एक बीमारी नहीं, बल्कि बहुत सारी कंडीशंस का एक समूह है. ये इतना कॉमन है कि आप सोच भी नहीं सकते. हो सकता है ये आपको भी हो. तो सबसे पहले डॉक्टर्स से समझ लेते हैं कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम होता क्या है?
मेटाबॉलिक सिंड्रोम क्या होता है?
ये हमें बताया डॉक्टर अर्चना जुनेजा ने.

-मेटाबॉलिक सिंड्रोम हमारे शरीर की एक कंडीशन है, जहां 3-4 लक्षण जुड़कर दिखते हैं
-पहली चीज़ होती है ओबेसिटी
-जिसको हम मोटापा कहते हैं
-पेट के मोटापे को हाई रिस्क माना जाता है
-इसका एक टारगेट रखा जाता है
-पुरुषों में पेट की नाप 40 इंच के ऊपर और औरतों में 35 इंच के ऊपर हाई रिस्क है
-इससे मेटाबॉलिक सिंड्रोम का चांस बढ़ता है
-दूसरी चीज़ है ब्लड प्रेशर
-ब्लड प्रेशर 130/80 के ऊपर हो तो हाई रिस्क होता है
-तीसरी चीज़ है ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल के लेवल में गड़बड़
-लिपिड प्रोफाइल करवाई जाती है और उसमें 2 चीज़ों को देखा जाता है
-ट्राइग्लिसराइड्स की लेवल और शरीर में लो गुड कोलेस्ट्रॉल
-गुड कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए अच्छा होता है
-पर अगर इसका लेवल कम होने लगता है तो हेल्थ प्रॉब्लम्स होती हैं
-ये 3-4 चीज़ें जब मिलकर आती हैं तब शरीर में अलग प्रॉब्लम्स खड़ी होती हैं
-इसका रिस्क हार्ट और ब्रेन को होता है
-मेटाबॉलिक सिंड्रोम की वजह से दिल की बीमारियां हो सकती हैं
-ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है
-डायबिटीज हो सकता है
-फैटी लिवर हो सकता है
-औरतों में पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज हो सकती है
-हाई यूरिक एसिड हो सकता है
-ये हेल्थ रिस्क होते हैं मेटाबॉलिक सिंड्रोम के
लक्षण
-आमतौर पर शरीर का मोटापा देखकर अंदाज़ा लग जाता है
-वज़न और पेट का मोटापा एक बड़ा लक्षण है
-दूसरी चीज़ है एकैन्थोसिस निगिरकन्स

-ये एक मेडिकल टर्म है जिससे पता चलता है कि शरीर में फैट जमा हो रहा है
-एकैन्थोसिस शरीर के काले पड़ जाने और मोटे हो जाने को कहते हैं
-ख़ासतौर पर गर्दन, उंगलियों और स्किन फ़ोल्ड्स में
-जैसे जांघ, घुटने
-यहां शरीर कड़क और काला पड़ जाता है
-इसको एकैन्थोसिस कहते हैं
-ये एक मार्कर होता है शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस का
-यानी इंसुलिन के प्रतिरोध का
-कई लोग खर्राटे मारते हैं
-ये ओबेसिटी और लंग्स के प्रॉब्लम का इशारा है
-इससे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया हो सकता है
-जो एक और रिस्क है मेटाबॉलिक सिंड्रोम का
बचाव और इलाज
-सबसे अहम चीज़ है वज़न कम करना
-वज़न कम करना कोई आसान बात नहीं है
-इसके लिए अनुशासन की ज़रुरत होती है
-हेल्दी डाइट खाएं
-नियमित एक्सरसाइज करें
-हेल्दी डाइट के लिए अनाज, फल, सब्ज़ी, दूध, दही और प्रोटीन ज़्यादा इस्तेमाल करें
-मिठाई, नमकीन, तली हुई चीज़ें, शराब, स्मोकिंग शरीर के लिए हानिकारक होते हैं
-प्रोसेस्ड खाना या पैकेट वाला खाना जिसमें नमक, मसाले और प्रिजर्वेटिव होते हैं
-इन सब चीज़ों का इस्तेमाल कम रखें
-हेल्दी चीज़ें बढ़ानी हैं और अनहेल्दी चीज़ें घटानी हैं

-खाना नियमित टाइम से खाएं
-लंबे गैप न रखें
-दूसरी चीज़ है एक्सरसाइज
-एक्सरसाइज के अनेक प्रकार होते हैं
-चलना सबसे आसान होता है
-पर चलना सिर्फ़ काफ़ी नहीं होता
-थोड़ी स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करनी पड़ती है
-फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज करें
-स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें
-योग करें
-इनसे शरीर का कम्पोजीशन बदलता है
-शरीर में फैट, मांसपेशियां और हड्डियां होती हैं
-जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है
-इनएक्टिव लाइफस्टाइल की वजह से फैट जमा होने लगता है
-चलने से केवल फैट कम होता है
-योग और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से मांसपेशियां मज़बूत होती हैं
-हड्डियां मज़बूत होती हैं
-इसलिए चलना और साथ में साइकिलिंग, स्विमिंग, बैडमिंटन करें
-साथ ही योग और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें
-इससे बॉडी का कम्पोजीशन ठीक होता है
-फैट कम होता है
-इससे आप मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचकर रह सकते हैं
-मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बच गए तो दिल की बीमारियां
-ब्रेन की प्रॉब्लम्स
-डायबिटीज
-फैटी लिवर जैसी चीज़ों से बचकर रह सकते हैं
डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, दिल से जुड़ी बीमारियां, मोटापा ये सब इतनी आम समस्याएं हैं कि हम कभी ये नहीं सोचते कि ये सब आपस में जुड़ी हैं. शायद एक कंडीशन पर कंट्रोल करने से और चीज़ों से बच सकें. मेटाबॉलिक सिंड्रोम का सबसे बड़ा इशारा है आपकी कमर का बढ़ता साइज़. इसलिए अगर आपको महसूस हो रहा है कि आपके पेट पर फैट जमा हो रहा है तो थोड़ा सतर्क हो जाइए. क्योंकि ये कई और हेल्थ प्रॉब्लम्स को न्योता देने वाला है. तो ध्यान रखिए.
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