क्या होता है डाउन सिंड्रोम जिसमें बच्चों का मानसिक विकास देरी से होता है
बच्चों को 'मंदबुद्धि' बोलने से पहले ये पढ़ लें!
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यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.
बात जब मेंटल हेल्थ. या किसी ऐसी कंडीशन की आती है जिसके बारे में लोगों को ज़्यादा जानकारी नहीं है. वो बहुत आम नहीं है. तो उस कंडीशन को लेकर, बीमारी को लेकर उनका रवैया बदल जाता है. इसका एक उदाहरण है जो मनीषा पवार के साथ हो रहा है. उनका हमें मेल आया. पेशे से वकील हैं. उनका एक बेटा है. चार साल का होने वाला है. वो डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा हुआ था. अब ये डाउन सिंड्रोम क्या होता है? ये एक तरह की कंडीशन है. जो पैदाइशी है. इसमें बच्चे के डेवेलपमेंट, चीज़ों को समझने में दिक्कत होती है. चेहरे का डेवलपमेंट थोड़ा अलग होता है.
सांकेतिक तस्वीर
मनीषा के बेटे को भी यही कंडीशन है. पर वो इस चीज़ से परेशान नहीं है कि उनके बेटे को डाउन सिंड्रोम है. वो परेशान इस बात से हैं कि लोगों में डाउन सिंड्रोम को लेकर जागरूकता नहीं है. वो जानते नहीं ये है क्या? बहुत लोग उनके बेटे को ऐसे देखते हैं जैसे वो एलियन हो. बहुत ही बेहूदा सवाल करते हैं. मज़ाक उड़ाते हैं. इसलिए मनीषा चाहती हैं कि हम लोगों तक डाउन सिंड्रोम के बारे में सही जानकारी पहुंचाएं. ये क्या होता है, क्यों होता है, इससे ग्रसित बच्चे एलियन नहीं है, उन्हें बताएं. तो सबसे पहले डॉक्टर्स से समझते हैं क्या होता है डाउन सिंड्रोम.
क्या होता है डाउन सिंड्रोम?
इसके बारे में हमें बताया डॉक्टर अखिल ने.
डॉक्टर अखिल अगरवाल, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट, मानश हॉस्पिटल, कोटा
डाउन सिंड्रोम में फिजिकल, मेंटल, और साइकोलॉजिकल लक्षण दिखाई देते हैं. इसे मोंगोलॉयड सिंड्रोम भी कहते हैं.
फिजिकल पार्टः हाइपोटोनिया होता है यानी मसल्स टोन नहीं होते हैं, जिससे हाथ या पैर को उठाने में दिक्कत होती है. आंखों की बनावट ऊपर की तरफ़ होती है. नाक चपटी होती है. जीभ मोटी और बाहर होती है. सिर चपटा होता है, गर्दन छोटी होती है.कान छोटे होते हैं. हाथ छोटे, मोटे होते हैं. छोटी उंगली काफ़ी छोटी होती है
मेंटल: जिन बच्चों को डाउन सिंड्रोम होता है उन बच्चों का IQ कम होता है. IQ 50 से कम होता है. समय के साथ और कम होता जाता है. बोलने में दिक्कत आती है. जिन बच्चों को डाउन सिंड्रोम होता है वो इम्पल्सिव होते हैं, अटेंशन स्पैन बहुत कम होता है. वातावरण में कोई बदलाव होता है तो वो नोटिस नहीं कर पाते.
-साइकोलॉजिकल आउटबर्स्ट होता है
अगर मां की उम्र 35 साल से ज़्यादा और पिता की उम्र 40 साल से ज़्यादा है तो भी डाउन सिंड्रोम होने के चांसेज़ बढ़ जाते हैं
कारण
-डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक डिसऑर्डर है
-हर बच्चे में 46 क्रोमोज़ोन (DNA का एक हिस्सा) होते हैं
-23 मां से मिलते हैं. 23 पिता से आते हैं
-अगर बच्चे में 47 क्रोमोज़ोन होते हैं तो उसे डाउन सिंड्रोम होता है
-अगर मां की उम्र 35 साल से ज़्यादा और पिता की उम्र 40 साल से ज़्यादा है तो भी डाउन सिंड्रोम होने के चांसेज़ बढ़ जाते हैं
-परिवार में और भी किसी को डाउन सिंड्रोम है, तो भी ये हो सकता है.
- हिंदुस्तान में 25 से 30 हज़ार बच्चे डाउन सिंड्रोम से ग्रसित पैदा होते हैं
- हर 700 में से एक बच्चा डाउन सिंड्रोम से ग्रसित होता है
डाउन सिंड्रोम क्या होता है. क्यों होता है आपने ये समझ लिया. पर क्या इसका कोई इलाज है?
अगर बच्चे में 47 क्रोमोज़ोन होते हैं तो उसे डाउन सिंड्रोम होता है
इलाज
-डाउन सिंड्रोम का पूरी तरह कोई इलाज नहीं है
-ये एक सिंड्रोम है. यानी कई लक्षणों का मिश्रण है
-इसमें सिम्प्टमेटिक ट्रीटमेंट करना पड़ता है
-अलग-अलग थैरेपी से इलाज किया जाता है. जैसे फिजिकल थैरेपी, ऑक्यूपेशनल थैरेपी, व्यवहारिक थैरेपी
-पर जितना जल्दी हो सके उतना अच्छा है. क्योंकि अगर थैरेपी शुरू से चलती है तो अच्छा आउटकम देखने को मिलता है
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