हड्डियों में कैसे हो जाता है कैंसर?
हड्डियों में अगर लगातार दर्द हो रहा है, तो उसे हल्के में न लें.
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यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.
ऋषि. 10 साल का बच्चा है. सालभर पहले उसकी बाई जांघ में दर्द उठा. ये दर्द लगातार कई दिन तक रहा. एक दिन दोपहर में वो क्लास में था. उस वक़्त उसकी जांघ में ज़बरदस्त चमक उठी. उसी दिन वो गिरा भी था. उसे डॉक्टर के पास लेकर जाया गया. डॉक्टर ने बताया कि उसको फ्रैक्चर हुआ है. इलाज चला. पर दर्द नहीं गया. सूजन भी ज़्यादा बढ़ गई. उसे दूसरे हॉस्पिटल शिफ्ट करवाया गया. टेस्ट में पता चला उसकी हड्डी में कुछ अजीब तरह का बदलाव है. जो आमतौर पर फ्रैक्चर में नहीं होता. बाईयोप्सी की गई. पता चला ऋषि को बोन कैंसर है. ये हड्डी उसके हिप जॉइंट के पास थी. ऋषि के घरवाले शॉक में आ गए. 10 साल के बच्चे को बोन कैंसर कैसे हो सकता है? सात महीने ऋषि बिस्तर पर रहा. वो चल नहीं पाता था. सात महीने बाद उसकी सर्जरी हुई. सर्जरी के बाद ऋषि चल पाया. तो सबसे पहले जानते हैं कि बोन कैंसर क्या होता है और क्यों होता है?
क्या होता है बोन कैंसर?
इस बारे में हमें बताया डॉक्टर जगदीश शिंदे ने. वो पुणे के आदित्य बिरला मेमोरियल हॉस्पिटल में कैंसर स्पेशलिस्ट हैं.
बोन कैंसर शरीर की किसी भी हड्डी में हो सकता है, पर ज़्यादातर बोन कैंसर शरीर की लंबी हड्डियों में होता है. जैसे हाथ-पैर या कमर की हड्डी. बोन कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है. बच्चों से लेकर बूढ़ों तक.
डॉक्टर जगदीश शिंदे, कैंसर स्पेशलिस्ट, आदित्य बिरला मेमोरियल हॉस्पिटल, पुणे
कारण:
-जेनेटिक कारण हो सकता है. अगर परिवार में बोन कैंसर की हिस्ट्री रही है तो रिस्क बढ़ जाता है
बोन कैंसर क्या होता है और क्यों होता है, ये समझ में आ गया. अब जानते हैं कि कैसे पता चलेगा बोन कैंसर है. क्या बायोप्सी से पहले कोई लक्षण हैं जिनपर नज़र रखनी चाहिए और हां, इसका इलाज क्या है?
लक्षण:
-किसी हड्डी में दर्द होना
-हड्डी में सूजन आना
-थकावट महसूस होना
बोन कैंसर शरीर की किसी भी हड्डी में हो सकता है
-अचानक वेट लॉस होना
-किसी हड्डी का अचानक से फ्रैक्चर हो जाना
-अगर इनमें से कोई भी लक्षण पाया जाता है तो डॉक्टर आपको कुछ टेस्ट बताएंगे.
-बोन कैंसर डाइग्नोस करने के लिए पेट स्कैन, एमआरआई स्कैन, सीटी स्कैन, बोन स्कैन या एक्सरे किया जाता है
-इसके अलावा बायोप्सी की जाती है. जिसमें बोन कैंसर के ट्यूमर से एक टुकड़ा निकाला जाता है, फिर उस टुकड़े की जांच होती है. इसमें पता चलता है कि बोन कैंसर किस टाइप का है. एक बार बोन कैंसर डाइग्नोस हो गया तो फिल इलाज शुरू होता है.
इलाज:
-बोन कैंसर का इलाज बोन कैंसर के टाइप और स्टेज पर निर्भर करता है
-बोन कैंसर में मोटा-मोटी तीन टाइप होते हैं
-कोंड्रोसारकोमा (Chondrosarcoma), ऑस्टियोसारकोमा(Osteosarcoma) और इविंगसारकोमा (Ewing's Sarcoma)
बोन कैंसर डाइग्नोस करने के लिए पेट स्कैन, एमआरआई स्कैन, सीटी स्कैन, बोन स्कैन या एक्सरे किया जाता है
-बोन कैंसर के स्टेज का मतलब है कि कैंसर कितना फैल चुका है. स्टेज 1 मतलब कम से कम फैला है. स्टेज 4 मतलब बहुत ज़्यादा फैल चुका है
-बोन कैंसर में तीन तरह का ट्रीटमेंट किया जाता है
-पहला सर्जरीः इसमें ऑपरेशन करके पूरी गांठ निकाली जाती है
-दूसरा कीमोथैरेपीः इसमें कैंसर की दवाई सलाइन या गोलियों से दी जाती है
-रेडिएशन थैरेपीः इसमें एक मशीन का इस्तेमाल करके ट्यूमर का एक्स-रे या गामा रेज़ से इलाज किया जाता है
-कुछ केसेज़ में लंग कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर हड्डियों तक पहुंच जाता है, उससे पेशेंट को हड्डियों में दर्द होता है, फ्रैक्चर भी हो जाता है. इनका ट्रीटमेंट बोन कैंसर के ट्रीटमेंट से अलग होता है.
डॉक्टर साहब ने जो बाते बताईं उनपर ज़रूर ध्यान दें.
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