आंख में होने वाले कैंसर की ये बातें आपको ज़रूर मालूम होनी चाहिए
ये कैंसर पांच से कम उम्र के बच्चों में भी हो सकता है.
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यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.
आपने स्किन कैंसर के बारे में सुना है, बोन कैंसर के बारे में सुना है, मुंह के कैंसर के बारे में सुना है. पर क्या आपने कभी आंखों के कैंसर के बारे में सुना है? जी आंखों में भी कैंसर होता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल इसके कम से कम दो हज़ार केस आते हैं. इस तरह का कैंसर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में ज़्यादा आम है. आंखों का कैंसर बाकी कैन्सर्स के जितना आम नहीं है. पर ये काफ़ी खरतनाक है. तो सबसे पहले पता करते हैं कि आंखों का कैंसर क्या होता, किस तरह का होता है और क्यों हो जाता है? क्या होता है आंखों का कैंसर?
डॉक्टर नेहा जैन, ऑय स्पेशलिस्ट, भारत विकास हॉस्पिटल, कोटा
ये जानने के लिए हमने बात की डॉक्टर नेहा से.
-आंखों में होने वाले कैंसर के बारे में जानने से पहले कैंसर शब्द का मतलब समझते हैं. शरीर में मौजूद सेल्स यानी कोशिकाएं अगर ऐब्नॉर्मल तरीके से बढ़ने लगें और आसपास की जगह को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दें तो उसे कैंसर कहते हैं
-आंखों में होने वाला कैंसर वैसे तो आम नहीं है पर अगर इसका समय पर इलाज न हो तो ये जानलेवा भी हो सकता है. आंखों में होने वाले कैंसर को हम दो हिस्सों में बांट सकते हैं-
-पहला. Extraocular Cancer (एक्स्ट्रा ऑक्यूलर कैंसर) जो ऑयबॉल के बाहर वाली जगह पर होता है, जैसे पलकों का कैंसर, आंसुओं की ग्रंथि का कैंसर, सॉफ्ट टिश्यू या मसल का कैंसर
-दूसरा. Intraocular Cancer (इंट्रा ऑक्यूलर कैंसर). ये आईबॉल के अंदर होता है
-इसमें 18 साल से ऊपर के लोगों में मेलानोमा नाम का कैंसर होता है, ये आंखों के uveal (यूवीअल) स्ट्रक्चर पर निकलता है. यूवीअल हमारी आंखों के अंदर एक परत होती है.
-बच्चों में सबसे आम कैंसर होता है रेटिनोब्लासटोमा, ये कैंसर रेटिना (आंखों के अंदर एक परत ) या आंखों के परदे पर होता है
आंखों में होने वाला कैंसर वैसे तो आम नहीं है पर अगर इसका समय पर इलाज न हो तो ये जानलेवा भी हो सकता है
क्यों होता है आंखों का कैंसर? आंखों का कैंसर होने के पीछे कोई एक वजह नहीं होती कई रिस्क फैक्टर हो सकते हैं. जैसे-
- UV रेज़ का लगातार आंखों पर पड़ना
-रेडिएशन
-जेनेटिक
-कभी-कभी शरीर के किसी और अंग के कैंसर खून के द्वारा आंखों में फैल सकते हैं, इसे मेटास्टैटिक या सेकेंडरी कैंसर कहा जाता है. ये ज़्यादातर ब्रेस्ट या लंग कैंसर के मरीजों में देखने को मिलता है
आंखों के कैंसर का इलाज उसके साइज़ और लोकेशन पर निर्भर करता है
आपने कारण तो जान लिया. अब बात करते हैं कि कैसे पता चलेगा किसी को आंखों का कैंसर है. यानी इसके लक्षण क्या है. साथ ही इसका क्या इलाज है? Eye Cancer के लक्षण क्या हैं? -अलग-अलग कैंसर अलग-अलग लक्षण पैदा कर सकते हैं
-जैसे पलकों के कैंसर में गांठ बन सकती है, ये समय के साथ बढ़ती रहती है, इसमें से मवाद या खून निकल सकता है
-आंसुओं की ग्रंथि के कैंसर में आंखों में दर्द होता है, आंखें धीरे-धीरे बाहर निकलने लगती हैं.
-मेलानोमा में ज़्यादातर लक्षण पता नहीं चलते, पर आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम हो सकती है. आंखों के सामने मच्छर जैसे उड़ते हुए कुछ दिखता है, रोशनी चमकती सी दिखती है, अक्षर टेढ़े-मेढ़े दिखाई देते हैं.
-रेटिनोब्लासटोमा में पुतली के पीछे एक सफ़ेद परछाई देख सकते हैं, आंखों में भेंगापन, आंखें लाल हो सकती हैं. आंखों के कैंसर का इलाज क्या है -आंखों के कैंसर का इलाज उसके साइज़ और लोकेशन पर निर्भर करता है
-ज़्यादातर एक्स्ट्रा ऑक्यूलर कैंसर को सर्जरी करके निकाला जाता है, लेकिन फिर भी अगर कैंसर के सेल्स रह जाते हैं तो उन्हें दो तरीकों से ठीक किया जाता है.
मेलानोमा में ज़्यादातर लक्षण पता नहीं चलते पर कभी-कभी रोशनी धीरे-धीरे कम हो सकती है
-पहला. कीमोथेरैपी. इसमें कैंसर को ठीक करने की दवाई दी जाती है
-दूसरा. रेडियोथेरैपी. जिसमें किरणों के द्वारा ट्यूमर को ख़त्म किया जाता है
-इसके अलावा इंट्रा ऑक्यूलर कैंसर को कीमोथेरैपी या रेडियोथेरैपी के द्वारा ही ठीक करने की कोशिश की जाती है. लेकिन अगर कैंसर एडवांस्ड स्टेज का हो तो कभी-कभी आंख भी निकालनी पड़ सकती है. कुछ समय बाद एक नकली आंख लगाई जा सकती है.
आंखों का कैंसर बहुत आम नहीं है. पर ज़रूरी है इसके बारे में सही जानकारी आपको पता हो. ताकि लक्षण दिखने पर आप सतर्क हो सके.
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