The Lallantop
Advertisement

इंजीनियरिंग कॉलेज में लड़कियों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

इंजीनियरिंग में लड़कियां कम क्यों हैं ?

Advertisement
Img The Lallantop
7 जनवरी 2022 (Updated: 7 जनवरी 2022, 17:26 IST)
Updated: 7 जनवरी 2022 17:26 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
IITs इस देश के प्रीमियर इंस्टिट्यूट हैं. यहां की पढ़ाई और रीसर्च की बात पूरी दुनिया में होती है. यहां से निकले कई लोग बहुत बड़े बड़े पदों पर कार्यरत हैं. मगर इनमें से कितने नाम आपको महिलाओं के मिलते हैं? मुझे तो कोई ऐसा नाम याद नहीं आता. देश में 23 IIT हैं और इनमें लड़कियां केवल 8 फीसदी है. वो भी आज के दौर में, जब पहले के मुकाबले लड़कियां हर फील्ड में ज्यादा दिख रही हैं.
Iit Delhi
IIT दिल्ली देश के चर्चित IIT इंस्टीट्यूट में से एक है

इंजीनियरिंग में लड़कियां कम क्यों हैं
पहली वजह तो ये कि साइंस स्ट्रीम में अच्छा परफॉर्म करने के बावजूद कई घरों में ऐसा माना जाता है कि बेटियों को प्रोफेशनल कोर्स के लिए न भेजें. ऐसे कोर्स करें जिसके लिए उन्हें शहर से बाहर न निकलना हो. कॉलेज जाएं और कुछ घंटों में वापस आ जाएं. इसके लिए वो पास में मौजूद बीएससी और बीएड के कोर्स जॉइन कर लेती हैं.
ये दुख की बात है. मगर मेरी ही पहचान में कुछ परिवार हैं, मेरी कुछ सहेलियां हैं जिनको इंजीनियरिंग के लिए घर के बाहर सिर्फ इसलिए नहीं भेजा गया क्योंकि घर की लिमिटेड इनकम में से पैसे उनकी शादी के लिए बचा लिए गए. घर वालों ने सोचा कि अभी पढ़ाने में पैसे लगा देंगे तो बाद में शादी कैसे करेंगे.
इसके अलावा आज भी ऐसा माना जाता है कि इंजीनियरिंग की नौकरियां औरतों के लायक नहीं हैं. सॉफ्टवेयर की बात और है. वो कहां पुल और सड़कें बनवाएंगी. कहां पनडुब्बी और पवनचक्की में पड़ेंगी. कहां रेल के डिब्बे बनाएंगी. उनका काम रोटी बनाना है. तो भले ही वो कितनी भी नौकरी कर लें, अंततः घर आकर या फिर वीकेंड पर घर तो संभालना ही है.
कुछ एक्सपर्ट एक वजह ये भी बताते हैं कि महिलाओं को कभी परिवार तो कभी मैटरनिटी के लिए कुछ महीनों का ब्रेक लेना पड़ता है. इतने समय में रिर्सच की दुनिया बहुत आगे निकल जाती है. औरतें पीछे रह जाती हैं.
इसके अलावा तमाम वजहें हैं, जो लड़कियों और उनके परिवारों ने खोज रखी होंगी. लेकिन असल में ये वजहें नहीं, ये एक्सक्यूज हैं जो पूरी तरह खोखले हैं.
खैर, जो लड़कियां इंजीनियरिंग के फील्ड में आ भी जाती हैं, उनकी असली परीक्षा कॉलेज में शुरू होती है. खासकर वो लड़कियां जो मिकैनिकल या माइनिंग जैसे मेल-डॉमिनेटेड स्ट्रीम्स चुनती हैं.
Mechanical

गलती से लड़की इंजीनियर हो जाए तो  मैंने कोरा पर एक विदेशी महिला इंजिनियर के अनुभव पढ़े. उसका कुछ हिस्सा आपसे शेयर कर रही हूं. विल्हेमिना प्रिंस नाम की महिला लिखती हैं:
"जब मैंने एडमिशन लिया तो क्लास में इकलौती लड़की थी. स्टूडेंट्स के अलावा सभी प्रोफेसर भी पुरुष थे. सबसे पास वाला लेडीज बाथरूम 10-15 मिनट की दूरी पर था. क्लासेज के बीच में ब्रेक मिलता तो समझ नहीं पाती कि पेशाब करने जाऊं अपने लिए एक कॉफ़ी ले लूं. इसके अलावा कुछ घटिया लड़के थे जो मेरे बारे में जाने क्या क्या कहते.
मगर अच्छी बात ये भी थी कि कुछ अच्छे लड़के मेरे दोस्त थे. मैं हमेशा क्लास के टॉप-5 में रहती जिससे कुछ लड़कों को हमेशा तकलीफ़ रहती. लड़की होकर कैसे कर रही है.
मुझमें और लड़कों में एक फर्क था. वो वहां एक अच्छी नौकरी के लोभ में आए थे. मैं सिर्फ इसलिए आई थी क्योंकि मैं सब्जेक्ट से प्यार करती थी.
जब इंटर्नशिप शुरू हुई, मेरी ड्यूटी फैक्ट्री में लगी. बॉइलर से लेकर तमाम मशीनों के बीच. वहां पूरे फ्लोर पर लड़कियों के लिए बाथरूम था ही नहीं. मुझे मैनेजर्स का टॉयलेट यूज करने की इजाज़त लेनी पड़ती.
कॉलेज से ही मेरा प्लेसमेंट हुआ. नौकरी के दौरान भी मैं टीम कि अकेली लड़की थी. मिकैनिकल इंजीनियरिंग के फील्ड में 4 साल काम करते हुए दो कंपनियां बदल चुकी हूं, अभी तक टीम की इकलौती लड़की हूं.
फैक्ट्रियों में वर्कर आप पर भरोसा नहीं करते. जब मैंने कई बार उनकी दिक्कतों के सलूशन दिए, तब वो मुझपर भरोसा डेवलप कर पाए. "
इंजीनियर

बेटियां आजकल पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. स्कूल के निबंध में हम लोग ये वाक्य लिखा करते थे. आज से कई साल पहले. घिस चुका है अब ये वाक्य और अखबारों में ही ठीक लगता है. बेटियां कंधा मिलाना चाहती हैं, लेकिन समाज की तमाम बंदिशें उन्हें पीछे खींचती हैं. आज भी बोर्ड्स के रिजल्ट में साइंस में लड़कियां छाई रहती हैं. मगर ये संख्या इंजीनियरिंग और साइंटिफिक रीसर्च में नहीं दिखती. कई सौ कंधों में कहीं एक कंधा लड़की का दिखता है. जो उचक उचक कर पूरी कोशिश में लगा रहता है कि वो पीछे न रह जाए, नीचे न रह जाए. हर मेल-डॉमिनेटेड फील्ड में लड़की को लड़के से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. उनके लिए it's always the top or nothing. क्योंकि कोई लड़का कोई काम पूरा न करे तो कहा जाएगा कि आलसी है, मक्कार है. लड़की न करे तो पूरी लड़की ज़ात को ही बदनाम कर दिया जाएगा. कहा जाएगा, इसीलिए लड़कियों को हायर नहीं करना चाहिए.
 
क्या राय है आपकी? क्या हैं आपके अनुभव? बताएं मुझे कमेंट बॉक्स में.

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement