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'बच्चा बच्चा राम का, चाचियों के काम का' नारे में बुराई नहीं देखने वाले, ये पढ़ें

धर्म रक्षक किसी भी धर्म के हों, शिकार हमेशा औरत होती है.

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बायां फोटो उस वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट है जिसमें लोग बच्चा बच्चा राम का, चाचियों के काम का वाले नारे लगा रहे थे. दाईं फोटो रोहिंग्या शरणार्थियों की है.
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27 अगस्त 2021 (Updated: 27 अगस्त 2021, 16:12 IST)
Updated: 27 अगस्त 2021 16:12 IST
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बच्चा बच्चा राम का, चाचियों के काम का.

ये नारा बीते दिनों मध्यप्रदेश के उज्जैन में सुनने को मिला. उज्जैन जिसे धार्मिक लोग महाकाल की नगरी बुलाना भी पसंद करते हैं. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. बाकायदा रैली हुई थी, जिसमें भगवा झंडे लहरा रहे थे, एक तिरंगा भी दिखा. लाउड स्पीकर पर ये नारा लगवाया जा रहा था. पुलिस वाले भी तमाशबीन बने दिख रहे हैं. अगर आप सोच रहे हैं कि इस नारे में दिक्कत क्या है. तो हम तो हैं ही इसका मतलब बताने के लिए.
# बच्चा बच्चा राम का माने हर हिंदू लड़का, पुरुष.
# मुस्लिम पुरुषों के लिए कई लोग चचा या चिचा शब्दा का इस्तेमाल करते हैं. वहीं से आया चाची का संबोधन मुस्लिम औरतों के लिए.
# यहां काम से मतलब घरेलू काम या कोई मदद नहीं है. यहां काम का मतलब है सेक्स. शारीरिक संबंध. यौन शोषण या रेप.
यानी नारे लगाने वाले कह रहे हैं कि हर हिंदू लड़का या पुरुष, मुस्लिम औरतों के साथ सेक्स करने को तैयार है.
आगे बढ़ें, उससे पहले वीडियो देख लीजिए. खुद को दुनिया का सबसे महान लोकतंत्र कहने वाले देश का वो शहर जो खुद को ईश्वर की नगरी कहता है, वहां खुले आम यौन इच्छाओं से प्रेरित नारे लगाए जा रहे हैं.  ये कितना डरावना है. और कितना भद्दा.
इस वीडियो पर कुछ लोगों ने आपत्ति भी दर्ज की. एक शख्स ने लिखा कि ये उज्जैन शहर की फिज़ा खराब करने की कोशिश है. ऐसे लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए. एक और शख्स ने लिखा कि हमें रामायण में तो ऐसा कोई संदर्भ नहीं मिलता जिसमें लव-कुश यानी राम-सीता के बेटों ने ऐसा कोई नारा लगाया हो. वो लिखते हैं कि ये धर्म को विकृत करने की कवायद लगती  है. इसे लेकर हमारी बात हुई उज्जैन के एडिशनल एसपी सिटी अमरेंद्र सिंह से. उन्होंने बताया कि इस वीडियो के संबंध में पुलिस ने सुओ मोटो लिया है. माने इसे खुद ही संज्ञान में लेकर मामला दर्ज किया है. उन्होंने बताया कि जिस दिन ये वीडियो सामने आया उसी दिन पुलिस ने केस दर्ज कर लिया था. कैसा धर्म जिसे यौन हिंसा से वैलिडेशन मिलता है? आपको सुल्ली डील्स ऐप
वाला केस याद होगा. जिसमें मुस्लिम महिलाओं की फोटो लगाकर उनकी नीलामी की जा रही थी. आपके ज़हन में वो तमाम ट्वीट्स आएंगे जिनमें मुस्लिम पुरुषों को स्टड दिखाते हुए, हिंदू औरतों को उनके साथ संबंध बनाते दिखाया गया था.
हमारा सवाल है कि एक धर्म विशेष के प्रति अपनी नफरत दिखाने के लिए लोग उस धर्म की औरतों को क्यों शिकार बनाते हैं? क्या उनकी तथाकथित मर्दानगी, उनके धर्म के वर्चस्व को एक औरत की योनि, उसके शरीर से ही वैलिडेशन मिलता है? और ये कौन-सा धर्म है जो औरतों के खिलाफ यौन अपराध से फलता-फूलता है?
अगर इसे आप औरतों के सामने अपना पीनस फ्लैश करने वाले या सोशल मीडिया पर रेप की सीधी धमकी देने वालों से कम समझते हैं तो आप गलत हैं. ये उससे भी ज्यादा खतरनाक है. क्योंकि ये एक ऑर्गनाइज़्ड क्राइम की तरफ बढ़ता पहला कदम है.
ट्विटर से लिया गया स्क्रीनशॉट. आपको दोनों ही तरफ से पोस्ट होने वाले कई पोस्ट्स दिख जाएंगे जिनमें या तो मुस्लिम पावर की बात होगी, या हिंदू पावर की. दोनों ही तरह के पोस्ट में शिकार के रूप में एक औरत ही दिखेगी.

जब आप सुल्ली डील्स पर होने वाली नीलामी का विरोध करने जाएंगे, तो आपसे कहा जाएगा कि मुस्लिम पुरुष भी तो हिंदू औरतों को शिकार बनाते हैं. उनके खिलाफ घटिया बातें करते हैं,  'लव जिहाद' करते हैं. और ये कहकर मुस्लिम औरतों के खिलाफ होने वाली हिंसा को जस्टिफाई किया जाएगा. लेकिन कहने वाला हिंदू हो या मुस्लिम, घटिया बातें होती आखिर में औरतों के बारे में ही हैं. क्योंकि आज सिर्फ कहा और लिखा जा रहा है, कल को ये होगा. घर लूटे जाएंगे, औरतों का बलात्कार किया जाएगा. ये कहकर कि दूसरे धर्म का व्यक्ति कर रहा है, तो हम भी करेंगे. और शिकार केवल औरत होगी. अगर आपको ये कपोल कल्पना लग रही है तो इतिहास उठाकर देख लीजिए.
इस तरह की घटनाएं इतनी बार हो चुकी हैं कि इसके लिए एक खास टर्म भी है. जेनोसाइडल रेप. इसका मतलब है युद्ध या किसी कॉन्फ्लिक्ट के दौरान एक बड़ी संख्या में होने वाली रेप की घटनाएं. 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ, उस वक्त करीब डेढ़ करोड़ लोगों ने सीमा पार की. इनमें से आधे उस पार से इधर आए और आधे इस पार से उधर गए. इस दौरान सीमा के दोनों तरफ बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक औरतों का बलात्कार किया गया. उस पार वाले हिंदू और सिखों के प्रति अपनी नफरत औरतों पर उतार रहे थे और इस पार वाले मुसलमानों के प्रति नफरत औरतों पर उतार रहे थे.
Rakhine Rohingya 2017 में रखाइन प्रांत में हज़ारों रोहिंग्या मुस्लिम मारे गए थे. (तस्वीर: एएफपी)

साल 2017 में रोहिंग्या मुस्लिमों के ऊपर म्यांमार की आर्मी ने कहर बरपाया
. इतना कि लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों को अपना देश छोड़ना पड़ा. सरकार और मिलिट्री ने कहा कि वो रोहिंग्या उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. पर यूनाइटेड नेशंस ने इसे एथनिक क्लीनज़िंग का टेक्स्टबुक एग्जाम्पल माना. माने एक समूह विशेष के खिलाफ नफरत के चलते उस पूरे समूह का उत्पीड़न और फिर उसे देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया जाना. UN की एक रिपोर्ट में सामने आया कि मिलिट्री की कार्रवाई के दौरान सेना के जवानों ने बड़ी संख्या में रोहिंग्या औरतों का बलात्कार किया था. फोर्ब्स से बातचीत में एक रोहिंग्या महिला ने कहा था, "मैं किस्मत वाली थी कि मेरा केवल तीन लोगों ने बलात्कार किया."
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सैनिकों ने कोरिया की महिलाओं को घरों से किडनैप किया. उन्हें सेक्स स्लेव बनाकर रखा. इन्हें जापानी सैनिकों ने कम्फर्ट विमेन नाम दिया. माने वो औरतें जो आराम पहुंचाती हों. कोरिया में उस युद्ध की रेप पीड़िताओं के लिए एक शेल्टर होम बनाया गया है. यहां रहने वाली एक महिला ने बताया,
“मैं 16 साल की थी. मेरा घर शांगजू कस्बे में था. एक दिन जापानी सैनिक आए और मुझे चीन ले गए. जहां मुझे एक छोटे से कमरे में बंद कर दिया गया. करीब 12 से 15 जापानी सैनिक दिन में कई बार मेरा बलात्कार करते थे. उस वक्त मैं बस मर जाना चाहती थी.”
इन पीड़िताओं का कहना है पैसों से कहीं ज्यादा जरूरी है कि जापान उनसे माफी मांगे. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के सैनिकों ने कोरियाई औरतों को बंदी बनाकर रखा. उनका बलात्कार किया.
इस साल जनवरी में साउथ कोरिया की एक अदालत ने जापान की सरकार पर जुर्माना लगाया. आदेश दिया कि उस दौरान रेप का शिकार हुई 12 महिलाओं में से हर एक को जापान की सरकार 67 लाख रुपये दे.
इन घटनाओं को जानने के बाद ये समझना ज़रूरी है कि यहां बात हिंदू या या मुस्लिम औरतों की नहीं है. सिर्फ औरतों की है. क्योंकि नफरत फैलाने वाले पुरुष ने हमेशा से ही औरत अपने टूल की तरह ही इस्तेमाल किया है. फिर चाहे वो दूसरे विश्व युद्ध का समय हो, विभाजन का समय हो या फिर 21वीं सदी.
आखिर में, आप धर्म कोई भी ले लीजिए. हिंदू, मुस्लिम, यहूदी, ईसाई, बौद्ध. इस तरह औरतों को निशाना बनाने वाला, धर्म के नाम पर ऐसी नारेबाजी में शामिल होने वाला हर शख्स अपराधी है. क्योंकि वो औरतों के खिलाफ यौन हिंसा को बढ़ावा दे रहा है. अगर इन सबके खिलाफ अभी कड़े कदम नहीं उठाए गए तो बाद में बहुत देर हो जाएगी.

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