यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.
रश्मि दिल्ली की रहने वाली हैं. उनकी एक बेटी है छह साल की. जब वो तीन साल की थी, तब पता चला कि उसे सेरेब्रल पॉल्सी नाम का डिसऑर्डर है. उसका विकास बाकी बच्चों की तरह नहीं हो रहा था. उसे खड़े होने, चलने, चीज़ें उठाने में दिक्कत होती थी. डॉक्टर को दिखाने पर उनकी बेटी के टेस्ट हुए. तब इस डिसऑर्डर के बारे में पता चला. रश्मि का कहना है कि बात जैसे ही मानसिक बीमारी की आती है हमारी सोच लिमिटेड हो जाती है. बच्चे और उनके पेरेंट्स को जज किया जाता है. NCBI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर 1000 में से तीन बच्चों को ये समस्या है. ऐसे में रश्मि चाहती हैं कि हम सेरेब्रल पॉल्सी के बारे में अपने रीडर्स को बताएं. ये क्या होता है, इसका इलाज क्या है, इसकी जानकारी लोगों तक पहुंचाएं. ताकि जो बच्चे इस डिसऑर्डर से ग्रसित हैं, उन्हें सही मदद मिल सके.
क्या और क्यों होता है सेरेब्रल पॉल्सी?
ये हमें बताया थेरेपिस्ट सेहर ने.

-सेरेब्रल पॉल्सी एक तरह की शारीरिक और मानसिक डिसेबिलिटी है. इसमें शरीर के मुख्य अंग जैसे मांसपेशियां, हड्डियां, जोड़ और मानसिक स्थिति जैसे बातचीत कर पाना, सही फ़ैसले ले पाना, एक-दूसरे से संपर्क बनाने पर असर पड़ता है. मुख्य रूप से सेरेब्रल पॉल्सी में टाइट हाथ-पैर, जोड़ों का न हिल पाना और चलने-फिरने में परेशानी होती है. ब्रेन का विकास प्रेग्नेंसी में ही शुरू हो जाता है. प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह का इन्फेक्शन, सही पोषण न मिल पाना या ट्रॉमा सेरेब्रल पॉल्सी का कारण बन सकते हैं. डिलीवरी के दौरान किसी भी तरह का ट्रॉमा, चोट या ब्रेन को ऑक्सीजन का न मिल पाना भी वजह हो सकती हैं. जन्म से लेकर दो साल की उम्र तक ब्रेन का विकास बहुत जल्दी हो रहा होता है, उस समय भी किसी भी तरह की इंजरी, या कोई भी इन्फेक्शन जो ब्रेन तक पहुंच जाए सेरेब्रल पॉल्सी का कारण बन सकता है.
सेरेब्रल पॉल्सी के पीछे क्या कारण होते हैं, वो आपने समझ लिए. अब बात करते हैं लक्षणों और इलाज की.
Cerebral Palsy के लक्षण क्या हैं?
-सेरेब्रल पॉल्सी के चार मुख्य रूप हैंः स्पास्टिक सेरेब्रल पॉल्सी (Spastic Cerebral Palsy), डिस्टोनिक सेरेब्रल पॉल्सी (Dystonic Cerebral Palsy),एटैक्सिक सेरेब्रल पॉल्सी (Ataxic Cerebral Palsy),हाइपोटॉनिक सेरेब्रल पॉल्सी (Hypotonic Cerebral Palsy)
-स्पास्टिक सेरेब्रल पॉल्सी में हाथ-पैर बहुत टाइट हो जाते हैं, इसके कारण चलने, उठने-बैठने में बहुत परेशानी होती है.
-डिसटोनिक सेरेब्रल पॉल्सी में हाथ-पैर टाइट या ढीले दोनों रह सकते हैं, हाथों का टाइट होना कम, ज़्यादा होता रहता है, इसमें मूवमेंट कर पाना मुश्किल होता है.
-हाइपोटॉनिक सेरेब्रल पॉल्सी स्पास्टिक सेरेब्रल पॉल्सी से ठीक विपरीत होता है, उसमें हाथ-पैर एकदम ढीले हो जाते हैं, मांसपेशियों में एकदम ताकत नहीं रहती

-90 प्रतिशत केसेज़ में शारीरिक इन्वॉल्वमेंट के अलावा मानसिक इन्वॉल्वमेंट भी होता है, इस कारण नॉर्मल तरीके से बातचीत कर पाना, दूसरों से संपर्क कर पाना मुश्किल हो जाता है. सेरेब्रल पॉल्सी में शारीरिक और मानसिक परेशानियों के अलावा देखने और सुनने में भी परेशानी होती है.
सेरेब्रल पॉल्सी का पता कैसे लगाया जाता है?
-सेरेब्रल पॉल्सी का पता पैदा होने से पहले भी लगाया जा सकता है. अल्ट्रासाउंड की मदद से
-पैदा होने के बाद एक साल के अंदर ही सेरेब्रल पॉल्सी के लक्षण दिखने लगते हैं, जैसे बच्चे के हाथ-पैर बहुत टाइट हो जाएंगे, बाकी बच्चों की तरह उसका विकास नहीं होगा
– एक्सपर्ट्स इसे अच्छे से डाइग्नोज़ कर सकते हैं, जिसमें पीडिएट्रिशन यानी बच्चों के डॉक्टर, फिजीशियन, फिजियोथेरेपिस्ट और ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट भी शामिल हो सकते हैं. एमआरआई और सीटी स्कैन के ज़रिए ब्रेन का विकास देखा जा सकता है

-शारीरिक और मानसिक परेशानियों का एक फिजियोथेरेपिस्ट और ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट अच्छे से पता लगा सकते हैं
-कई बार इन बच्चों में मानसिक परेशानियां होती हैं इसलिए उस केस में एक मनोचिकित्सक और साइकॉलजिस्ट की भी ज़रूरत पड़ती है
सेरेब्रल पॉल्सी का इलाज क्या है?
-सेरेब्रल पॉल्सी ज़िन्दगीभर रहती है, इसको पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता. पर इससे ग्रसित इंसान की ज़िंदगी बेहतर करने में कुछ एक्सपर्ट्स मदद कर सकते हैं
-जिसके अंदर पीडिएट्रिशन, फिजीशियन, फिजियोथेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, मनोचिकत्सक और साइकॉलजिस्ट शामिल हैं
-सेरेब्रल पॉल्सी से ग्रसित इंसान अपने जीवन में बिना किसी पर निर्भर हुए अपने काम कर पाए, इलाज का फोकस इस बात पर रहता है
-चाहे वो खाना-पीना हो, चलना-फिरना हो, उठना-बैठना हो या अपनी दिनचर्या के नॉर्मल काम करना हों
-चलने में मदद करने के लिए व्हीलचेयर, वॉकर, क्रच का इस्तेमाल किया जाता है
-सेरेब्रल पॉल्सी में थेरेपी का रोल बहुत ज़रूरी होता है इसमें एक फिजियोथेरेपिस्ट और ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट साथ में काम करते हैं. थेरेपी के गोल्स होते हैं ज़्यादा से ज़्यादा आत्मनिर्भरता.
-छोटे बच्चों के विकास पर ध्यान दिया जाता है.

-एक्सरसाइज़ के ज़रिए उनकी मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने की कोशिश की जाती है.
-जैसे-जैसे बच्चे बढ़ते हैं, उन्हें स्किल्स सिखाना ताकि वो अपने रूटीन कामों को अच्छे से कर पाएं
-थेरेपी का एक बड़ा गोल होता है प्रीवोकेशनल और वोकेशनल ट्रेनिंग
-इसके ज़रिए उनके स्किल्स पर काम करके उन्हें कैरियर के लिए तैयार किया जा सकता है
-सेरेब्रल पॉल्सी से बचाव बहुत ज़रूरी है, एमारआई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड के ज़रिए ब्रेन का विकास पता लगाया जा सकता है
-अगर मां को प्रेग्नेंसी के दौरान कोई इन्फेक्शन होता है या उसे सही पोषण नहीं मिल पाता तो ज़रूरी है उसका ध्यान रखा जाए. इससे सेरेब्रल पॉल्सी पर काबू पाया जा सकता है
-डिलीवरी के दौरान ध्यान रखा जाए कि बच्चे और मां को स्ट्रेस न हो
-बच्चे को ऑक्सीजन लगातार मिलता रहे ताकि उसके ब्रेन को कोई नुकसान न पहुंचे
-जन्म के बाद भी दो-तीन सालों का बच्चे की सही देखभाल करना
-उसे सही पोषण देना
-किसी भी तरह के इन्फेक्शन को हल्के में न लेना
-ज़रा भी लक्षण अगर दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
-जितना जल्दी सेरेब्रल पॉल्सी का इलाज शुरू हो जाएगा उतना जल्दी बच्चा आत्मनिर्भर बन पाएगा
अगर आपका बच्चा सेरेब्रल पॉल्सी से ग्रसित है या आप किसी को जानते हैं जो सेरेब्रल पॉल्सी से ग्रसित है तो उम्मीद है ये जानकारी आपके ज़रूर काम आएगी. जैसे आपने सुना, कई थेरैपी हैं जो सेरेब्रल पॉल्सी को कंट्रोल करने में बहुत मददगार साबित हिती हैं. इसलिए ज़रूरी है कि आप सही डॉक्टर से, और सही जगह से इलाज लें. पहले अच्छे से रिसर्च कर लें, उसके बाद ही तय करें कि आपको अपने बच्चे का इलाज कहां से करवाना है.
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