चाह रही है वह जीना
लेकिन घुट-घुट कर मरना भी
क्या जीना ?
घर-घर में श्मशान-घाट है
घर-घर में फांसी-घर है, घर-घर में दीवारें हैं
दीवारों से टकराकर
गिरती है वह
गिरती है आधी दुनिया
सारी मनुष्यता गिरती है
हम जो जिंदा हैं
हम सब अपराधी हैं
हम दण्डित हैं
कवि गोरख पांडे ने ये कविता आज से बहुत साल पहले लिखी थी. मगर आज हम इसे यहां लिख रहे हैं. तो ज़ाहिर है कि हम आपको बताना चाह रहे हैं. कि कुछ ख़ास बदला नहीं है. क्योंकि औरतों को सर्विलांस में रखने वाली मानसिकता नहीं बदली है.
हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने महिला सुरक्षा के प्रति अपनी कथित प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए एक अजीबोगरीब व्यवस्था बनाने की बात कही है. उन्होंने कहा:
“एक नई व्यवस्था बनाई जाएगी. इसके तहत काम के लिए बाहर निकलने वाली महिलाओं को लोकल पुलिस थाने में खुद को रजिस्टर कराना होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद ऐसी महिलाओं की सुरक्षा के लिए उन्हें ट्रैक किया जाएगा.”
थोड़ा सा पीछे जाते हैं. साल 2014 में. जब नरेंद्र मोदी पहली बार इस देश के प्रधानमंत्री बने थे. उस साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था-
“वे जो बलात्कार करते हैं, किसी के बेटे होते हैं. माता पिता को उन्हें गलत रास्ते पर जाने से पहले रोकना चाहिए. जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तब माता-पिता अपनी बेटिओं पर सवाल उठाते हैं. लेकिन क्या किसी में हिम्मत होती है कि वह अपने बेटों से सवाल करे?”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब एकदम तार्किक बात कही थी. लेकिन छह साल बाद उन्हीं की पार्टी के एक वरिष्ठ नेता शायद अपने ही प्रधानमंत्री की बात भूल गए. उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनके ऊपर ही डाल दी है. अपराधी और पीड़ित का फर्क शायद वो भूल गए हैं. उनके बयान में सुरक्षा के नाम पर महिलाओं की जासूसी और रेकी करने का संदेश बाहर निकल कर आ रहा है. वे तरह-तरह की बंदिशों और बदसलूकी से जूझती महिलाओं को और परेशान करना चाहते हैं.
शिवराज सिंह चौहान ने जब से यह बयान दिया है, तबसे इसे लेकर विवाद छिड़ गया है. महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले लोग उनके इस बयान को स्त्री विरोधी बता रहे हैं. देश की जानी मानी महिला अधिकार कार्यकर्ता कविता कृष्णन कहती हैं-
“शिवराज सिंह चौहान चाहते हैं कि महिलाएं खुद को पुलिस स्टेशन में रजिस्टर कराएं. ताकि उनकी कथित सुरक्षा के लिए पुलिस उन्हें ट्रैक कर सके. अगर किसी महिला के साथ बदसलूकी होती है, हिंसा होती है और अगर उसने खुद को पुलिस स्टेशन में रजिस्टर नहीं कराया है, तो सारा इल्जाम उस महिला के ऊपर ही आएगा. महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर उनकी आजादी पर हमला किया जा रहा है.”
कविता कृष्णन कहती हैं कि आंकड़ों के हिसाब से तो महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित जगह तो उनका घर है. यहां उनकी सुरक्षा के लिए सीएम शिवराज क्या करेंगे? क्या उनके घर में भी पुलिसवालों की तैनाती की जाएगी?
शिवराज सिंह चौहान के इस बयान के बाद एक किताब की भी बहुत चर्चा हो रही है. किताब का नाम है- Why Loiter? Women And Risk On Mumbai Streets. 2011 में आई इस किताब को शिल्पा फड़के, समीरा खान और शिल्पा रनाडे ने लिखा है. इस किताब का एक अंश कुछ इस तरह है-
“महिलाओं के लिए तो कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है. हमारी मांग है कि हम महिलाओं को एक नागरिक का दर्जा दिया जाए ना कि किसी क्लाइंट का. हम बिना किसी सर्विलांस के बाहर घूमना चाहते हैं. इसमें खतरा है. लेकिन हम यह खतरा उठाना चाहते हैं. यह खतरा उठाकर ही एक नागरिक के तौर पर हम अपने अधिकारों पर दावा कर पाएंगे. यह खतरा उठाना ही हमें हमारी मर्जी से बाहर घूमने का अधिकार देगा. हमें सरकारों और घर के पुरुषों के सर्विलांस की जरूरत नहीं है. हम सरकारों के आधीन नहीं होना चाहते. हम किसी भी समय बाहर जाएंगे. प्रोटेस्ट में शामिल होंगे. यह हमारी मर्जी है.”
सोशल मीडिया पर हुई Shivraj Singh Chauhan की खिंचाई
शिवराज सिंह चौहान के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं. ‘द देशभक्त’ नाम से यूट्यूब चैनल चलाने वाले पत्रकार आकाश बैनर्जी ने ट्वीट किया-
“जन्म लेने की लड़ाई. फिर बराबरी के लिए संघर्ष. गालियों और बदसलूकी को सहन करना. परिवार की आशाओं के बोझ तले दबे रहने के बाद अब औरतों को काम पर जाने से पहले खुद को पुलिस स्टेशन में भी रजिस्टर कराना पड़ेगा.”
Fight to be born
Struggle for equality
Tolerate the filth & abuse
Strive to meet family expectations
Now also to Register at the nearest police station before going to work! pic.twitter.com/HhVvQd6vjT— Akash Banerjee (@TheDeshBhakt) January 13, 2021
एक और पत्रकार अपर्णा कालरा लिखती हैं-
“मीडिया ने शिवराज सिंह चौहान का बहुत सारा विश्लेषण कर लिया है. वे योगी मॉडल को फॉलो कर रहे हैं. मुद्दा यह है कि जब कोई मुख्यमंत्री अल्पसंख्यकों और महिलाओं के पीछे इस तरह से पड़ जाता है, तो क्या हमारे लोकतंत्र में उसके ऊपर अंकुश लगाने का कोई प्रावधान है? अगले चुनाव में उसे हराने की धुंधली आशा से अलग कोई प्रावधान!”
Media has done enough analysis of #ShivrajSinghChauhan : he is following the Yogi Model. The point is when a Chief Minister goes after minorities and women in this manner, does our democracy have mechanisms to check him (apart from the vague hope of him being voted out)?
— Aparna Kalra (@Apkal) January 14, 2021
एक यूजर सागर ट्वीट करते हैं-
“अगर उनके पास ‘महिलाओं की सुरक्षा’ के लिए उन्हें ट्रैक करने के साधन हैं, तो वे पुरुषों को व्यवहार को सुधारने के लिए प्रोग्राम क्यों नहीं चला सकते? यह हमेशा से ही महिलाओं को नियंत्रित करने के बारे में था, पुरुषों के व्यवहार को बदलने को लेकर नहीं.”
If they can have a system to track a woman “for her safety”, then they can run programs to improve the behavior of men in our society too. It’s always about controlling women, never about changing behaviour of men. pic.twitter.com/54PikRp5Tj
— Sagar सागर ساگر 🌹🔗✊ (@Sagar4000) January 13, 2021
रतनजी श्यामकुंवर ने पूछा कि अब क्या महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर कर्फ्यू भी लगाया जाएगा. अपनी सुरक्षा के लिए महिलाएं रात में 8 बजे से पहले घर आ जाएं? घर को भी हॉस्टल बना दो.
What’s next? Putting a curfew? Women should be back in house by 8 pm. For their own safety. Ghar ko bhi hostel bna do.
— Ratnajee Shyamkunwar (@RickyAShyamkuwr) January 13, 2021
इसी तरह सुनीता नाम की यूजर ने सवाल पूछा कि महिलाओं को ट्रैक करने की क्या जरूरत है? क्या सरकार यौन अपराध करने वालों की लिस्ट नहीं बना सकती? सीसीटीवी कैमरे नहीं लगा सकती?
I have many issues here. One – why is the program called "saaman". Again, we equate women with maryada of the house etc robbing her safety and personal worth. Two – why track women? Can't they maintain a list of sexual offenders, install CCTV, make better infrastructure(1/2) https://t.co/rZaRcRpmIe
— Sunitha (@Sunithablogger) January 13, 2021
जस्ट ए सिटिजन नाम के यूजर ने एक सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि सरकार बाहर निकलने वाले हर पुरुष को ट्रैक करे. उन्हें लोकल पुलिस स्टेशन में रजिस्टर कराए और महिलाओं के खिलाफ अपराध करने के लिए उन्हें ट्रैक करे.
Might I suggest another way to do this:
Why not track every man moving out of his house, register them at the local police station & track them for committing crime against women? https://t.co/ZVlpvLlwO1
— Just A Citizen (@ks_NotANiceGirl) January 13, 2021
डिनगस नाम की एक यूजर ने लिखा कि महिलाओं को उनकी सुरक्षा के लिए ट्रैक किया जाएगा. जल्ट ही उनपर नजर रखने की प्रैक्टिस उनका पीछा करने में बदल जाएगी. महिलाएं उस दिन सुरक्षित हो जाएंगी, जिस दिन पुरुष उन्हें नियंत्रित करने का प्रयास बंद कर देंगे.
"she will be tracked for her safety"
how soon before that tracking turns into stalking? women will be safe the day men stop trying to control them pic.twitter.com/vb5ZlSKNQo— Dingus🌸 (@OGkifarkpenda) January 13, 2021
एक यूजर मेघा ने ट्वीट किया- आप पुरुषों को क्यों नहीं रजिस्टर और उनके अपराधों को ट्रैक करते? महिलाओं को रजिस्टर करना और उन्हें ट्रैक करना, यह किस तरह की बकवास है?
Why don’t you register men and track their crimes? What sort of bullshit is registering women and tracking them?
— मेघा (@GhumakkadChoree) January 13, 2021
एक और यूजर ने ट्वीट किया- यह सबकुछ इस तरह से होगा. जो औरतें खुद को रजिस्टर नहीं कराएंगी (जो उनका अधिकार है), अगर उनके साथ कोई अपराध होता है तो इसकी जिम्मेदारी उनके ऊपर ही डाल दी जाएगी, क्योंकि उन्होंने खुद को पुलिस स्टेशन में रजिस्टर नहीं कराया. दूसरे तरीके से, यह ट्रैकिंग सिस्टम महिलाओं के उत्पीड़न का ही एक तरीका होगा.
This is how this will go: women that refuse to register themselves (as is their right) and end up getting assaulted/harassed will be blamed for it because they didn’t let the government “track” them. Alternatively, this “tracking” system will be another way to harass women https://t.co/XH3XEIRmDS
— দ্যাট বিচ 💅🏽💄 (@lipstickpatrol) January 13, 2021
फिलहाल, शिवराज सिंह चौहान के इस बयान को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. इस बीच मध्य प्रदेश के एक कांग्रेस विधायक का भी बयान सामने आया है. कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि एक लड़की 15 साल की उम्र में ही बच्चे पैदा कर सकती है, ऐसे में उसकी शादी की उम्र बढ़ाकर 21 साल करने की क्या जरूरत है. ऐसे बयानों को देख-सुनकर लगता है कि इन नेताओं को महिला कल्याण और सुरक्षा को लेकर अपना मुंह बंद ही रखना चाहिए.
लोग अपने पालतू कुत्ते-बिल्लियों में चिप लगाते हैं कि वो खो न जाएं. अपनी गाड़ियों में जीपीएस ट्रैकर लगाते हैं. जिस मुख्यमंत्री ने महिलाओं को पालतू जानवर और निर्जीव गाड़ी जैसा मान लिया हो. उसके लिए सिर्फ प्रार्थना ही की जा सकती है.
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