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बिना महिला पुलिसकर्मी के औरत को थाने में रोका, हवलदार पर रेप की कोशिश का आरोप

बयान दर्ज करवाने आई थी आदिवासी महिला.

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पुलिस ने पुष्टि की है कि महिला को रात में महिला पुलिसकर्मी न होने के बावजूद पुलिस चौकी में रखा गया था (सांकेतिक तस्वीर)
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28 दिसंबर 2021 (Updated: 29 दिसंबर 2021, 09:50 IST)
Updated: 29 दिसंबर 2021 09:50 IST
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राजस्थान के उदयपुर ज़िले में कथित रूप से एक आदिवासी महिला का रेप करने की कोशिश की गई. आरोप लगा है एक पुलिस हवलदार पर. महिला की शिकायत के बाद आरोपी कॉन्स्टेबल को निलंबित कर दिया गया है. पुलिस के अनुसार, लापरवाही के लिए पानरवा थानाधिकारी और एएसआई को थाने से हटाकर पुलिस लाइन भेज दिया गया है.

मामला क्या है?

केस उदयपुर के पानरवा थाना की डेय्या चौकी का है. यहां 2017 में एक युवती के लापता होने की शिकायत दर्ज हुई थी. पुलिस को आशंका थी कि आदिवासी महिला को लापता युवती के ठिकाने के बारे में पता है. पीड़िता ने शिकायत में बताया कि इस आशंका के आधार पर गुरुवार 23 दिसंबर को कॉन्स्टेबल जितेन्द्र मीणा और ASI राजकुमार परमार उसके गांव झेर आए. महिला का कहना है कि उस वक्त दोनों ने वर्दी नहीं पहनी हुई थी. उन्होंने उसे और उसके माता-पिता को अपने निजी वाहन में बिठा लिया और डेय्या चौकी ले आए. खबर के मुताबिक महिला पुलिसकर्मी न होने के बावजूद पीड़िता और उसके माता-पिता को थाने में रहने के लिए मजबूर किया गया. उनसे शाम का खाना बनवाया. बर्तन साफ़ करवाए. इसके बाद हवलदार ने पीड़िता को अपने कमरे में और उसके माता-पिता को अलग कमरे में सोने को कहा. आरोप है कि थोड़ी देर बाद हवलदार कमरे में आया और महिला का रेप करने का प्रयास किया. चिल्लाने पर उसकी मां वहां पहुंची, जिसके बाद कॉन्स्टेबल ने पीड़िता को कमरे से बाहर निकाल दिया और किसी को बताने पर जेल में डालने की धमकी दी. पीड़िता के साथ आरोपी कॉन्स्टेबल की कथित मनमानी इसके बाद भी बंद नहीं हुई. शिकायत के मुताबिक अगले दिन, 24 दिसंबर को भी पीड़िता से खाना बनवाया गया. झाड़ू-पोछा लगवाया गया. उसे गुजरात के विसनगर ले गए. जांच के नाम पर 2 दिन अपने निजी वाहन में घुमाया. वहां पर भी यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की. फिर वापस लाकर छोड़ दिया. वापस लौटे तो पीड़िता और उसके माता-पिता ने स्थानीय लोगों को घटना के बारे में बताया. इसके बाद वे मामला दर्ज करवाने के लिए थाने पहुंचे. लेकिन मामला दर्ज नहीं किया गया. उसके बाद रविवार 26 दिसंबर की शाम को स्थानीय विधायक के हस्तक्षेप करने पर मामला दर्ज किया गया.

पुलिस क्या कर रही है?

उदयपुर पुलिस अधीक्षक मनोज चौधरी ने बताया कि आरोपी कॉन्स्टेबल को निलंबित कर दिया गया है और मामले में लापरवाही बरतने के लिए एएसआई और थानाधिकारी को पुलिस लाइन भेज दिया गया है. वहीं झाडोल (उदयपुर) के भाजपा विधायक बाबूलाल ने आरोप लगाया कि आरोपी कॉनस्टेबल ने आदिवासी महिला का यौन उत्पीड़न करने के अलावा पुलिस चौकी में उसके और उसके पिता के साथ मारपीट भी की. एमएलए बाबूलाल के मुताबिक,
"पुलिस ने शुरू में मामला दर्ज नहीं किया और मुझे मामला दर्ज करवाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा. उन्हें (महिला और उसके माता-पिता को) कॉन्स्टेबल की निजी एसयूवी वाहन में बिना महिला कॉन्स्टेबल के ले जाया गया. पीड़ित महिला को रात को पुलिस चौकी में रखा गया. पुलिस ने कई नियमों का उल्लंघन किया है."
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, एक अन्य पुलिस अधिकारी ने पुष्टि की है कि महिला को रात में पुलिस चौकी में रखा गया था. अधिकारी ने बताया है कि पीड़िता और उसके उसके माता-पिता को 2017 में दर्ज गुमशुदगी की शिकायत के सिलसिले में बिना महिला कॉन्स्टेबल के गुजरात ले जाया गया था.

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