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क्या टॉन्सिल्स निकलवाना जानलेवा हो सकता है?

नॉर्मल टॉन्सिल्स सर्जरी में ऑपरेशन कर के टॉन्सिल को बाहर निकाल दिया जाता है.

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अगर कोई भी कीटाणु मुंह के द्वारा पेट या सांस की नली में चले जाते हैं तो टॉन्सिल्स उनको रोकते हैं
अगर कोई भी कीटाणु मुंह के द्वारा पेट या सांस की नली में चले जाते हैं तो टॉन्सिल्स उनको रोकते हैं
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5 जुलाई 2022 (Updated: 5 जुलाई 2022, 22:23 IST)
Updated: 5 जुलाई 2022 22:23 IST
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

जब भी गले में ख़राश या दर्द होता है तो हम अक्सर कहते हैं कि टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन हो गया है. ये एक बहुत ही आम समस्या है. बचपन में तो ये बहुत ज़्यादा होती है, पर जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, ये कम होता जाता है. पर ऐसा सबके साथ नहीं होता. कुछ लोगों को बचपन निकलने के बाद भी टॉन्सिल्स से जुड़ी समस्या रहती है और ऐसे में कई लोग टॉन्सिल्स सर्जरी या टॉनिललॉक्लोमी का सहारा लेते हैं. यानी सर्जरी की मदद से टॉन्सिल्स को निकाल दिया जाता है. अब पिछले कुछ दिनों से ये सर्जरी ख़बरों में बनी हुई है. क्यों? इसके पीछे वजह है एक मौत.  

जून के महीने में पूर्व मिस ब्राज़ील ग्लीसी कोर्रिया की मौत हो गई. वो 27 साल की थीं. इनकी मौत हुई एक रूटीन सर्जरी करवाने के कारण. ये सर्जरी थी टॉन्सिल्स रिमूवल की. यानी वो एक सर्जरी की मदद से अपने टॉन्सिल्स निकलवा रही थीं. ख़बरों के मुताबिक, इस सर्जरी के पांच दिन बाद ही उन्हें हेमरेज और हार्ट अटैक पड़ा. जिसके बाद वो कोमा में चली गईं. दो महीने कोमा में रहने के बाद उनकी मौत हो गई.

पूर्व मिस ब्राज़ील की मौत के बाद, इस बहुत ही कॉमन सर्जरी पर सवाल उठ रहे हैं. लोग जानना चाहते हैं कि क्या ये सेफ़ है. हमारे देश में भी टॉन्सिल्स सर्जरी बहुत आम है. ख़ासतौर बचपन में. ऐसे में जानते हैं कि टॉन्सिल्स सर्जरी क्या होती है, ये कैसे की जाती है और क्या ये सेफ़ है. पर उससे पहले ये समझ लेते हैं कि टॉन्सिल्स होते क्या हैं.

टॉन्सिल्स क्या होते हैं?

ये हमें बताया डॉक्टर अतुल कुमार मित्तल ने.

Dr. Atul Kumar Mittal | Best ENT Specialist in Gurugram | FMRI Gurgaon
डॉक्टर अतुल कुमार मित्तल, डायरेक्टर, कान नाक गला विशेषज्ञ, फ़ोर्टिस, गुरुग्राम

-टॉन्सिल्स हमारे शरीर के बहुत ही ज़रूरी अंग हैं.

-जो एक सिपाही की तरह काम करते हैं.

-अगर कोई भी कीटाणु मुंह के द्वारा पेट या सांस की नली में चले जाते हैं.

-तो टॉन्सिल्स उनको रोकते हैं.

-टॉन्सिल्स के अलावा ऐडनॉइड्स और एक और टॉन्सिल होते हैं लिंगुअल टॉन्सिल.

-ये एक सर्किल बनाते हैं.

-ये सर्किल इन्फेक्शन होने से बचाता है.

-इनको प्राइमरी इम्यून सिस्टम भी कहते हैं.

-ये बच्चे की 1-3 साल तक की इम्युनिटी में मदद करते हैं.

टॉन्सिल्स सर्जरी क्या होती है?

-पहले अगर साल में 2-3 इन्फेक्शन होते थे तो टॉन्सिल्स सर्जरी कर दी जाती थी.

-अब जैसे-जैसे तकनीक बदली है वैसे-वैसे टॉन्सिल्स सर्जरी का रूप भी बदल रहा है.

-आजकल अगर बच्चों में ओबेसिटी शुरू हो जाती है.

-खर्राटे लेने की दिक्कत हो रही है.

-क्योंकि उनके नाक या गले का पैसेज ब्लॉक होता है.

-जिन बच्चों को बार-बार इन्फेक्शन होते हैं.

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पहले अगर साल में 2-3 इन्फेक्शन होते थे तो टॉन्सिल्स सर्जरी कर दी जाती थी

-उन लोगों में टॉन्सिल की ग्रंथियां धीरे-धीरे बढ़ने लगती हैं.

-जब ये काफ़ी बड़ी हो जाती हैं तो सांस के रास्ते को रोकती हैं.

-जिसके कारण लोग खर्राटे लेते हैं.

-शरीर में ऑक्सीजन कम जाता है.

-थकावट होने लगती है.

-धीरे-धीरे ओबेसिटी की दिक्कत होने लगती है.

-इन केसों में टॉन्सिल्स की सर्जरी करना ज़रूरी हो जाता है.

-साल में अगर पांच बार भी इन्फेक्शन होते हैं तो दवाइयों से उसका इलाज किया जा सकता है.

-पर अगर मरीज़ को स्लीप एपनिया है.

-तो उसका प्रभाव आगे जाकर पड़ता है.

टॉन्सिल्स सर्जरी कैसे की जाती है?

-टॉन्सिल्स सर्जरी पहले कैसे की जाती थी और अब कैसे की जाती है, उसमें बहुत फ़र्क आ गया है.

-टॉन्सिल्स सर्जरी के कई तरीके हैं.

-नॉर्मल टॉन्सिल्स सर्जरी में ऑपरेशन कर के टॉन्सिल को बाहर निकाल दिया जाता है..

-ये पुरानी टेक्निक होती थी.

-इसमें ब्लीडिंग या इन्फेक्शन का चांस ज़्यादा होता है.

-इसमें पेशेंट को सर्जरी के बाद दर्द भी बहुत होता था.

-फिर लेज़र टॉन्सिल्स सर्जरी होती हैं.

-या रेडियो फ्रीक्वेंसी टॉन्सिल्स सर्जरी आईं.

Tonsils and tonsillectomy — Mr Daniel Tweedie - Consultant Paediatric ENT  Surgeon, London
टॉन्सिल्स सर्जरी पहले कैसे की जाती थी और अब कैसे की जाती है, उसमें बहुत फ़र्क आ गया है

-पर आजकल जो लेटेस्ट टेक्निक है उसको कहते हैं कोब्लेशन टेक्निक.

-ये एक प्लाज्मा सर्जरी होती है.

-इसमें न खून निकलता है न दर्द होता है.

-इसमें टॉन्सिल्स को पूरा निकाल दिया जाता है.

-फिर भी दर्द और ब्लीडिंग का चांस बहुत कम होता है.

इस सर्जरी के रिस्क

-इस सर्जरी का मेन रिस्क है इन्फेक्शन और ब्लीडिंग.

-कोल्ड स्टील सर्जरी में 100 में से 1-2 लोगों को ब्लीडिंग का चांस होता था.

-पर कोब्लेशन सर्जरी में एक लाख में एक मरीज़ को ऐसा हो सकता है.

-ये एक ऐसा रिस्क है जो जानलेवा भी हो सकता है.

-पर ऐसा हर मरीज़ में नहीं होता है.

-इससे घबराकर इस सर्जरी से डरना नहीं चाहिए.

-अगर इस सर्जरी की ज़रुरत है तो ज़रूर करवानी चाहिए.

-बस कुछ चीज़ों का ख्याल रखकर इसको ठीक करना चाहिए.

आपने डॉक्टर साहब की बातें सुनीं. अगर टॉन्सिल्स सर्जरी करवाने की ज़रुरत है तो इससे हिचके नहीं. क्योंकि ऐसे में आगे जाकर और दिक्कतें हो सकती हैं. पर हां, सर्जरी के बाद रिकवरी कैसे होगी, इन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है. हालांकि अपने आप में ये सर्जरी ख़तरनाक नहीं है. इसलिए अगर आपको या आपके बच्चों को इस सर्जरी की ज़रुरत है तो डॉक्टर से बात कर के अपने सारे डर दूर कर लें.

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