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क्या है स्लीप पैरालिसिस, जिसमें इंसान अपने हाथ-पैर नहीं हिला पाता?

लगता है जैसे कोई और रूम में है.

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ऐसा माना जाता है कि अगर सेहत और मेंटल हेल्थ ठीक है तो स्लीप पैरालिसिस होने के चांसेस कम हो जाते हैं
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8 मार्च 2022 (Updated: 8 मार्च 2022, 18:31 IST)
Updated: 8 मार्च 2022 18:31 IST
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

3 महीने पहले की बात है. दिल्ली की रहने वाले 27 साल के मुदित एक दिन ऑफिस से वापस आए. रात काफ़ी हो चुकी थी. उन्होंने खाना खाया और सोने चले गए. रात में उनके साथ एक बहुत ही अजीब सी चीज़ हुई. वो सो रहे थे. तभी उनको एहसास हुआ कि उनके सिरहाने कोई खड़ा है. मुदित घबरा गए. वो अकेले रहते थे. उन्होंने उठने की कोशिश की, पर वो अपनी आंखें पूरी तरह से खोल नहीं पा रहे थे. उन्हें एहसास हुआ कि उनके हाथ-पैर हिल नहीं रहे हैं. पूरी जान लगाने के बाद भी उनका शरीर हिल नहीं रहा था. ये कुछ सेकंड चला. आख़िरकार मुदित उठ गए. देखा तो कोई नहीं था.
इसके बाद वो काफ़ी डर गए और रात भर सो नहीं पाए. लगभग 2 हफ़्ते बाद फिर यही हुआ. उनको एहसास हुआ कि कमरे में कोई है. जब उठने की कोशिश की तो शरीर हिल नहीं पा रहा था. अगले दिन सुबह मुदित ने ये बात अपने एक दोस्त को बताई. उसने बताया कि उसके साथ भी कभी-कभी ऐसा होता है. मुदित को किसी डॉक्टर से मिलना चाहिए. मुदित के मन में कई सवाल थे. वो भूत-प्रेतों पर विश्वास नहीं करते थे, पर अब उनके मन में वहम बैठ गया था. दोस्त के कहने पर उन्होंने एक थेरेपिस्ट को दिखाया. अपनी पूरी बात बताई. तब उन्हें पता चला कि उनके साथ जो हो रहा है उसे स्लीप पैरालिसिस कहते हैं.
ये कोई भूत-प्रेत का चक्कर नहीं था. स्लीप पैरालिसिस एक तरह का स्लीप डिसऑर्डर है. और काफ़ी आम भी है. हालांकि ये अपने आप में काफ़ी डिस्टरबिंग है. मुदित चाहते हैं हम अपने शो पर स्लीप पैरालिसिस के बारे में बात करें. ये क्या होता है, क्यों होता है, इसका इलाज क्या है, ये जानकारी लोगों को दें.
मुदित के साथ जो हुआ, वो हो सकता है आपके साथ भी कभी हुआ हो. आपको भी सोते समय ये एहसास हुआ हो कि आप चाह कर भी अपने हाथ पैर नहीं हिला पा रहे. ये है स्लीप पैरालिसिस. ये क्या होता है, सबसे पहले ये समझ लेते हैं. स्लीप पैरालिसिस क्या होता है? ये हमें बताया राकिब अली ने.
डॉक्टर राक़िब अली, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, बीएलके हॉस्पिटल, दिल्ली
राक़िब अली, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, बीएलके हॉस्पिटल, दिल्ली


-स्लीप पैरालिसिस को नॉक्टर्नल पैरालिसिस भी कहा जाता है.
-ये नींद की समस्या यानी स्लीप डिसऑर्डर है.
-जैसे नाम से पता चलता है, ये नींद के दौरान एक ऐसा अनुभव है जिसमें आप अपने हाथ-पैरों को हिला नहीं पाते हैं.
-लेकिन इस दौरान जगे होने का एहसास होता है.
-इसे नींद में होने वाले पैरालिसिस की तरह समझ सकते हैं.
-हालांकि ये बात जानना ज़रूरी है कि ये असल में होने वाला पैरालिसिस नहीं है.
-ये रात में सोते हुए महसूस होने वाली घबराहट से भी अलग है.
-क्योंकि नाइट टेरर नींद के दौरान होने वाले एपिसोड होते हैं.
-उसके विपरीत स्लीप पैरालिसिस दो प्रकार से हो सकता है.
-ये या तो नींद में जाते समय होता है या नींद से उठते समय होता है.
-इस दौरान आपको एहसास होता है कि आप जगे हुए हैं.
-या हल्का जगा हुआ महसूस करते हैं.
-लेकिन आपके हाथ-पैर नहीं हिल पाते.
-इस प्रकार की समस्या में और लक्षण भी जुड़ जाते हैं.
-जैसे घबराहट.
-सांस न ले पाने का एहसास.
-कई लोग और भी चीज़ें अनुभव करते हैं.
-जैसे ख़तरे का एहसास.
-कई लोगों को भ्रम का एहसास होता है.
-आवाज़ें सुनाई देती हैं, चीज़ें दिखाई देती हैं.
-जिससे लोग काफ़ी डर जाते हैं.
A Researcher May Have Found a Way to Treat Sleep-Paralysis, the Terrifying Experience of Waking up Unable to Move जैसे नाम से पता चलता है, ये नींद के दौरान एक ऐसा अनुभव है जिसमें आप अपने हाथ-पैरों को हिला नहीं पाते हैं


-ये 20 सेकंड से लेकर मिनटों तक रह सकता है.
-ये काफ़ी परेशान कर देने वाला अनुभव होता है.
-स्लीप पैरालिसिस लगभग 8 प्रतिशत लोगों को होता है.
-ये काफ़ी बड़ी जनसंख्या है. कारण -स्लीप पैरालिसिस को समझने के लिए स्लीप साइकिल को समझना पड़ेगा.
-सोने के दौरान हमारा ब्रेन लगभग 5 साइकिल से गुज़रता है.
-जब हम सोना शुरू करते हैं तो नींद की पहली स्टेज में जाते हैं.
-जिसे REM स्लीप कहते हैं.
-REM स्लीप एक तरह का स्विच है.
-जिसमें हम जागने से हटकर नींद की तरफ़ स्विच करते हैं.
-इस स्टेज में प्रॉब्लम ये होती है कि शरीर तो नींद में चला जाता है.
-पर दिमाग पूरी तरह से सोया नहीं होता यानी इनएक्टिव नहीं होता है.
-REM स्लीप के दौरान हम सपने देखते हैं.
-इसमें हाथों-पैरों का नहीं चलना ज़रूरी है.
-इसमें दिमाग एक्टिव रहता है.
-इसी स्विच ऑन और स्विच ऑफ़ के दौरान स्लीप पैरालिसिस का अनुभव होता है.
-स्लीप पैरालिसिस ज़्यादातर जेनेटिक होता है.
-परिवार में अगर स्लीप पैरालिसिस की परेशानी रही है तो बच्चों को भी होती है.
-दूसरा कारण. अगर मेंटल हेल्थ अच्छी नहीं है.
-डिप्रेशन है.
Sleep paralysis: Causes, symptoms, and tips स्लीप पैरालिसिस को समझने के लिए स्लीप साइकिल को समझना पड़ेगा


-बाइपोलर डिसऑर्डर है.
-ऐसे में स्लीप पैरालिसिस की समस्या ज़्यादा होती है.
-तीसरा कारण. अगर कोई और स्लीप डिसऑर्डर है.
-जिनमें दिन के दौरान ज़्यादा नींद आती है.
-उसमें स्लीप पैरालिसिस रात में अनुभव होने का ज़्यादा चांस होता है.
-कुछ लोग ये मानते हैं कि स्लीप पैरालिसिस कोई अलग डिसऑर्डर नहीं है.
-ऐसा माना जाता है कि अगर सेहत और मेंटल हेल्थ ठीक है तो स्लीप पैरालिसिस होने के चांसेस कम हो जाते हैं.
-इसलिए कई बार स्लीप पैरालिसिस अलग से एक डिसऑर्डर की तरह ट्रीट किया जाता है. इलाज -सोने से पहले रिलैक्स होना सीखना पड़ेगा.
-चाहे वो ब्रीदिंग एक्सरसाइज से करें.
-यानी सांस के ऊपर ध्यान देकर रिलैक्स होने की कोशिश करें.
-और भी तरीके हैं.
More research on sleep paralysis needed, experts say | Goldsmiths, University of London स्लीप पैरालिसिस ज़्यादातर जेनेटिक होता है


-मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है.
-एंग्जायटी डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर और डिप्रेशन में स्लीप पैरालिसिस होने का ज़्यादा चांस होता है.
-इसलिए अगर इन मेंटल डिसऑर्डर का इलाज लिया जाए तो स्लीप पैरालिसिस ठीक हो जाता है.
-कई बार एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं भी दी जाती हैं.
-स्लीप पैरालिसिस ठीक किया जा सकता है.
-इसको इग्नोर न करें क्योंकि इसका अनुभव काफ़ी डरावना होता है.
-कई लोग इसका अलग-अलग मतलब निकालने लगते हैं.
-ख़ासकर ऐसे अनुभव जिनमें हमें भ्रम होने लगता है.
-आवाज़ें सुनाई देने लगती हैं, चीज़ें दिखती हैं.
-ख़तरा महसूस होता है.
-इस तरह के अनुभव से कई बार डर जाते हैं.
-इसलिए इसे ठीक करना बहुत ज़रूरी है.
स्लीप पैरालिसिस क्या होता है, क्यों होता है, ये आपको समझ में आ गया होगा. ऐसा अगर आपके साथ भी होता है तो घबराने की ज़रूरत नहीं है. इसका इलाज संभव है. आप एक्सपर्ट से मिलें और इलाज लें. सही इलाज लें. अंधविश्वास में न पड़ें. स्लीप पैरालिसिस नींद के दौरान होने वाली एक समस्या है, जो इंसान को काफ़ी डरा देती है. इसलिए इसे नज़रअंदाज़ न करें.

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