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बच्चे का बिना वजह हंसना कब नॉर्मल नहीं होता? जानें क्या है 'हंसने का दौरा'

अगर कोई छोटा बच्चा बार-बार हंसने लगे, और उसकी हंसी में खुशी नहीं डर के भाव दिख रहे हों, तो ये सिर्फ हंसी नहीं बल्कि मिर्गी का दौरा हो सकता है. इस तरह के दौरे को 'लाफिंग सीजर' या 'जिलास्टिक सीजर' कहते हैं.

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'लाफिंग सीजर' की वजह से बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास रुक सकता है (सांकेतिक फोटो)
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आयूष कुमार
24 नवंबर 2023 (Published: 05:17 PM IST) कॉमेंट्स
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कुछ दिनों पहले हमें सेहत पर मुंबई से मोहिनी का मेल आया. मोहिनी लिखती हैं कि उनका 6 साल का बेटा आरव कभी-अभी अचानक ही हंसने लगता है. शुरुआत में तो उन्हें लगा कि शायद खेलते वक्त आरव खुशी में हंस रहा हो. लेकिन धीरे-धीरे आरव का अचानक से हंसना बढ़ने लगा. मोहिनी बताती हैं कि अब आरव जब भी अचानक से हंसता है, तो हंसी रुकने के बाद वो रोने लगता है. उसके इस व्यवहार से मोहिनी को चिंता हुई और वो उसे डॉक्टर के पास ले गईं. डॉक्टर ने कुछ टेस्ट्स किए, जिसमें पता चला कि आरव को 'लाफिंग सीजर' या ‘हंसने के दौरे’ की समस्या है. यानी आरव को अचानक से आने वाली हंसी नेचुरल नहीं बल्कि एक बीमारी है. चलिए डॉक्टर से जानते हैं कि 'लाफिंग सीजर' की समस्या किस वजह से होती है.  

क्या है 'हंसने के दौरे' की समस्या?

ये हमें बताया डॉक्टर गोविंद माधव ने.

(डॉ गोविंद माधव, कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट, सेंटर ऑफ न्यूरोसाइंसेज, रांची)

अगर कोई छोटा बच्चा बार-बार हंसने लगे, और उसकी हंसी में खुशी नहीं डर के भाव दिख रहे हों, तो ये सिर्फ हंसी नहीं बल्कि मिर्गी का दौरा हो सकता है. इस तरह के दौरे को 'लाफिंग सीजर' या 'जिलास्टिक सीजर' कहते हैं.

किस वजह से पड़ते हैं 'हंसने के दौरे'?

'जिलास्टिक सीजर' एक तरह का मिर्गी का दौरा है. इसमें दिमाग के बीच वाले हिस्से यानी हाइपोथैलेमस में अपनेआप एक टिशू बन जाता है जिसे हैमार्टोमा कहा जाता है. इसे हाइपोथैलेमिक हैमार्टोमा कहा जाता है. इसकी वजह से बच्चों में मिर्गी के दौरे पड़ते हैं, जिसमें बच्चे बार-बार बिना वजह हंसने लगते हैं. ये हंसना बच्चों के नियंत्रण में नहीं होता है. हंसने का दौरा पड़ने पर कई बार बच्चे अपनी मां के पास या किसी सुरक्षित जगह की तरफ भागते हैं. कई बार बच्चे दौरा खत्म होने के बाद रोने लगते हैं.

हंसने के दौरे की पहचान करने में बड़ी मुश्किल होती है, क्योंकि बहुत बार EEG करने पर भी ये समस्या पकड़ में नहीं आती. EEG में सिर्फ दिमाग की बाहरी सतह से इलेक्ट्रॉनिक तरंगों को पकड़ा जाता है. लेकिन हंसने के दौरे की समस्या तो दिमाग के अंदर मौजूद हाइपोथैलेमिक हैमार्टोमा की वजह से होती है. हाइपोथैलेमिक हैमार्टोमा की पहचान करने के लिए MRI करना पड़ता है. बच्चे को 'हंसने के दौरे' पड़ रहे हैं इसकी पहचान अक्सर तब होती है जब बच्चे को साथ में हाथ-पैरों में भी झटके के साथ दौरा पड़ रहा हो या कुछ देर के लिए बच्चा बेहोश हो जाए. अगर ऐसा हो रहा है तो किसी न्यूरो विशेषज्ञ से मिलकर इसकी जांच ज़रूर कर लें.

अगर समय रहते इसकी पहचान नहीं हो पाई तो आगे चलकर बच्चों का बौद्धिक विकास नहीं हो पाएगा. इस वजह से हाइपोथैलेमस से निकलने वाले कई हार्मोन्स की मात्रा भी कम या ज्यादा हो सकती है. ऐसा हुआ तो बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाएगा.

क्या ये समस्या बड़ों को भी होती है?

- अगर वयस्क व्यक्ति कभी-कभी बिना वजह हंसने लगे तो ऐसा एक मानसिक बीमारी 'सिजोफ्रेनिया' की वजह से भी हो सकता है.

- कभी-कभी तेज हंसी के साथ बेहोशी का दौरा पड़ता है. ये मिर्गी का दौरा नहीं बल्कि 'लाफ्टर सिन्कपी' हो सकता है.

- वहीं कुछ लोगों में मानसिक बीमारी की वजह से ऐसे लक्षण दिखते हैं जिनमें वो अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाते और बिना किसी वजह के हंसने या रोने लगते हैं. इसे 'स्यूडोबुलबार इफेक्ट' कहते हैं.

यानी तीन और समस्याएं हैं जो 'लाफिग सीजर' की तरह दिखती हैं. इन तीनों के अलग 'लाफिंग सीजर' एक तरह का मिर्गी का दौरा है. ये समस्या बच्चों में होती है, बड़ों में शायद ही इसका कोई मामला सामने आए.

इलाज

अगर शुरुआती स्टेज की समस्या है तो सिर्फ मिर्गी की दवाइयों से इसका इलाज हो जाता है. इसके अलावा हाइपोथैलेमिक हैमार्टोमा की वजह से होने वाली हार्मोन्स की कमी को सप्लीमेंट्स से पूरा किया जाता है. जरूरत पड़ने पर हाइपोथैलेमिक हैमार्टोमा को सर्जरी कर के निकाल दिया जाता है. इसमें डरने की जरूरत नहीं है. ऐसा नहीं है कि हर बच्चा जो हंस रहा है उसे मिर्गी का दौरा ही पड़ रहा हो. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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