बिना पानी के खाना नहीं निगल पाते? समस्या कैंसर तक भी पहुंच सकती है
शख्स को पानी तक निगलने में समस्या होने लगती है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. लेकिन किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
नितिन 32 साल के हैं. पिछले कुछ समय से उन्हें खाना निगलने में समस्या हो रही है. वो आसानी से खाना निगल नहीं पा रहे हैं. हर निवाले के साथ उन्हें पानी से खाना निगलना पड़ता है. कभी-कभी तो उन्हें अपना थूक निगलने में भी समस्या होती है. पहले तो उन्होंने इसपर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन पिछले कुछ हफ़्तों से ये दिक्कत बहुत ज़्यादा बढ़ गई है. नितिन जानना चाहते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है और इसका इलाज क्या है. दरअसल, जिस समस्या से नितिन जूझ रहे हैं उसे कहते हैं डिस्फ़ेज़िया. युवाओं और बुज़ुर्गों दोनों को ही ये प्रॉब्लम होती है. तो सबसे पहले समझ लेते हैं डिस्फ़ेज़िया क्या होता है.
डिस्फ़ेज़िया क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर कुंदन ने.
डिस्फ़ेज़िया का मतलब होता है निगलने में तकलीफ़. अगर खाना निगलने, पानी पीने में तकलीफ़ होती है, तो उसे डिस्फ़ेज़िया कहते हैं.
कारणडिस्फ़ेज़िया में खाने की नली की मांसपेशियों में तकलीफ़ होती है. कभी-कभी तंत्रिकाओं में प्रॉब्लम के कारण भी ऐसा होता है. जैसे खाने की नली में रुकावट. इन तीनों कारणों से डिस्फ़ेज़िया हो सकता है. यंग पेशेंट्स ख़ासतौर पर महिलाओं में डिस्फ़ेज़िया होता है, जो ठीक भी हो जाता है. इसको इंटरमिटेंट डिस्फ़ेज़िया कहा जाता है. इसमें खाने की नली की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है. इसमें खाना खाने के साथ पानी पीने में तकलीफ़ शुरू हो जाती है. इसका इलाज हो सकता है.
दूसरी तरह के डिस्फ़ेज़िया में तंत्रिकाओं में तकलीफ़ होती है. जैसे ब्रेन स्ट्रोक के पेशेंट, नसें सूखने की बीमारी के पेशेंट. इनमें डिस्फ़ेज़िया होने पर खाना और पानी दोनों से तकलीफ़ होती है. इनका इलाज भी संभव है. तीसरे तरह के डिस्फ़ेज़िया है खाना निगलने में रुकावट. खाने की नली अगर पूरी तरह से बंद हो जाए या उसका रास्ता पतला हो जाए. किसी भी तरह का ग्रोथ जैसे ट्यूमर. ऐसे डिस्फ़ेज़िया में धीरे-धीरे बढ़त होती है. पहले मरीज़ को सूखे खाने की तकलीफ़ होगी. धीरे-धीरे पानी तक निगलने में तकलीफ़ होती है. इंसान ख़ुद की लार तक नहीं निगल पाता. पानी तक न निगल पाना एक संकेत है कि खाने की नली में कैंसर हो सकता है.

-प्रमुख लक्षण है खाने में तकलीफ़
-निगलने में तकलीफ़
-ये तकलीफ़ शुरू होती है सूखा खाना निगलने में
-फिर गीला खाना निगलने में
-उसके बाद पानी, फिर थूक को भी निगलने में तकलीफ़ होती है
-इसके कारण मरीज़ को बार-बार उल्टियां होती हैं
-ऐसा लगेगा जैसे खाना चिपक रहा है
-गले में खाना अटक रहा है
-खाना खाने के साथ खांसी आने की भी तकलीफ़ होती है
-इन लक्षणों को देखकर कारण का पता चल सकता है
-जवान लोगों में ये बीमारी मांसपेशियों के खिंचाव के कारण होती है
-बुढ़ापे में ये समस्या कैंसर के कारण होती है

अगर मांसपेशियों में खिंचाव के कारण ये बीमारी हो रही है तो पहले ऑपरेशन के जरिए इलाज किया जाता है. आजकल एंडोस्कोपी से अंदर के मांस में एक छोटा सा चीरा लगा दिया जाता है. ताकि वो रास्ता खुल जाए. इससे मांसपेशियों का खिंचाव हो जाता है और खाना निगलना शुरू हो जाता है. नसों के कारण होने वाली बीमारी के इलाज के दौरान खाने की नली डाल दी जाती है. जिससे पेशेंट खाना खाता रहता है, जब तक वो ठीक नहीं हो जाता.
ये सारे डिस्फ़ेज़िया आराम से ठीक हो जाते हैं. जो डिस्फ़ेज़िया रुकावट या कैंसर के कारण है, उनमें देखना पड़ता है कि कैंसर कहां है. अगर ऊपर की तरफ़ है तो सिकाई और कीमोथेरेपी से ठीक हो जाता है. अगर खाने की नली के बीचों-बीच में है, तो पहले कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और फिर ऑपरेशन करने के बाद पूरे खाने की नली निकालनी होती है. फिर आंत को जोड़कर नई नली बनाई जाती है. अगर एकदम निचले हिस्से में समस्या होती है, तो कीमोथेरेपी के जरिए उसको कम किया जाता है और पूरे खाने के रास्ते को निकाला जाता है. फिर नया रास्ता बनाया जाता है
डॉक्टर कुंदन का कहना है कि अगर आपको निगलने में समस्या हो रही है तो उसे एकदम इग्नोर न करें. सूखा खाना, पानी या थूक निगलने में तकलीफ़ हो रही है तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें.
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