हैज़ा, वो बीमारी जो कुछ घंटों में इंसान को मार देती है!
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में हर साल कॉलरा के चलते एक लाख से ज्यादा मौतें होती हैं
Advertisement

कॉलरा यानी हैज़ा. एक समय में महामारी के रूप में कॉलरा फैलता था
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)साल 2019 में महामारियों कि लिस्ट में एंट्री हुई कोविड-19 की. इसने पूरी दुनिया में कितनी तबाही मचाई, ये बताने की ज़रुरत नहीं है. वैसे कोविड-19 से पहले भी कई ऐसी महामारियां फैली हैं, जिन्होनें दुनियाभर में बहुत लोगों की जाने लीं. कुछ समय बाद इन महामारियों का इलाज मिल गया. वैक्सीन बन गई और समय के साथ इनके इक्के-दुक्के केस ही सामने आए.
आज हम बात करेंगे एक ऐसी ही महामारी की जिसने इंडिया में बहुत कहर मचाया था और आज भी इसके मरीज सामने आते रहते हैं. ये महामारी है कॉलरा. ये एक ऐसी बीमारी है जिसका अगर इलाज न मिले तो कुछ घंटे में मौत हो सकती है. WHO में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 13 लाख से लेकर 40 लाख लोगों को कॉलरा होता है. वहीं 21 हज़ार से लेकर एक लाख 43 हज़ार मौतें हो जाती हैं.
इंडिया में अभी भी कॉलरा के मामले पाए जाते हैं, क्योंकि आज के समय में भी बहुत लोग खुले में शौच करते हैं. ख़ासतौर पर गावों में जहां शौचालय नहीं बने हैं. लोग खेत में शौच के लिए जाते हैं. ऐसे में बहुत बार मल और गंदगी पानी में मिल जाती है. लोग पास में बहने वाली नदी के किनारे शौच को जाते हैं और कुछ लोग उसी नदी से पानी भरकर लाते हैं, उसे पीते हैं. इसी का नतीजा है कॉलरा. अब कॉलरा के मामले केवल गावों में नहीं पाए जाते, शहरों में भी रिपोर्ट होते हैं. आइये, डॉक्टर बेला शर्मा से जानते हैं कि कॉलरा क्या होता है, कैसे होता है, इसका बचाव और इलाज क्या है?
इंडिया में कॉलरा के मामले
-कॉलरा यानी हैज़ा. एक समय ये इंडिया में महामारी के रूप में फैला था-अब ये महामारी के रूप में नहीं होता है, लेकिन फिर भी इसके कुछ मामले सामने आते रहते हैं

क्या और क्यों होता है कॉलरा?
-कॉलरा एक कीटाणु यानी बैक्टीरिया से फैलता है-जो गंदे खाने या पानी के साथ शरीर में चला जाता है
-जहां लोग खुले में शौच करते हैं, पानी साफ नहीं होता है और जहां गंदा पानी, पीने के पानी में मिल जाता है या खाने में मिल जाता है वहां इसका संक्रमण होने की संभावना ज्यादा होती है
-कॉलरा बहुत जल्दी फैलता है
-हर उम्र के इंसान में इसका असर हो सकता है
-हालांकि बच्चे और बुज़ुर्गों में इसका असर ज़्यादा होता है
लक्षण -लूज़ मोशन यानी पतले दस्त और उल्टियां होती हैं
-पानी जैसे पतले दस्त होते हैं
-लगातार उल्टियां होती हैं
-ज़्यादातर मामलों में बहुत ज़्यादा डीहाइड्रेशन हो जाता है, यानी शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है
-महामारी के समय ज्यादातर लोगों की मौत डीहाइड्रेशन के कारण होती थी इलाज -इसका इलाज बहुत ही सिंपल माना जाता है
-बच्चों के केस में उन्हें डीहाइड्रेशन से बचाना होता है
-एडल्ट्स के केस में सिंपल नमक, नींबू और चीनी का घोल पिलाया जाता है
-अगर बहुत ज़्यादा उल्टियां हो रही हैं तो उसके लिए दवाई दी जाती है
-पतली दाल का घोल दिया जाता है
-चावल के माड में नमक डालकर पिलाया जाता है ताकि मरीज़ को डीहाइड्रेशन न हो

बचाव -बचाव का तरीका और भी ज़्यादा सिंपल है
-खुले में शौच के लिए न जाएं
-जहां भी लोग खुले में शौच करते हैं, उन्हें इस संक्रमण के बारे में जानकारी दी जाए
-पानी उबालकर या फ़िल्टर करके पिया जाए
-सफ़ाई रखी जाए
-जो भी लोग खाना बनाते हैं, उन्हें हाथों की सफ़ाई रखना बहुत ज़रूरी है
-जहां पर एक साथ कई लोगों के लिए खाना बनता है, वहां खाना बनाने वाले लोगों का समय-समय पर चेकअप होना बहुत ज़रूरी है
-नाख़ूनों को काटना और साफ़ रखना भी बेहद जरूरी है

-पानी चेक करते रहना चाहिए कि वो साफ़ है या नहीं
-कॉलरा की वैक्सीन उपलब्ध है
-जहां कॉलरा के मामले पाए जाते हैं, वहां कॉलरा की वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है
-ऐसी जगहों पर जाने से पहले ये वैक्सीन ज़रूर लगवाएं
कॉलरा से बचाव का तरीका बहुत ही सिंपल है. डॉक्टर बेला शर्मा ने जो टिप्स दिए हैं, बस उनका ध्यान रखिए. अपने खाने, पीने और हाथों की सफ़ाई रखिए. जब किसी बीमारी का इलाज संभव है, बचाव आसान है और वैक्सीन भी उपलब्ध है, फिर भी अगर उस बीमारी से मौतें होती रहें तो ये काफ़ी दुखद बात है. ऐसे में आपको सचेत रहने और कॉलरा की वैक्सीन लगवाने की जरूरत है, ताकि हम फिर महामारी वाले दौर में जाने से बच सकें.