बच्चों में 'मोटापे' के वो नुकसान जो आप कभी सोच भी नहीं सकते!
चाइल्डहुड ओबेसिटी को आम भाषा में लोग महज़ मोटापा समझते हैं, पर ये अपने आप में एक बहुत बड़ा रिस्क है

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
हमें सेहत पर मेल आया दीप्ति का. दिल्ली की रहने वाली हैं. उनका एक बेटा है, जिसकी उम्र 10 साल है. हाइट साढ़े चार फीट है. पर उसका वज़न 46 किलो है. शुरुआत में दीप्ति ने उसके वज़न पर ख़ास ध्यान नहीं दिया. सब यही कहते थे कि खाते-पीते घर का है, ये पता तो चले.लेकिन, समय के साथ इसका असर उनके बच्चे ही हेल्थ पर पड़ने लगा. वो ज़्यादा देर तक खड़ा होता या भागता तो उसकी सांस फूलने लगती. हाल फ़िलहाल में उसका ब्लड ग्लूकोस लेवल भी बिगड़ गया है. जब डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि उसे चाइल्डहुड ओबेसिटी है. इसे आम भाषा में लोग महज़ मोटापा समझते हैं, पर ओबेसिटी अपने आप में एक बहुत बड़ा रिस्क है. दीप्ति चाहती हैं कि हम अपने शो में चाइल्ड ओबेसिटी के बारे में बात करें. ये क्या होती है यानी कैसे पता चलेगा कि आपका बच्चा ओबीज़ की केटेगरी में आता है? साथ ही इसके कारण और इलाज के बारे में डॉक्टर्स से बात करें. आज के समय में चाइल्ड ओबेसिटी एक बहुत ही आम समस्या है. सबसे पहले जानते हैं ये होता क्या है?
चाइल्ड ओबेसिटी क्या होती है?ये हमें बताया डॉक्टर मनीष मनन ने.

-बड़े शहरों में चाइल्डहुड ओबेसिटी लगभग 30 प्रतिशत बच्चों में पाई जाती है
-इसका मतलब है कि जब इन बच्चों का वज़न, लंबाई नापी जाती है और उम्र के हिसाब से ग्राफ पर प्लॉट किया जाता है
-तब अगर बच्चा 75 सेंटाइल से ऊपर होता है तो उसको ओवरवेट कहा जाता है
-90 सेंटाइल से ऊपर जाए तो उसे ओबीज़ कहते हैं
-यानी आम भाषा में मोटापा
-पहले बच्चों में मोटापा हेल्दी माना जाता था पर अब ये अनहेल्दी माना जाता है
-बच्चे में अगर मोटापा ज़्यादा हो तो उसके शरीर, हार्ट, लिवर, किडनी पर ज़्यादा जोर पड़ता है
-दिल को ज़्यादा ज़ोर से धड़कना पड़ेगा खून पंप करने के लिए
-घुटनों पर ज़्यादा जोर पड़ेगा
-चाइल्ड ओबेसिटी के बहुत नुकसान हैं
-बाद में बच्चे का लिपिड प्रोफाइल बिगड़ जाता है
-जिसकी वजह से आगे और प्रॉब्लम्स आती हैं
-छोटे-छोटे बच्चों में ब्लड ग्लूकोस लेवल हाई होता है
-जो चीज़ें बुढ़ापे में देखी जाती थीं, वो बचपन में दिखने लगती हैं
कारण-सबसे आम कारण है लाइफस्टाइल
-मोबाइल, टीवी का ज़्यादा इस्तेमाल, एक्सरसाइज न करना
-जंक फ़ूड, कार्बोहाईड्रेट, आइसक्रीम, मीठा का ज़्यादा सेवन
-ज़्यादा कैलोरीज़ जाती हैं जो बर्न नहीं होतीं

-खाने का बैलेंस ठीक नहीं है
-इतना खाने के बाद भी बी कॉम्प्लेक्स और आयरन की कमी होती है
-जेनेटिक फैक्टर भी ज़िम्मेदार होते हैं
-हर बार डाइट और एक्टिविटी ही इसका कारण नहीं होते
-कई बार कुछ मेडिकल प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं
-जैसे थायरॉइड, हॉर्मोनल प्रॉब्लम
-जांच के बाद ही सही कारण का पता चलता है, जिसके बाद उसी हिसाब से इलाज तय किया जाता है
हेल्थ रिस्क-ओबीज़ बच्चे भाग नहीं पाते, हांफना शुरू कर देते हैं
-लिपिड प्रोफाइल ठीक नहीं रहती
-लिवर ठीक नहीं रहता
-शरीर में बाकी चीज़ें भी बिगड़ने लगती हैं
-ब्लड शुगर का लेवल बढ़ने लगता है
-बड़े होने पर ओबेसिटी का चांस बढ़ जाता है
-डायबिटीज और दिल की बीमारियों का भी ख़तरा रहता है
-चाइल्ड ओबेसिटी को मज़ाक में न लें
बचाव और इलाज-बचाव के लिए बच्चे की फिजिकल एक्टिविटी ठीक रखना ज़रूरी है
-बच्चे को कम से कम 1-2 घंटे खेलना चाहिए
-स्क्रीन टाइम कम करें

-24 घंटे में केवल एक घंटा स्क्रीन टाइम होना चाहिए
-खाने में बैलेंस होना चाहिए
-सब्ज़ी, फलों की मात्रा ठीक हो
-जंक फ़ूड से बचें
-इसके बावजूद भी वज़न बढ़ रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करें
-क्योंकि कई बार मेडिकल कारण भी हो सकते हैं
-अगर बीमारी की शुरुआत में उसपर ध्यान दिया जाए तो उसपर काबू पाना आसान होता है
-अगर बीमारी बहुत बढ़ जाती है तब उसको ठीक करने में काफ़ी समय लगता है
आपने डॉक्टर साहब की बातें सुनीं. एक चीज़ें समझने की ज़रुरत है. भले ही बच्चों में मोटापा पहले हेल्दी होने की निशानी मानी जाती हो, पर असल में ये हेल्दी होना नहीं है. ये जानने के लिए कि आपका बच्चा ओवरवेट है या ओबीज़, उसकी जांच करवाना ज़रूरी है. अगर चाइल्डहुड ओबेसिटी है तो इसपर ध्यान देने की ज़रूरत है.
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